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सिंहस्थ 2028 के मद्देनजर निर्माणाधीन 13 ब्रिज, आने वाली चुनौतियां और समाधान


सिंहस्थ 2028 के मद्देनजर निर्माणाधीन 13 ब्रिज, आने वाली चुनौतियां और समाधान

उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ 2028 के मद्देनजर करीब 13 नए ब्रिज का निर्माण किया जाना है। इनमें से पांच रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) हैं। हालांकि, इन निर्माण कार्यों में कई चुनौतियां सामने आ रही हैं, जिनमें से कुछ कार्य अभी स्वीकृति में अटके हुए हैं, और कुछ अधूरे हैं।

सिंहस्थ के लिए जरूरी 13 ब्रिज

सिंहस्थ महाकुंभ के आयोजन के लिए उज्जैन में विभिन्न प्रोजेक्ट्स की योजना बनाई गई है, जिनमें 13 नए ब्रिज का निर्माण भी शामिल है। इनमें से 5 ब्रिज रेलवे ओवरब्रिज होंगे, जो शहर में आवागमन की सुविधा को बेहतर बनाने के लिए बनाए जा रहे हैं। हालांकि, इन परियोजनाओं को समय पर पूरा करना कोई आसान काम नहीं है, क्योंकि कई प्रोजेक्ट्स स्वीकृति में फंसे हुए हैं और कुछ निर्माणाधीन हैं।

फ्रीगंज ब्रिज और अन्य परियोजनाओं में रुकावटें

सिंहस्थ 2016 से प्रस्तावित फ्रीगंज ब्रिज के समानांतर नए ब्रिज का निर्माण कार्य भी काफ़ी समय से रुका हुआ था। पहले ठेका लेने वाली कंपनी ने निर्माण कार्य छोड़ दिया था, जिसके बाद सेतु निगम ने नया टेंडर जारी किया है। इसी तरह से देवास रोड पर लालपुर ब्रिज का निर्माण भी आधा अधूरा पड़ा है, जिसका कार्य अभी 50 प्रतिशत तक ही पूरा हो सका है।

ब्रिज की चौड़ाई में बढ़ोतरी

फ्रीगंज के नए ब्रिज की चौड़ाई को पहले 12 मीटर से बढ़ाकर 21.40 मीटर करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए रेलवे के पांच क्वार्टरों को तोड़ा जाएगा, जिसे रेलवे से स्वीकृति मिलने के बाद ही हटाया जाएगा। इसके बाद, ब्रिज में डिवाइडर का निर्माण किया जाएगा, जिससे वन-वे सिस्टम लागू किया जा सकेगा।

निर्माण कार्य में आने वाली चुनौतियां

ब्रिज निर्माण में कई तकनीकी और प्रशासनिक अड़चनें आ रही हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  1. साइड क्लियरेंस और भूमि अधिग्रहण: रेलवे ओवरब्रिज बनाने के लिए साइड क्लियर करने की प्रक्रिया जटिल है, और कई बार भूमि अधिग्रहण के मामलों में देरी हो जाती है।

  2. रेलवे की मंजूरी और ड्राइंग: रेलवे ओवरब्रिज बनाने के लिए रेलवे की मंजूरी आवश्यक होती है, और साथ ही ड्राइंग की स्वीकृति भी जरूरी होती है, जिसमें समय लगता है। यह तय करना कि पटरियों के ऊपर का हिस्सा कौन बनाएगा, एक और अहम पहलू है, जिसे हल करने में समय लगता है।

  3. बिजली के पोल और पेड़ की शिफ्टिंग: निर्माण कार्य में बिजली के पोल और पेड़ों को हटाने की आवश्यकता होती है, जो कार्य को और अधिक जटिल बना देता है।

आगामी समय में क्या होगा?

सिंहस्थ-2028 के मद्देनजर, इन ब्रिजों का निर्माण कार्य 31 दिसंबर 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। कुल मिलाकर, तीन वर्षों के भीतर सभी निर्माण कार्यों को समय से पूरा करने की योजना बनाई गई है। इससे न केवल शाही स्नान के दिन करीब तीन करोड़ श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित होगी, बल्कि पूरे सिंहस्थ अवधि में 14 करोड़ श्रद्धालुओं का आसान आवागमन सुनिश्चित होगा।

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