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भोपाल में जर्मन कंपनी 100 करोड़ से लगाएगी उद्योग


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने जर्मनी में निवेशकों से मुलाकात की। इसके बाद एसीईडीएस लिमिटेड को भोपाल में जमीन आवंटित भी कर दी। सीएम ने कहा यह फैसला मध्यप्रदेश को वैश्विक औद्योगिक मानचित्र पर एक नए केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।दरअसल, भोपाल के अचारपुरा में जर्मन कंपनी एसीईडीएस लिमिटेड को 27,200 वर्गमीटर (6.72 एकड़) जमीन आवंटित की गई है। इस समझौते के तहत कंपनी ने भोपाल में अपनी औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का प्रस्ताव दिया है।

इस कंपनी का उद्योग लगने से सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा। इस उद्योग की स्थापना से एक्स-रे मशीन निर्माण एवं अन्य उपकरण, सौर ऊर्जा पॉवर प्लांट सहित नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में कार्य किया जाएगा।

सतपुड़ा क्षेत्र में जीवाश्मों पर शोध के लिए हुआ एमओयू

वहीं, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्टटगार्ट स्थित स्टेट म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री का अवलोकन किया। उनके म्यूजियम पहुंचने पर प्रो. डॉ. लार्स क्रागमेन और उनकी टीम ने स्वागत किया। मध्यप्रदेश सरकार और जर्मनी के शोधकर्ताओं के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ है।

एमओयू से सतपुड़ा क्षेत्र में पाए गए ट्राइएसिक युग के जीवाश्मों पर संयुक्त शोध किया जा सकेगा। इससे भारतीय और जर्मन शोधकर्ता प्राचीन डाइनासौर और उनके समकालीन प्रजातियों के परिस्थितिकी तंत्र को समझने में मदद करेंगे। यह शोध विशेष रूप से उन पारिस्थितिकीय स्थितियों को समझने के लिए महत्वपूर्ण होगा, जिनमें ये प्रजातियां पाई जाती थीं।

एमओयू हो जाने से अब सतपुड़ा क्षेत्र में नई खुदाई की जाएगी, जिससे ट्राइएसिक कॉन्टिनेंटल पर्यावरण और जलवायु के बारे में व्यापक जानकारी प्राप्त हो सकेगी। इस सहयोग का उद्देश्य जीवाश्मों की खुदाई, संरक्षण और प्रदर्शनी की प्रक्रिया को सुगम बनाना है। इसे मध्यप्रदेश के राज्य संग्रहालय के माध्यम से प्रदर्शित और प्रकाशित किया जाएगा। साथ ही वैश्विक शोधकर्ताओं के लिए इन जीवाश्मों पर अनुसंधान भी किया जाएगा।

स्टटगार्ट स्टेट म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री आधिकारिक रूप से 1791 में स्थापित किया था। यह जर्मनी के सबसे पुराने प्राकृतिक ऐतिहासिक म्यूजियमों में से एक है। इसमें प्राचीन जीवाश्म और डायनासोरों के अवशेषों का विशाल संग्रह है। इसमें लगभग ग्यारह मिलियन से अधिक वस्तुएं भी संग्रहित हैं।

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