30 नवंबर 2024 को शनिश्चरी अमावस्या नहीं, प्रशासन को देना पड़ रही जानकारी
उज्जैन - शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या तिथि को शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है। इस बार तिथियों की घटबढ़ के कारण शनिवार और रविवार दोनों दिन अमावस्या तिथि रहेगी। इसे लेकर जिला प्रशासन की ओर से जनसंपर्क विभाग ने एक प्रेसनोट जारी कर ऐसी जानकारी साझा की है कि 30 नवंबर को शनिश्चरी अमावस्या नहीं है। कुछ लोगों के माध्यम से भ्रांति उत्पन्न की गई है कि यह शनिश्चरी अमावस्या है, जबकि पंचांग की गणना, तिथि का गणित एवं पर्व काल की स्थिति आदि के आधार पर यदि गणना की जाए, तो 30 नवंबर को शनिवार के दिन चतुर्दशी तिथि रहेगी। रविवार को 1 दिसंबर के दिन स्नान दान की अमावस्या होगी। इस दिन तीर्थ पर जाकर के स्नान दान किया जा सकता है।
ये कहती है पंचाग की गणना
पंचांग की गणना एवं धर्मशास्त्रीय मान्यता के आधार पर मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शनिवार का योग आ रहा है। चूंकि चतुर्दशी तिथि शनिवार को प्रातः 11 बजे तक रहेगी और उसके बाद तिथि में बदलाव होगा, इस दृष्टि से यह चतुर्दशी ही कहलाएगी। इस दिन शनिश्चरी अमावस्या नहीं है।
भ्रम से बचने की दी सलाह
जिला प्रशासन ने प्रेसनोट के माध्यम से बताया है कि धर्मशास्त्र की गणना के अनुसार देखें, तो सूर्य के उदय के समय जो तिथि विद्यमान होती है, पर्व काल के नियम के अनुसार वह तिथि तीन मुहूर्त के साक्षी अनुक्रम में होनी चाहिए। क्योंकि 30 नवंबर को चतुर्दशी तिथि प्रातः 11 बजे तक रहेगी इस दृष्टिकोण से यह दिन अमावस्या का दिन नहीं कहलाएगा। क्योंकि पर्व काल में सूर्य के उदय का अनुक्रम व चंद्र के अस्त का क्रम और तिथियों की साक्षी का क्रम यह देखा जाता है, इस दृष्टिकोण से भ्रम से बचें और अमावस्या का पर्व स्नान रविवार को ही करें।
तो करना होगी व्यवस्था
दरअसल अमावस्या तिथि यदि सोमवार या शनिवार को पड़े, तो उस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है। इन दोनों दिनों में पड़ने वाली अमावस्या तिथि पर लोग पर्व स्नान के लिए पवित्र सरोवारों में पहुंचते हैं। कुछ लोग मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शनिवार की मानकर उस दिन पर्व स्नान की तैयारी कर रहे हैं। जिसे लेकर प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। प्रशासन को डर है कि कहीं ऐसा न हो कि लोग शनि मंदिर त्रिवेणी पर एकत्रित हो जाएं। यदि ऐसा हुआ प्रशासन को ताबडतोड़ व्यवस्था जुटाना होगी।
क्यों करना पड़ा ऐसा
यदि मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शनिवार की होती, तो जिला प्रशासन को श्रद्धालुओं के स्नान के लिए शनि मंदिर के त्रिवेणी घाट सहित शिप्रा के अन्य घटों पर भी व्यवस्था जुटानी पड़ती। लेकिन इस बार प्रशासन ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया है। ऐसे में जब सूत्रों से खबर लगी कि कई लोग (विशेषकर ग्रामीणजन) शनिवार को अमावस्या तिथि मानकर स्नान के लिए उज्जैन आ सकते हैं, तो प्रशासन ने अपनी ओर से ये जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए शासकीय स्तर पर प्रेसनोट जारी किया कि शनिवार को अमावस्या नहीं है। रविवार को ही अमावस्या तिथि मानकर लोग स्नान, दान, धर्म, पूजन इत्यादि कर्म करें।
तैरस की दो तिथियों से भ्रम
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की पड़वा तिथि से त्रयोदशी तिथि तक सब कुछ ठीक था। लेकिन इस बार त्रयोदशी दो दिनों तक रहने की वजह से चतुर्दशी और अमावस्या की तिथि में फेर बदल हो गया। हालांकि शनिवार की दोपहर 11 बजे के बाद अमावस्या तिथि लग जाएगी, जो उदया तिथि के अनुसार 1 दिसम्बर रविवार को भी रहेगी। इसलिए रविवार को ही मार्गशीर्ष अमावस्या को सही माना जाएगा।
दीपावली को लेकर भी था लोगों में भ्रम
दो दिन अमावस्या तिथि की ये स्थिति पहली बार नहीं बनी है, इसके पहले 31 अक्टोबर और 1 नवम्बर को भी दोनों दिन अमावस्या की तिथि थी। जिसे लेकर दुनियाभर के ज्योतिषियों में वैचारिक जंग सी छिड़ गई थी कि दीपावली कब मनाई जाए।