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दुश्मन से भी उदार दुश्मनी निभाएं -सतीश जोशी, वरिष्ठ पत्रकार, इन्दौर


आलेख

दुश्मन से भी उदार दुश्मनी निभाएं

-सतीश जोशी, वरिष्ठ पत्रकार, इन्दौर

कभी-कभी सोचता हूं कि आदमी को आखिर क्या चाहिए..?  क्या उसको जीने के लिए घर, परिवार, समाज, गांव, शहर के अलावा और भी कुछ चाहिए..? दो जून की रोटी। प्रेम से बोलने वाले चार लोग। घर में उसकी खुशियों को, उसके दुख को बांटने वाला परिवार। एक अच्छा समाज। कुछ दोस्त, जिनके बीच वह खुशी-खुशी रह सके।

पर यह सब तो यहीं छूट जाना है। घर, रिश्ते, नाते, लोग, दोस्त, जुटाई गई दौलत, गहने, हीरे जवाहरात और वह सब कुछ ऐशो आराम का सामान।... तो फिर आदमी को क्या करना चाहिए कि वह याद किया जाता रहे। आदमी को दुश्मन भी याद रखें, इसके लिए उसे क्या करना चाहिए..?

दुनिया में सनातन संस्कार ही ऐसी जीवन पद्धति है, जिसमें इन सवालों के जवाब हैं। संस्कार कहते हैं जितना हो सके, उतना शिष्टता से जीवन जिएं। कैसी भी परिस्थिति हो आपको एक इंसान बने रहना है।

जीवन में अच्छाई या बुराई, जो भी मिले उसे खिलाड़ी भावना से स्वीकार करना सीख लीजिये। सब पर, धोखा देने वालो पर भी विश्वास और सम्मान से रहिए, मिलिए ओर संबंध बनाए रखिये। 

आपको अपना सर्वश्रेष्ठ करना है, और उस सर्वश्रेष्ठ में अहंकार न हो। अपने दिमाग और कर्मयोग को सर्वश्रेष्ठ देने की दिशा में प्रवृत्त करिए। फिर भी अगर असफलता मिलती है, उसका सामना करना पड़ता है तब भी सर्वश्रेष्ठ करने के संकल्प पर दृढ़ रहिए।
 
हर हाल में कर्मपथ नहीं छोड़ना है। सर्वश्रेष्ठ काम करना और जीत की उम्मीद से संकल्प धारण करना है और पूरी शक्ति से जुटे रहना है। असफलता के बाद न छुपना है, न शर्म महसूस करना है।

आप जब अकेले होते हैं, असफलता आपके दिमाग के दरवाजे पर हथौड़े चलाती है। मगर हथौड़े आपको विचलित न करें, ऐसा आपको आत्मविश्वास जागृत रखना है।देखना कि लोग आपकी अपने आप तारीफ करेंगे।

अपने हर कदम पर भरोसा रखिए। लोगों को यह महसूस हो कि आप हर कदम भरोसे से उठाते हैं। आपको निडर, बेखौफ जीना और कर्मयोग करना है।जो भी कदम उठाएं बस दिखावा न हो। 

दिखावा या दिखावे के बिना बिल्कुल वैसा ही होना, जैसा लोग आपके बारे में सोचते हैं। आपको अपने पीछे कुछ सरल और सफलता के निशान छोड़ जाना हैं, जिसे लोग भी जीने का तरीका बना लें।

आपकी किसी से दुश्मनी भी है तो ऐसे दिखाना है, जैसे कि आप अपने दुश्मन से भी ईमानदार हैं। उसके लिए एक उदार दुश्मन हैं। अपनी भले छोटी सी भूमिका निभाना है, पर पूरे सम्मान से।

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