उपराष्ट्रपति धनखड़ ने किया शुभारंभ
बच्चा इंजीनियर, डॉक्टर बने इससे ज्यादा जरूरी है अच्छा नागरिक बने
सभी को नमस्कार। राज्यपाल मंगूभाई पटेल। अपने आप जो कहते हैं ऊर्जा का संचार करते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव। आपको परम सौभाग्य मिला है। प्रथम सेवक होने का। जहां महाकाल हैं। जनता की सेवा करने का। सभी विजेताओं को धन्यवाद देता हूं। जय महाकाल।
उज्जैन में महाकाल की उपस्थिति का अपना दिव्य अनुभव है। यह शंकर की भूमि है। सप्तपुरियों में से एक उज्जैन को मेरा कोटि-कोटि वंदन। इस पुराणिक, ऐतिहासिक नगरी के आगमन को हमेशा याद रखूंगा। यह वही धरा है, जहां कृष्ण ने शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की। चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य की इस नगरी में एक अद्वितीय न्याय का केंद्र बना। उसी काल में कवि थे कालिदास। वे कवि कुलगुरु थे। उनकी कृतियां मानवीय भावनाओं का संगम हैं, जो हमारे लिए प्रेरणा स्रोत रहेंगे।
66वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह के शुभारंभ अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने कालिदास अकादमी के मंच से ये बातें कही। उन्होंने कहा आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है। महाकवि कालिदास की रचना से मेघदूत हमें सिखाती है कि प्रकृति का ध्यान रखो, हमारे पास कोई दूसरी पृथ्वी नहीं है।
भारत जैसा कोई दूसरा देश नहीं है, जहां ऐसी सांस्कृतिक विरासत हो। जो देश और समाज अपनी संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहर को संभालकर नहीं रखता, वो ज्यादा दिन नहीं टिकता। बच्चा इंजीनियर, डॉक्टर बने इससे ज्यादा जरूरी है अच्छा नागरिक बने।
राष्ट्रगान से शुरू हुए कार्यक्रम के बाद दीप प्रज्वलित किए गए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उपराष्ट्रपति का स्वागत किया। उन्हें स्मृति चिह्न प्रदान किया। उसके बाद उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों के कलाकारों और साहित्यकारों को राष्ट्रीय कालिदास अलंकरण से सम्मानित किया।
कार्यक्रम को राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, संस्कृति, पर्यटन, सारस्वत अतिथि कोषाध्यक्ष, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास स्वामी गोविंददेव गिरिजी महाराज ने भी संबोधित किया। धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग के मंत्री धर्मेंद्रसिंह लोधी, जिले के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल और सांसद अनिल फिरोजिया मंचासीन थे। उपराष्ट्रपति ने कालिदास अकादमी की ओर से प्रकाशित 10 ग्रंथों का विमोचन भी किया। इनके प्रधान संपादक अकादमी के निदेशक गोविंद गंधे हैं।