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सुप्रीम कोर्ट ने घरों पर बुलडोजर चलाने पर लगाई सख्ती से रोक


सरोकार -
डॉ. चन्दर सोनाने
                    सुप्रीम कोर्ट ने किसी के भी घरों पर रातोरात बुलडोजर चलाने पर सख्त नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा है यह क्या तरीका है कि आप मौके पर जाते हैं, ढोल बजाकर कार्रवाई की जानकारी देते हैं और फिर बुलडोजर से घर ढहा देते हैं। घर खाली करने का मौका, कोई नोटिस तक नहीं देते। यह पूरी तरह अराजकता है। इस मामले में गहन जाँच की जरूरत है। 
    हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में 2019 में बिना नोटिस दिए घर पर बुलडोजर चलवाने के योगी सरकार की कार्रवाई पर गहरी नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस श्री डीव्हाय चन्द्रचूड़, जस्टिस श्री जेबी पारदीवाला और जस्टिस श्री मनोज मिश्रा की पीठ ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि यह अराजकता का सबसे बड़ा उदाहरण है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने, जिसका पुस्तैनी मकान तोड़ा है, उसे अंतरिम राहत के तौर पर 25 लाख रूपए मुआवजा देने के निर्देश दिए। 
                     उल्लेखनीय है कि मनोज टिबरेवाल के पुस्तैनी मकान को प्रशासन द्वारा बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी ओर से सीजेआई को लिखे पत्र को आधार बनाकर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था। उत्तरप्रदेश सरकार ने कोर्ट में बताया कि ये कार्रवाई सड़क को चौड़ा करने के लिए की गई थी। सड़क के किनारे सरकारी जमीन पर 3.7 वर्ग मीटर का अतिक्रमण था, उसे ही ध्वस्त किया गया। इस पर सीजेआई श्री चन्द्रचूड़ ने असंतोष प्रकट करते हुए कहा कि इस मामले में उसे न तो नोटिस दिया गया और न ही उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। यह पूरी तरह से सरकार की मनमानी है, अत्याचार है। 
                     सुप्रीम कोर्ट में चर्चा के दौरान सरकारी वकील ने बताया कि वहाँ 123 अवैध निर्माण थे। इस पर जस्टिस जस्टिस श्री जेबी पारदीवाला ने कहा    कि वे अवैध निर्माण है, इसका आाधार क्या है ? वे मकान वहाँ 1960 से है। आप 60 सालों से क्या कर रहे थे ? सीजेआई श्री चन्द्रचूड़ ने कहा कि हमारे पास हलफनामा है, जिसमें बताया गया है कि संबंधित को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था। आप केवल मौके पर पहुंचे। लाउड स्पीकर से सूचित किया और मौखिक सूचना कर 123 मकान ध्वस्त कर दिए गए। 
                   जस्टिस श्री जेबी पारदीवाला ने इस संबंध में कहा कि आपने उन्हें घर खाली करने तक का समय नहीं दिया। तोड़फोड़ में जो सामान टूटा उसका क्या ? उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना था। आप मौके पर जाकर ढोल बजाकर किसी को घर खाली करने का नहीं कह सकते। 
                    सीजेआई श्री चन्द्रचूड़ ने कहा कि इस पूरे मामले में गहन जाँच की जरूरत है। हम आश्चर्यचकित हैं कि जितना अतिक्रमण था, उससे ज्यादा की तोड़फोड़ की कार्रवाई क्यों की गई ? यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि बुलडोजर से तोड़फोड़ की कार्रवाई पूरी तरह से निरंकुश और कानून के अधिकार के बिना की गई। 
                    इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार को एक महीने में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने का आदेश भी दिया। यह भी स्पष्ट किया कि सरकारें अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वतंत्र हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फिर स्पष्ट किया कि तोड़फोड़ की कार्रवाई के संदर्भ में पिछले दिनों देशभर के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो दिशा निर्देश जारी किए गए थे, उसका सख्ती से पालन किया जाए। 
                उल्लेखनीय है कि देश में सबसे पहले उत्तरप्रदेश में योगी सरकार ने अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाने की संस्कृति इजात की थी। उत्तरप्रदेश सरकार की यह कार्रवाई देश भर में काफी चर्चित रही है। वहाँ अनेक घरों पर बुलडोजर द्वारा तोड़फोड़ की गई। किन्तु एक फरियादी मनोज टिबरेवाल द्वारा सुप्रीम कोर्ट को लिखे एक पत्र को आधार बनाकर कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उत्तरप्रदेश सरकार से जवाब मांगा था। इस बुलडोजर संस्कृति को मध्यप्रदेश में भी शिवराज सरकार ने अनेक जगहों पर लागू कर अनेक घर ध्वस्त किए थे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तोड़ फोड़ पर दिशा निर्देश जारी करने के बाद अब उम्मीद की जा सकती है कि अब राज्य सरकारें बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए घरों पर रातोंरात बुलडोजर चलाने से बाज आयेगी। 
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