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मध्य प्रदेश में अंधों का हाथी ! -कीर्ति राणा (वरिष्ठ पत्रकार)


 कही-सुनी / कीर्ति राणा (वरिष्ठ पत्रकार)      

  मध्य प्रदेश में अंधों का हाथी ! 
सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी तो ‘अंधों का हाथी’ व्यंग्य लेखन से भी पहचाने जाते थे उसी राज्य में एक साथ दस हाथियों की संदेहास्पद मौत से मध्यप्रदेश पूरे देश में चर्चित हो गया है। मुख्यमंत्री,  यादव समाज के हैं तो गोवर्धन पूजा के सभी जिलों में भव्य आयोजन इस समाज के मवेशी प्रेम का सम्मान और गौमाता के प्रति अपना प्रेम दर्शाना भी हो सकता है। किंतु सीएम का दिल हाथियों की अकाल मौत से भी विचलित होता है।मुख्यमंत्री ने आम आदमी की तरह ही प्रतिक्रिया व्यक्त की है कोदो खाने से भी दस हाथियों की मौत हो सकती है यह समझ से परे है।सीएम की सख्ती के कारण वन विभाग का अमला बांधवगढ़ में डेरा डाले हुए है, विभागीय मंत्री भी विचलित हैं लेकिन हाथियों की मौत का असली कारण सामने नहीं आया है।  है। इतने हाथी काल का शिकार हो जाएं तो आम आदमी का भी चिंतित होना स्वाभाविक है। 

वन विभाग बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पार्क प्रबंधन के दस जंगली हाथियों की जहरीली कोदो फसल खाने से हुई मौत को इस गांव सलखानिया के ग्रामीण सफेद झूठ इसलिये बता रहे हैं कि वन विभाग ने कोदो की जिस फसल को नष्ट कराया वहीं फसल दो दिन तक इनके मवेशी खाते रहे किंतु किसी मवेशी की मौत नहीं हुई।मुख्यमंत्री की सख्ती है तो सतत जांच चल भी रही है वरना तो टाइगरों की संदिग्ध मौत मामले का हल्ला भी दो-चार दिन में ठंडा पड़ जाता है। 
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 चुरहट से उठा दर्द 
रीवां में पांचवी रीजनल कॉन्क्लेव करने पहुंचे सीएम को 30,814 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं।सरकार और भाजपा के लिये तो ये खुशी बढ़ाने वाले प्रस्ताव हैं।लेकिन चुरहट विधायक अजय सिंह का दर्द भी उभरा है कि सरकारी आयोजनों में कांग्रेस विधायकों को नहीं बुलाना अलोकतांत्रिक है।नेता प्रतिपक्ष रहे अजय सिंह का दर्द स्वाभाविक भी है खुद उनका दल तवज्जो देता नहीं तो कम से कम सत्ता पक्ष तो उनका मान-सम्मान बढ़ाए। 
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 चंदू काका के साथ चोंट 
प्रदेश कांग्रेस में महासचिव चंदू अग्रवाल (काका) को उम्मीद नहीं थी कि जीतू पटवारी खुन्नस पाल कर बैठे हैं।प्रदेश कांग्रेस कमेटी के गठन की सुगबुगाहट के बीच पूर्व सीएम कमलनाथ ने उनका नाम प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के लिए दे दिया है यह जानकारी कमलनाथ के कार्यालय से चंदू काका को मिल गई थी।वो निश्चित थे कि अब बस घोषणा होना ही बाकी है। प्रदेश समिति घोषित हुई तो अन्य कई वरिष्ठ दावेदारों की तरह उन्हें भी झटका लगा, अपनी नियुक्ति ना होने से अधिक उन्हें दर्द यह था कि पूर्व सीएम को भी झटका दे दिया।चंदू काका के समर्थक उन्हें सलाह दे रहे हैं कि आप तो प्रदेश महासचिव वाली नेम प्लेट के आगे इतने छोटे अक्षर में पूर्व लिखा लो कि पास से भी नहीं दिखे। 
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  ‘पुष्पा’ ने दिया आयडिया
बीते साल की सुपर-डुपर हिट फिल्म पुष्पा में दूध के टैंकर का चंदन लकड़ी की तस्करी के लिये उपयोग करने वाला दृश्य था।इस आयडिये को शराब तस्करों ने भी अपना लिया लेकिन पानी के टैंकर में ले जाई जा रही 12 लाख रु मूल्य की 81 पेटी अवैध शराब गंतव्य स्थल जोबट तक पहुंचे उससे पहले पीथमपुर के बगदून थाना क्षेत्र में टीआई राजेंद्र सोनी की टीम ने पकड़ ली।
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 शंकराचार्य की प्रतिमा से बतियाता अंधियारा 
अभी कोई विधानसभा चुनाव तो है नहीं, नगर निकाय, पंचायत चुनाव में शंकराचार्य के जिक्र से कोई विशेष लाभ भी नहीं मिलना है।शिवराज सरकार के वक्त ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थल का खूब गुणगान हुआ था लेकिन दीपावली पर यही प्रतिमा अमावस के अंधेरे का दर्द झेलती रही। जिला प्रशासन से लेकर धर्म-संस्कृति के जिम्मेदारों को याद ही नहीं रहा कि प्रतिमा स्थल क्षेत्र को भी रोशन करना चाहिए।शंकराचार्य ने भले ही मत-मतांतर के अंधेरे में घिरे समाज की राह रोशन की हो किंतु गहन अंधकार उनकी प्रतिमा से बतियाता रहा रोशनी के महापर्व पर। 
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 ऑफबीट शिव शेखर शुक्ला
जनसंपर्क विभाग ने मप्र संदेश का कलेवर बदलने के साथ ही इसमें प्रकाशित की जाने वाली सामग्री चयन में भी नवाचार किया है।दूसरी तरफ प्रमुख सचिव पर्यटन-संस्कृति  शिवशेखर शुक्ला ने भी टूरिज्म बोर्ड के एमडी की हैसियत से हर तीन महीने में ‘ऑफ बीट मध्यप्रदेश नाम से न्यूज लैटर का प्रकाशन शुरु कर दिया है।इस न्यूज लैटर के माध्यम से देश-विदेश के पर्यटकों को राज्य के पर्यटन स्थलों की जानकारी मिलती रहेगी। 
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चुनाव व्यवस्था में बदलाव से किस का भला ?
मध्य प्रदेश में चुनावी व्यवस्था में बदलाव की संभावना बढ़ गई है।स्थानीय निकायों के अब जो चुनाव होना है उससे इस बदली व्यवस्था की शुरुआत हो सकती है। जिला पंचायत, जनपद पंचायत और नगर परिषदों के अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराने की तैयारी शुरू हो गई है। ऐसा होने पर अध्यक्ष के चुनाव में निर्वाचित सदस्यों की भूमिका भी शून्य हो जाएगी।
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 दूसरा दरवाजा खुला 
कहां तो स्वाति काशिद को इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक तीन से भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था लेकिन पति युवराज के आपराधिक रिकार्ड का हल्ला मचने के कारण उनके बदले गोलू शुक्ला को टिकट दिया गया। 
उम्मीदों का एक दरवाजा बंद होने के बाद भी उनकी सामाजिक सक्रियता बनी रहने का ही परिणाम रहा कि पुणे में हुए अखिल भारतीय महिला मराठा महासंघ के सम्मेलन में स्वाति काशिद को राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत कर दिया गया।इस दूसरे दरवाजे के खुलने का परिणाम यह हुआ कि राष्ट्रीय स्तर पर तो उनका कद बढ़ा ही लंबे समय से महिलाओं को संगठित करने में उनकी भूमिका को भी स्वीकार्यता मिल गई। 

वन मेन आर्मी 
सूत्रधार संस्था के सत्यनारायण व्यास को वन मेन आर्मी का तमगा दिया जा सकता है। इसकी वजह यह कि अकेले अपने दम पर वे पिछले दो साल से हर शनिवार प्रेस क्लब में कविता कोना पोस्टर के जरिये सुप्रसिद्ध कवियों की रचना का पोस्टर विमोचित कराने के साथ ही कवि के काम को लेकर चर्चा भी करवाते हैं।22 अक्टूबर 22 को पहले कविता पोस्टर की आनन-फानन में शुरुआत हुई थी। तब वजह यह बनी थी कि यह कविता पोस्टर अहिल्या लायब्रेरी वाले उद्यान में शुरु होना था लेकिन लायब्रेरी की संचालक के इगो के चलते इसकी अनुमति भी निरस्त कर दी गई।तब एसएन व्यास के कंधे पर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने हाथ रखा, तब से यह सिलसिला चल रहा है। कविता पोस्टर के अलावा व्यास समय समय पर फिल्मों का प्रदर्शन, नाटक, कविता आदि के आयोजन भी कराते रहते हैं।    
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 बुजुर्गों के लिए समर्पित त्रिदिवसीय नाट्य समारोह 
सरकार जब बुजुर्गों के भले के लिये चिंतित रहती है तो भोपाल की मंडप साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संस्था क्यों पीछे रहे। यह संस्था 27 से 29 दिसंबर तक भोपाल में बुजुर्गों के लिए, बुजुर्गों को समर्पित और बुजुर्गों पर ही आधारित 3 दिवसीय नाट्य समारोह का आयोजन करने जा रही है। पहले दिन स्व. केजी त्रिवेदी द्वारा निर्देशित नाटक 'बस इतना सा ख्वाब है' दूसरे दिन असीम कुमार दुबे के निर्देशन में नाटक 'कालचक्र' और अंतिम दिन बालेन्द्र सिंह के निर्देशन में नाटक 'संक्रमण' का मंचन किया जाएगा। मंडप के निर्देशक असीम कुमार दुबे और अन्य रंगकर्मी वृद्धाश्रम में जीवन व्यतीत कर रहे बुजुर्गों को अपने साधनों से नाटक देखने के लिए आमंत्रित करेंगे। यही नहीं समारोह से होने वाली आमदनी भी इन आश्रम को दान करेंगे।

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