बैक टू विलेज, बजरिये गोवर्धन पूजन-निरुक्त भार्गव (वरिष्ठ पत्रकार)
बैक टू विलेज, बजरिये गोवर्धन पूजन
(निरुक्त भार्गव) (वरिष्ठ पत्रकार)
प्रत्येक भारतीय त्योहार का महत्व स्वयंसिद्ध है क्योंकि उसमें आम जन की मान्यता, आस्था, पौराणिक आख्यान, ज्ञान -विज्ञान, इतिहास और संस्कृति कूट-कूट कर समाहित होती है! जो मध्य प्रदेश 01 नवंबर को अपना ‘स्थापना दिवस’ मनाने जा रहा है, उसके इतिहास में ये पहली बार हो रहा है कि इस दिन “गोवर्धन पूजा” के लिए ‘शासकीय अवकाश” की घोषणा की गई. क्या यह पहल करके मोहन यादव सरकार ने सर्वहारा वर्ग के लोगों को अर्थ तंत्र का सारथी बना दिया है...?
गोवर्धन पूजा एक हिंदू त्योहार है जो कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पहली चंद्र तिथि को दिवाली के चौथे दिन मनाया जाता है. नर-नारी गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में कई प्रकार के शाकाहारी भोजन तैयार करते हैं और श्रीकृष्ण को चढ़ाते हैं. वैष्णवों के लिए यह दिन भागवत पुराण में उस घटना का स्मरण कराता है जब कृष्ण ने वृंदावन के ग्रामीणों को मूसलाधार बारिश से आश्रय देने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाया था. यह सन्दर्भ भगवान द्वारा उन भक्तों को सुरक्षा प्रदान करने का उद्घोष है जो एकमात्र उनकी शरण लेते हैं. भक्तगण श्री कृष्ण जी को अनुष्ठान के स्वरूप में छप्पन प्रकार के भोजन का एक पहाड़ चढ़ाते हैं, जो सांकेतिक तौर पर गोवर्धन पर्वत का प्रतिनिधित्व करता है और उनकी शरण में जाने के प्रति अपने विश्वास को नई ऊर्जा प्रदान करता है! इस त्योहार को पूरे भारत और विदेशों में भी अधिकांश हिंदू संप्रदायों द्वारा उत्साहपूर्वक मनाया जाता है.
गोवर्धन पूजा का हिंदू पौराणिक गाथाओं में विस्तृत वर्णन मिलता है, लेकिन इसका गौरवशाली प्राचीन और सांस्कृतिक महत्व भी है. यह मनुष्य और प्रकृति के बीच पारस्परिक संबंधों पर जोर देता है. इस विचार को भी बढ़ावा देता है कि असल में “समृद्धि” पर्यावरण और उसके द्वारा प्रदत्त संसाधनों का सम्मान करने से आती है! बहुत-ही पुराना दौर था जब कृषि प्रधान समाज अपने भरण-पोषण के लिए बारिश, मिट्टी और मवेशियों जैसे प्राकृतिक तत्वों पर बहुत अधिक निर्भर था. और इसलिए, गोवर्धन पूजा जैसे त्योहार भिन्न-भिन्न समुदायों को कुदरती शक्तियों के प्रति आभार व्यक्त करने और नैसर्गिक संसाधनों के निरंतर उपयोग को प्रोत्साहित करने के तरीके थे!
“गाय” वैदिक संस्कृति से ही एक विशिष्ट स्थान रखती है और भगवान कृष्ण, जो एक ग्वाले थे, से संबंधित आख्यान देखें तो गाय अप्रतिम मानी गईं! गोवर्धन पूजा पर गायों की पूजा धन, समृद्धि और जीविका के प्रतीक के रूप में की जाती है. भक्त गायों को नहलाते हैं और उन्हें पुष्पों की मालाओं और विविध रंगों से सजाते हैं और फिर अनुष्ठान के हिस्से के रूप में उन्हें विशेष भोजन देते हैं! देश के कुछ इलाकों में, खासकर ग्रामीण परिदृश्य में, गोवर्धन पूजा के साथ पशु मेले भरते हैं. इस तरह के मेले किसानों को उन पशुओं का सम्मान करने का एक तरीका प्रदान करते हैं जो उनकी आजीविका में असरकार भूमिका निभाते हैं.
हमारा देश दूध उत्पादन में दुनिया में अव्वल है और इस सफलता में पशु धन का अविस्मरनीय योगदान है, जो दर्शाता है कि भारत में दूध उत्पादन अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने की स्टेज पर है! मध्य प्रदेश देश के कुल दूध उत्पादन का 9 से 10 प्रतिशत उत्पादन करता है, जिसे थर्ड रैंकिंग प्रदान की गई है. ये राज्य हर दिन 5.5 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है. दूध उत्पादन लाखों ग्रामीणों और महिलाओं के लिए रोजगार का जरिया है.
मध्य प्रदेश में किसानों और पशुपालकों को लाभ पहुंचाने के लिए दो तरह की गौ-शालाएं हैं, निजी और सरकारी. प्रदेश में निजी संस्थाओं की कुल 618 मान्यता प्राप्त गौ-शालाएं हैं जिनमें करीब डेढ़ लाख गाय हैं. सरकारी जमीन पर बनी 1800 गौ-शालाएं हैं जिनमें करीब 2.80 लाख गाय हैं. मुख्यमंत्री मोहन यादव गोवर्धन पूजा के महत्व को स्थानीय संस्कृति और समाज के लिए खास बताते हैं. वह इस पर्व को सिर्फ धार्मिक आयोजन के तौर पर ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, कृषि और पशुधन के प्रति समाज की जिम्मेदारी के प्रतीक के तौर पर भी देखते हैं.
.....000.....