गाँधी के देश में अपराधी का महिमामंडन- रंजन श्रीवास्तव
गाँधी के देश में अपराधी का महिमामंडन
रंजन श्रीवास्तव /भोपाल
अभी कुछ दिन पूर्व ही हम लोग शरद ऋतु में देवी की आराधना करने के बाद दीपावली त्यौहार मनाने की तरफ आगे जा रहे हैं, जो प्रतीक है असत्य पर सत्य की विजय की। देवी की आराधना का भी प्रमुख तत्त्व है दैवीय शक्तियों द्वारा लोकमंगल हेतु आसुरी शक्तियों का विनाश करना। देवी आराधना करते हुए उनके माहात्म्य पाठ में जिन आसुरी शक्तियों का उल्लेख होता है और जिनके प्रति हमारे मन में तिरस्कार का भाव होता है वह भाव आसुरी शक्तियों का महिमामंडन कैसे कर सकता है यह समझ के परे है। सन्दर्भ एक अपराधी का है जो जेल में बंद है पर सरकार और सत्ता को खुलेआम चुनौती देते हुए लोगों को जान से मारने की धमकी ही नहीं देता है बल्कि एक पूर्व मंत्री की हत्या की जिम्मेदारी भी लेता है। पर इससे ज्यादा चिंताजनक है समाज के एक वर्ग द्वारा उस अपराधी का महिमामंडन। सोशल मीडिया पर पोस्ट और वीडियो उस अपराधी को 'अपना हीरो' बताते हुए चलाया जा रहा है। यह एक बहुत ही खतरनाक प्रवृति है। लॉरेंस बिश्नोई जो कि पिछले 9 सालों से जेल के अंदर है और वर्तमान में गुजरात के साबरमती जेल में है कई हत्याओं में शामिल बताया जाता है। ऐसा कहा जा रहा है कि उसके गैंग में लगभग 700 शूटर्स जो कि उसके इशारे पर लूट,हत्या, हत्या का प्रयास, आगजनी, धमकी देकर पैसा उगाही इत्यादि अपराधों को कारित करते हैं। वर्तमान में भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में आयी खटास के पीछे भी लॉरेंस बिश्नोई का गैंग है जिसने कनाडा में खालिस्तान आंदोलन से जुड़े हरदीप सिंह निज्जर की कथित रूप से हत्या की। हत्या की जांच की आंच भारत सरकार तक पर आ रही है और इसकी वजह से दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तनातनी है। भारत के लिए चिंता की बात यह भी है कि अमेरिका और ब्रिटिश सरकारों से भी इस मामले में कनाडा को सहयोग मिल रहा है। राजनयिक रिश्तों का बनना बिगड़ना अपनी जगह है पर चिंता की बात यह है कि जिस तरह से समाज का एक वर्ग इस अपराधी का महिमामंडन कर रहा है जैसे वह हमारे हितों का रक्षक है और उसका समाज के एक अन्य वर्ग के लोगों के खिलाफ हमला देश के हितों की रक्षा में किया जाने वाला महान कार्य है, वह बताता है कि समाज में अपराध और अपराधियों के प्रति हमारा दृष्टिकोण पूर्वाग्रहों से ग्रसित हो रहा है। पर किसी के भी प्रति घृणा से उपजी हीरो वरशिप में हम यह भूल जाते हैं कि अगर समाज में भस्मासुर पैदा होंगे तो अंततः वे उनके जान के ही पीछे पड़ेंगे जिन्होंने भस्मासुर को अमर रहने का वरदान दिया हुआ है। महिषासुर, रक्तबीज, चंड और मुंड, शुम्भ और निशुम्भ के निशाने पर दैवीय शक्तियाँ ही थीं, ना कि आसुरी शक्तियां। वस्तुतः लॉरेंस विश्नोई तथा इस जैसे अन्य अपराधी अपने आपको बचाने के लिए और अपना महिमामंडन कराने के लिए किसी ना किसी पक्ष या विचारधारा की तरफ दिखने की कोशिश करते हैं। जैसे दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकवादी ने डी कंपनी बनाकर, एक समुदाय विशेष का हीरो बनने की कोशिश करके और भारत के विरुद्ध अपराध करके पाकिस्तान जैसे देश में पनाह पा लिया । उसी तर्ज़ पर लॉरेंस बिश्नोई अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। लॉरेंस के गैंग में 700 शूटर्स का मतलब है कि वह भी एक कंपनी बनाकर उसके हेड के तौर पर जेल के भीतर से अपना ऑपरेशन चला रहा है । बाबा सिद्दीकी जैसे राजनेताओं की हत्या के बाद उसका सन्देश साफ़ है कि उसके अस्तित्व और ताकत को कम आंकने की कोशिश कोई भी ना करे चाहे वह सलमान खान हों या कोई और। इस देश में बिना राजनीतिक प्रश्रय के किसी भी अपराधी का फलना फूलना असंभव है। राजनीतिज्ञों को इससे कोई मतलब नहीं है कि वह अपराधी आगे चलकर समाज और देश का कितना नुक्सान करेगा। जनरैल सिंह भिंडरावाले, दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, हरिशंकर तिवारी, वीरेंद्र शाही, श्रीप्रकाश शुक्ला, अतीक अहमद, शहाबुद्दीन, मुख़्तार अंसारी, सूरजभान और ना जाने कितने नाम हैं जिनका प्रभाव बिना राजनीतिक प्रश्रय के बढ़ना मुश्किल था। राजनीतिज्ञ यह भूल गए हैं कि पहले अपराधी उनके रहम-ओ-करम पर थे पर पिछले कुछ दशकों में अपराधियों ने राजनीती में अपनी गहरी पैठ बना ली है और अगर राजनीतिज्ञ समय पर जागृत नहीं हुए तो वह दिन दूर नहीं जब अपराधियों का वर्चस्व राजनीतिपर इतना हो जायेगा कि राजनीतिज्ञों के लिए राजनीति पर फिर से अपनी पकड़ बनानी मुश्किल हो जाएगी। पर खतरा सिर्फ यही नहीं है। अपराधियों का वर्चस्व राजनीति पर मजबूत होने से समाज में जो तांडव मचेगा उसकी कल्पना हम आसानी से कर सकते हैं। समय की यह मांग है कि सरकार अपनी ताकत दिखाए और अपराधियों को उनकी जगह दिखाए। एक सन्देश जाना चाहिए कि अपराधी कोई भी हो वह देश और कानून से ऊपर नहीं हो सकता और उसकी जगह जेल के अंदर ही है जहाँ से वह अपना शासन नहीं चला सकता।