धर्मांतरण नहीं नामकरण !-कीर्ति राणा (वरिष्ठ पत्रकार )
कही-सुनी / कीर्ति राणा (वरिष्ठ पत्रकार )
धर्मांतरण नहीं नामकरण !
प्रदेश के आईएएस नियाज खान वैसे तो लोक निर्माण विभाग में उप सचिव हैं लेकिन उनकी असल पहचान तो सनातनी धर्म की खुल कर वकालत करने वाले उपन्यासकार के रूप में है।इसके बाद भी उनकी चिंता है यूएसए, यूएई में जो किताबें वे भेजते रहे हैं, वे रिजेक्ट होती रही हैं।काफी खोजबीन के बाद उन्हें लगा कि इसमें सबसे बड़ी बाधा तो उनके नाम से मुस्लिम होने का आभास है।खुद ने ही हल यह खोजा है कि पुराने उपन्यासों में प्रकाशकों से अपना नामकरण माइकन ए करवा लिया जाए।धर्मांतरण से बेहतर इस नामकरण से उनके लेखन की उन देशों में भी सराहना होने लग जाए।
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ट्रिपल सी वाले सीएस
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने प्रशासन
को सख्त बनाने की दिशा में काम शुरू
कर दिया है। इसके लिए उन्होंने केंद्र
सरकार के सी-3 फार्मूले
कम्यूनिकेशन, कोआर्डिनेशन और
को-ऑपरेशन को प्रदेश में लागू करने
का निर्णय लिया है। जैन की मंशा है कि
प्रदेश के अधिकारी केंद्र सरकार के
सी-3 फार्मूले पर काम करें, ताकि
विकास को गति मिल सके और प्रदेश
की जनता को सुशासन का अहसास
हो।जिलों में कलेक्टर-एसपी सीधे जनता से जुड़ेंगे तो जाहिर है उन्हें खुद पता चलेगा कि कहां कहां गड़बड़ी चल रही है।
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रसमलाई में कंकर आ गया
नए सदस्य बनाने का भाजपा में रस बरस रहा था कि रसमलाई में ही कंकर तब निकल आया जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया के मोबाइल पर उन्हें भाजपा का सदस्य बनाए जाने का मैसेज भेज दिया!
मोबाइल में आए इस मेसेज पर घनघोरिया का कहना था भाजपा का सदस्यता अभियान अब फर्जी और आंकड़ों की जादूगरी के साथ, नेताओं द्वारा ठेके पर नंबर बढ़ाने के सिवा और कुछ नहीं रह गया है ।
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सुधार के लिये हुलिया बदलने की कवायद
महाकाल मंदिर में भस्म आरती करवाने और शीघ्र दर्शन कराने के नाम पर दर्शनार्थियों से वसूली करने वाले वाले दलालों का पता लगाने और दर्शन प्रक्रिया का औचक निरीक्षण करने के लिये मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ हुलिया बदल कर पहुंच गए।गले में लाल दुपट्टा और मुंह पर मास्क लगाए धाकड़ को पंडे-पुजारी भी नहीं पहचान पाए।आम श्रद्धालुओं को सुगमता से दर्शन के लिए प्रशासक ने कर्मचारियों को निर्देश भी दिए।प्रशासक का यह कदम सराहनीय तो है लेकिन व्यवस्थाओं को धता बता कर वीआयपी होने का रुआब दिखाकर गर्भगृह में पूजन-अभिषेक-आरती करने वालों को तो बगैर वेष बदले भी पहचाना जा सकता है, इस मामले में तो पूरा प्रशासन आंखें मूंदे रहता है।
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सीएमओ को कौन समझाए ?
अठाना नगर परिषद के सीएमओ जगजीवन शर्मा के लिये तो बहुत सामान्य बात है लेकिन उन्हें कौन समझाए कि मुख्यमंत्री को ऐसी सामान्य गलतियां भी पसंद नहीं।पालिका कर्मचारियों ने जिंदा मोहनी बाई बैरागी को दो साल पहले मृत मानकर पेंशन बंद कर दी और इसी नाम की जो महिला दिवंगत हो चुकी है उसकी पेंशन शुरु कर दी। जिंदा मोहनी बाई का पोता दो साल से अपनी दादी को जिंदा साबित करने के साथ ही बंद पेंशन चालू कराने के लिये नगर पालिका की परिक्रमा कर रहा है।
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भूत के घेरे में मेडिकल कॉलेज डीन
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ संजय दीक्षित ने सपने में नहीं सोचा होगा कि रिटायरमेंट के अंतिम महीने में भूतिया पार्टी वाला भूत उनकी छवि पर बट्टा लगा देगा। पोलिटिकल प्रेशर में ‘केईएम भवन देखने’ की अनुमति देने वाले डॉ दीक्षित कोशिश करते रहे कि उन प्रभावी लोगों के नाम उजागर न हो लेकिन हकीकत कितने दिन छुपती।लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट मिलने के बाद दिनदहाड़े भाजपा में शामिल होने वाले अक्षय कांति बम ने इस पार्टी में दमदारी से शामिल होकर चर्चा में बने रहने का दूसरा मौका भी खुद ही तलाश लिया। एमजीएम कॉलेज पूर्व छात्र एसोसिएशन, मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन,एमजीएम और आईएमए इंदौर चेप्टर से जुड़े डाक्टरों ने पुलिस को लिखित शिकायत तो दे दी है लेकिन उन्हें भी पता है कि डीन पर जैसा प्रेशर था वैसा ही पोलिटिकल प्रेशर पुलिस पर भी तो रह सकता है।
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खरी-खरी सुनाने का साहस
इंदौर शहर कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव कांग्रेस के टिकाऊ नेता माने जाते हैं, इसीलिये दिग्विजय सिंह हों या कोई और आमने-सामने बात करने, अपना पक्ष रखने से भी पीछे नहीं हटते।कार्यकर्ताओं को साथ लेकर पहुंचे यादव चाहते थे कि दिग्विजय सिंह उन सब के साथ फोटो करा लें।जब दिग्विजय उन्हें चुनाव जिताने की सीख देने लगे तो यादव ने चिट्ठी लिख डाली कि बम, मांधवानी जैसे नयेनवेलों को क्यों टिकट दिया ये लोग तो भाजपा में चले गये।मेरी बेइजज्ती करने से पहले यह जान लें कि मैं दशकों से कांग्रेस के ही साथ हूं।
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अब क्या जरूरत…!
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में मंत्री बनाये जाने की उम्मीद में शामिल हुए अमरवाड़ा के विधायक कमलेश शाह को भी लगने लगा है कि भाजपा को अब उनकी जरूरत नहीं है। सही भी है सरकार बन चुकी है, छिंदवाड़ा में नाथ और उनके बेटे की जमीन खोखली करने का अभियान सफल हो ही गया है, भले ही उसमे कमलेश शाह का सहयोग रहा हो लेकिन पार्टी ने मंत्री बनाने के लिये उपयुक्त माना भाजपा में शामिल हुए विजयनगर विधायक रामनिवास रावत को।
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आसमान से गिरीं, खजूर में अटकीं
‘दो आरजू में कट गए, दो इंतजार में’ का अर्थ बीना से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे से बेहतर कोई क्या समझेगा।सप्रे ने भाजपा में शामिल होने का जब मन बनाया तो उनके समर्थक मान कर चल रहे थे मंत्री पद भी मिल जाएगा लेकिन भाजपा ने एंट्री पास जारी ही नहीं किया।ना उधर की रहीं ना इधर की निर्मला अपना दुखड़ा सुनाएं भी तो किसे, कांग्रेस ने तो उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और भाजपा नेताओं को उनकी खैरियत पूछने का वक्त ही नहीं मिल रहा है।
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बुधनी की सीट पर शिवराज का रुमाल
बस के सफर में अपने किसी साथी के लिये सीट रोकने के लिए उस सीट पर रुमाल रख दिया जाता था कुछ ऐसा ही बुधनी सीट पर रमाशंकर भार्गव के साथ हुआ है। केंद्रीय मंत्री की शपथ लेने के बाद शिवराज सिंह के इस्तीफे से रिक्त हुई बुधनी सीट पर भाजपा से जो संभावित प्रत्याशियों के नाम चल रहे थे उनमें शिवराज सिंह पुत्र कार्तिकेय के लिये प्रयासरत थे। परिवारवाद के आरोपों के चलते टिकट नहीं मिला तो इस सीट से रमाकांत भार्गव के नाम की पैरवी कर के अगले चुनाव में कार्तिकेय के लिये एक तरह से सीट सुरक्षित तर ली है। भार्गव वृद्ध है, शिव-साधना उनकी चरणवंदना करते हैं। यदि किसी युवा को टिकट मिल जाता तो अगले चुनाव में कार्तिकेय की दावेदारी प्रभावित हो जाती। वैसे नाम घोषित होने से पहले भार्गव ने जिस तरह चुनाव रथ के साथ खुद को प्रत्याशी घोषित कर दिया था वह सब भी शिवराज से मिले संकेत का ही नतीजा था।संभावना तो यह भी है शिवराज को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व मिलने के भी आसार हैं , ऐसे में एक टिकट तो अपने बेटे के लिये मांग ही सकते हैं।
किरार जाति बहुल इस सीट से कांग्रेस ने राजकुमार पटेल को मौका दिया है अब यह चुनाव कशमकश वाला हो सकता है।
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विजयवर्गीय की खरी-खरी
भाजपा में जो नेता अपनी दबंग शैली के लिये जाने जाते हैं उनमें पहला नाम तो विजयवर्गीय का ही आता है। इसे उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है। मुख्यमंत्रीइंदौर के प्रभारी मंत्री मोहन यादव जिस मंच से अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे थे उसी मंच से विजयवर्गीय ने इंदौर के पुलिस प्रशासन को कटघरे में खड़ा करने के साथ ही प्रभारी मंत्री को भी कह दिया कि मुझे आप के जिले की पुलिस पर भरोसा नहीं है।यही नहीं नशे के कारोबार में प्रतापगढ़ का जिक्र करते हुए उन्होंने किसी का नाम भले ही नहीं लिया लेकिन राजस्थान की सीमा से लगे मप्र के शहर और डिप्टी सीएम का नाम लिये बगैर सब कुछ कह दिया।