कोटा में आत्महत्या के बढ़ते प्रकरण चिंता की बात
संदीप कुलश्रेष्ठ
राजस्थान के कोटा में देशभर से नीट यूजी की तैयारी करने वाले छात्र पहुँचते हैं। वहाँ उन पर इतना मानसिक दबाव रहता है कि वे मजबूरी में आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं। पिछले दिनों उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर निवासी आशुतोष चौरसिया ने अपने कमरे में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। इस साल कोटा में कोचिंग के छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने का यह 15वां प्रकरण है। दिनों दिन छात्रों के बढ़ते आत्महत्या के प्रकरण गहरी चिंता की बात है।
गत वर्ष 26 मामले -
कोटा में हर साल कोचिंग की तैयारी कर रहे छात्रों द्वारा मानसिक रूप से परेशान होने पर आत्महत्या के प्रकरण आते रहते हैं। गत वर्ष 2023 में आत्महत्या के ऐसे ही 26 मामले सामने आए थे। यह अपने आप में चिंता की बात है।
कोचिंग के भ्रमजाल से निकले छात्र -
पता नहीं छात्रों की मानसिकता में अब ऐसा क्या बदलाव हुआ है कि वे समझते है कि बिना कोचिंग के वे नीट यूजी में सिलेक्ट नहीं हो सकते। इसके लिए देशभर के माता-पिता अपने-अपने बच्चों को कोटा कोचिंग के लिए भेज देते हैं। कई पालक तो अपने बच्चों को कक्षा 8वीं के बाद ही 9वीं कक्षा से ही तैयारी करने भेज देते हैं। छात्र वहाँ 4 साल रहकर जहाँ हायर सेकेंडरी उर्त्तीण करता है, वहीं उनपर कोचिंग का भी दबाव रहता है। इससे वे अत्यधिक मानसिक दबाव में आ जाते हैं। किन्तु अनेक ऐसे प्रकरण भी आए हैं, जिसमें बिना कोचिंग के भी छात्रों ने अपने घर रहकर तैयारी की और सफलता प्राप्त की है। ऐसे प्रकरणों की जानकारी माता-पिता को छात्रों को देना चाहिए, ताकि वे कोचिंग के भ्रम जाल से बाहर निकले।
पालकों की भी है जिम्मेदारी -
सामान्यतः यह देखा गया है कि कक्षा 9वीं के बच्चें हो या 11वीं के, वे आगे क्या करना है ? यह सहज तय नहीं कर पाते हैं। इसके लिए माता-पिता ही उन्हें आईआईटी की तैयारी करने कोचिंग सेन्टर भेज देते है। राजस्थान का कोटा इसके लिए देशभर में कोचिंग का पसंदीदा स्थान है। माता-पिता को चाहिए कि वे पहले अपने साथ ही छात्रों को रखें और उच्च शिक्षा की तैयारी करवाएं तो निश्चित रूप से छात्र सफल हो सकेगा।
कोचिंग सेंटरों पर हो नकेल -
देशभर में विशेषकर कोटा में पढ़ रहे कोचिंग के छात्र जहाँ अपनी हायर सेकेंडरी की पढ़ाई करते हैं, वहीं उच्च शिक्षा की भी तैयारी करने में लगे रहते हैं। कोचिंग सेंटर अपने यहाँ के अधिक से अधिक बच्चों को सफलता दिलाने के लिए पढ़ाई का अत्यधिक बोझ डाल देते है। कोचिंग सेंटर में रोज अत्यधिक पढ़ाई के बाद उसे होमवर्क भी दे देते हैं। इससे छात्र आराम नहीं कर पाते हैं। इसके लिए राज्य सरकारों को चाहिए कि वे अपने राज्य के कोचिंग सेंटरां पर नकेल रखें, ताकि बच्चे अत्यधिक दबाव में ऐसा कोई कदम नहीं उठा पाए, जिससे बच्चे आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाए। इसके लिए राज्य सरकारों को कानून में बदलाव भी करना पड़े तो करना चाहिए।
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