बहू संग सास भी बैठी परीक्षा में, घड़ी में सही समय बताया तो मिले 8 अंक, मिला साक्षर सर्टिफिकेट
सीखने और पढ़ने की कोई उम्र नहीं इसीलिए शिक्षा विभाग ने उल्लास नवभारत साक्षरता अभियान की शुरूआत की। राज्य शिक्षा केंद्र के माध्यम से गांव-गांव, कस्बे में असाक्षर को खोजों, उन्हें पढ़ने के लिए स्कूल बुलाया, अलग से क्लास लगाई और आखिरकार जिन महिला-पुरुषों को अ अनार का नहीं आता था उन्होंने अपना नाम लिखना सीख लिया।
अक्षर पहचानने लगे। एक लाख महिला-पुरुष परीक्षा देकर साक्षर बन गए। उनके लिए परीक्षा सवाल में उन्हें घड़ी का चित्र दिखाया और पूछा इसमें देखकर समय बताओ। जिन्होंने सही समय बताया उन्हें 8 अंक मिले। अब हाल ही में 80 हजार लोगों ने परीक्षा दी है, जिन्हें लेकर उम्मीद जताई जा रही है कि इनमें 70 हजार तो पास होकर साक्षर बन ही जाएंगे।
राज्य शिक्षा केंद्र ने उल्लास नवभारत साक्षरता अभियान की शुरू किया है। इसमें 15 साल से लेकर 100 साल या उससे अधिक उम्र के भी महिला-पुरुष जो पढ़ना अर्थात साक्षर बनना चाहते है। उन्हें विकासखंड स्तर पर ही पढ़ना सिखाया जा रहा है। जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी ने इसके लिए सभी शासकीय स्कूलों के एचएम को नोडल अधिकारी बनाया है।
इनके माध्यम से पूरे जिले के 7 विकासखंड के 1312 परीक्षा केंद्रों पर साक्षरता के लिए परीक्षा दिलवाई गई। साल 2011 की जनगणना में 5 लाख 50 हजार असाक्षर लोग मिले थे। इसी के बाद राज्य शिक्षा केंद्र ने इन्हें हर हाल में साक्षर बनाने की दिशा में उल्लास साक्षरता अभियान शुरू किया। 2024 की शुरूआत में 1 लाख 9 हजार को परीक्षा दिलवा साक्षर बनाया। हाल ही में 80 हजार को परीक्षा दिलवाई। साल 2023 तक पूरे 5 लाख 50 हजार का साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा है।
राज्य शिक्षा केंद्र ने असाक्षर को साक्षर बनाने के लिए अभियान शुरू किया है, जिसमें 50 दिन में नवसाक्षर बनाने के बाद महिला-पुरुषों को साक्षर की परीक्षा दिलाई जा रही है। साक्षर बनने वालों को एनआईएस से सर्टिफिकेट मिलेगा, जिससे वे पांचवी व आठवीं की परीक्षा दे सकेंगे।
रमेश कुमार जैन, समन्वयक, साक्षरता मिशन