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रोज नल आएंगे या नहीं ? विषय - गंभीर


बारिश के बाद गंभीर डेम अपनी पूरी क्षमता यानी 2250 एमसीएफटी पानी के साथ भर चुका है। बावजूद इसके शहरवासियों को रोजाना जलप्रदाय नहीं किया जा रहा। उज्जैन का लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग शहर में एक दिन छोड़कर जलप्रदाय कर रहा है। जबकि रोजाना जल प्रदाय की मांग को लेकर कांग्रेस पार्षद भी प्रदर्शन कर चुके है, लेकिन नगर निगम पर इसका कोई असर नहीं हो रहा। न तो अधिकारी और न ही निगम के वे जिम्मेदार, जिन्हें जनता ने चुनकर भेजा था, वे ही इस बारे में कोई निर्णय ले कर पा रहे हैं।
पंपों में नहीं हो रहा सुधार
कांग्रेस शहर में रोज जलप्रदाय के लिए दबाव बना रही है। लेकिन निगम प्रशासन इस मामले में अब तक कोई निर्णय नहीं ले सका। इसकी एक वजह यह भी बताई जा रही है कि फिल्टर प्लांट के पंप ठीक नहीं हो सके हैं। इस कारण रोज जलप्रदाय में परेशानी उठाना पड़ रही है। कांग्रेस पार्षद दल भी गऊघाट स्थित वाटर प्लांट और अंबोदिया डेम स्थित प्लांट में जाकर भौतिक स्थिति जांच चुका है। गऊघाट पर 11 में से 7 पम्प खराब पाए गए। ऐसे ही हाल अंबोदिया प्लांट पर मिले, जहां 3 पम्प बंद पड़े हुए थे। इससे ये तो साफ है कि ऐसी कमजोर व्यवस्था से शहर की 44 पानी की टंकियों को भरा जाना आसान नहीं है।
पांच माह से पम्प हैं खराब
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 5 महीने से एक दिन छोड़कर जल प्रदाय किया जा रहा है। पहले पानी नहीं होने का बहाना था, अब महापौर कह रहे हैं कि पंप बंद पड़े हैं। तो पिछले 5 महीने से पंपों को ठीक क्यों नहीं करवाया गया। जबकि निगम में भाजपा का बोर्ड है, प्रदेश में उनकी ही सरकार, तो फिर किससे स्वीकृति का इंतजार रहता है। मुख्यमंत्री के गृह नगर में सरकारी तंत्र यदि पर्याप्त पानी नहीं दे पा रहा, वो भी तब, जब के बांध पूरा भरा हुआ है, तो प्रदेश के बाकी जिलों में क्या हाल होगा।
ये है नया सगूफा
नगर निगम का भाजपा का बोर्ड प्रतिदिन जलप्रदाय को लेकर कोई निर्णय नहीं ले पा रहा और उनकी नाकामी के चलते लोगों को पेयजल से जुड़ी दिक्कतों का समाना करना रहा है। इसी बीच एक नया सगूफा सामने आया कि बारिश और ठंड में पानी की आवश्यकता कम होने से अभी एक दिन छोड़कर ही जल प्रदाय किया जाए। इसके बजाए गर्मी में पानी की जरूरत अधिक होने के चलते उन्हीं दिनों में पूरी क्षमता से शहर में जलप्रदाय किया जाए। बहरहाल नगर सरकार इस सुझाव पर भी विचार करने की बात कर रही है। इसे लेकर महापौर मुकेश टटवाल ने पीएचई के अफसरों से रिपोर्ट मांगी है कि बारिश और ठंड में एक दिन छोड़कर जलप्रदाय जारी रखा जाता है तो क्या गर्मी में पूरी क्षमता से हर दिन जलप्रदाय किया जा सकेगा ?
जनता से होती है सरचार्ज के साथ वसूली
नगर पालिक निगम, भले ही शहरवासियों को एक दिन छोड़कर पानी दे, या दो दिन छोड़कर, बिल तो पूरे माह का दिया जाता है, वो भी नियम और शर्तों के साथ। यदि किसी माह में आप नल का बिल समय पर जमा नहीं करवा पाते तो सरचार्ज (पैनल्टी) के साथ आपको पैसा जमा करवाना पड़ता है। इसमें आपको एक आने का लाभ नहीं मिलता, भले ही आपने पूरे माह में 15 दिन ही पानी लिया हो, या कभी कभार किसी तकनीति समस्या के चलते एक दिन छोड़कर भी नल में पानी नहीं आया हो, लेकिन बिल तो आपको पूरा ही जमा करना पड़ेगा। इसमें आपको किसी तरह की कोई रिआयत नहीं मिलेगी।
नए विकल्प की जरूरत
उज्जैन के गंभीर बांध की क्षमता 2250 एमसीएफ़टी है। वर्तमान में यही बांध उज्जैन शहर की जलापूर्ति का मुख्य जरिया है। 1990 के आसपास जब गंभीर डेम बनाया गया था, तब दावा किया गया था कि इससे उज्जैन शहर को 2 साल तक पानी पिलाया जा सकता है। उस समय शहर की जनसंख्या पौने चार लाख के करीब थी। विगत 34 वर्षों में शहर की आबादी इस कदर बढ़ी कि यहां से एक वर्ष का पानी सप्लाय करना भी संभव नहीं हो पाता। ऐसे में एक वैकल्पिक व्यवस्था की दरकार है, जो जरूरत पढ़ने पर गंभीर की तरह अकेले ही एक साल तक शहर की प्यास बुझा सके।

 

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