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बारिश और ठंड में एक दिन छोड़कर ही पानी देना ठीक, गर्मी में पूरी क्षमता से रोज जलप्रदाय करेंगे


महापौर मुकेश टटवाल द्वारा पीएचई अफसरों से मांगी गई रिपोर्ट के प्रमुख बिंदुओं पर विचार करने के बाद, निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए:

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु और संभावित विश्लेषण:

  1. पानी का वाष्पीकरण:

    • विश्लेषण: वाष्पीकरण दर मौसम और जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करती है। बारिश और ठंड के मौसम में वाष्पीकरण दर कम हो सकती है। लेकिन, गर्मी के मौसम में वाष्पीकरण दर अधिक होगी। इसलिए, सटीक वाष्पीकरण की गणना के लिए स्थानीय मौसम विज्ञान डेटा और ऐतिहासिक वाष्पीकरण दरों की समीक्षा की जानी चाहिए।
  2. गर्मी तक डेम में कितना पानी बच पाएगा:

    • विश्लेषण: वर्तमान में डेम में 2250 एमसीएफटी पानी है। भविष्य में पानी की मांग, वाष्पीकरण, और अतिरिक्त वर्षा की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह आंका जा सकता है कि गर्मी तक कितनी मात्रा में पानी बचा रहेगा। इसके लिए एक जल संतुलन मॉडल तैयार करना होगा जो वाष्पीकरण, पानी की निकासी, और आगामी वर्षा को ध्यान में रखे।
  3. पानी की चोरी कैसे रोकी जा सकेगी:

    • विश्लेषण: पानी की चोरी को रोकने के लिए निगरानी, उच्च तकनीक वाले मीटरिंग सिस्टम, और नियमित निरीक्षण की आवश्यकता होगी। पानी की चोरी पर नियंत्रण के लिए कड़ी कार्रवाई और समुदाय की जागरूकता बढ़ाने के उपाय भी आवश्यक हैं।
  4. क्या गर्मी में पूरी क्षमता से हर दिन जलप्रदाय किया जा सकेगा:

    • विश्लेषण: यह तय करने के लिए कि गर्मी में पूरी क्षमता से जलप्रदाय संभव है या नहीं, मौजूदा जल भंडार, भविष्य की जलवायु परिस्थितियाँ, और पानी की मांग का विश्लेषण किया जाना चाहिए। एक जलवायु मॉडल और भविष्यवाणी के आधार पर इसे सही से आंका जा सकता है।
  5. बोरिंग का हार्ड पानी पीने को मजबूर कॉलोनियों की समस्या:

    • विश्लेषण: इन कॉलोनियों में पीएचई पाइपलाइन की कमी को पूरा करने और जल वितरण की प्रक्रिया को सही करने के लिए प्राथमिकता पर काम करने की आवश्यकता है। बोरिंग के हार्ड पानी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को भी ध्यान में रखते हुए, तात्कालिक समाधान और दीर्घकालिक योजना बनानी चाहिए।

सुझाव और भविष्य की योजनाएं:

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