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‘ऊरुभंगम्’ एवं ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम्-चतुर्थ अंक’ के मंचन से हुआ समापन


उज्जैन 15 सितम्बर। कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन द्वारा संस्कृत के संरक्षण एवं संवर्धन
तथा बालक-बालिकाओं में संस्कृत के वाचिक एवं व्यवहारिक प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से बालनाट्य महोत्सव
का द्विदिवसीय आयोजन कालिदास संस्कृत अकदमी के अभिरंग नाट्यगृह में किया गया।
अकादमी के निदेशक डाॅ. गोविन्द गन्धे ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम का समापन
दिनांक 14 सितम्बर, 2024 को कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन के अभिरंग नाट्यगृह में माननीय श्री
श्रीपाद जोशी, वरिष्ठ रंगकर्मी एवं समाजसेवी की विशेष सन्निधि में सम्पन्न हुआ। उन्होंने अपने उद्बोधन
में कहा कि संस्कृत हमारी मूल भाषा है। हमारें ग्रन्थ एवं पुराण संस्कृत भाषा में ही हैं। विदेशों में हमारे
ग्रन्थ एवं पुराणों पर शोध हो रहे हैं और संस्कृत भाषा का प्रसार-प्रसार हो रहा है।
बालनाट्य समारोह में प्रथम प्रस्तुति यथार्थ सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था, उज्जैन द्वारा श्री
प्रकाश देशमुख के निर्देशन में महाकवि भास विरचित ‘ऊरुभंगम’ एवं द्वितीय प्रस्तुति केशवलीला ऐजुकेशन
एण्ड वेलफेयर सोसायटी, उज्जैन द्वारा महाकवि कालिदास विरचित ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम्’ (चतुर्थ अंक)
नाटक की प्रस्तुति श्री विकास चैहान के निर्देशन में की गई। प्रस्तुति पूर्व आमन्त्रित अतिथियों द्वारा नाटकों
के निर्देशकों का स्वागत पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया गया। ऊरुभंगम् महाभारत पर आधारित नाटक है। इसमें
मुख्य रूप से दुर्योधन, बलराम, कृष्ण की भूमिकायें प्रभावी रही। अभिज्ञानशाकुन्तलम् महाकवि कालिदास की
अमर रचना है। महर्षि कण्व, दुर्वासा, शकुन्तला की भूमिका प्रशंसनीय रही है। इस नाटक की मंच सज्जा को
दर्शकों ने बहुत सराहा। संगीत भी अत्यन्त प्रभावी था।
कार्यक्रम का संचालन डाॅ. गोपाल शुक्ला ने किया एवं आभार कार्यक्रम प्रभारी श्री अनिल बारोड़ ने
व्यक्त किया।

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