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नेशनल लोक अदालत में 3821 प्रकरणों का राजीनामा से हुआ निराकरण


उज्जैन 15 सितम्बर। लोक अदालत विवाद के पक्षकारों को समझौते के आधार पर सहज एवं सुलभ
न्याय दिलाने का सरल एवं निःशुल्क माध्यम है। लोक अदालत में प्रकरणों के निराकरण से पक्षकारों समय
एवं धन की बचत होती है तथा आपसी भाईचारा एवं सदभाव भी बना रहता है। उक्त बात शनिवार को
आयोजित नेशनल लोक अदालत के शुभारंभ के दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं प्रधान
जिला न्यायाधीश श्री दीपेश कुमार तिवारी ने कही।
जिला न्यायालय भवन के मुख्य प्रवेश द्वार पर विशेष न्यायाधीश एवं संयोजक नेशनल लोक
अदालत श्री सुनिल कुमार, जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिविसेप्रा श्री कपिल भारद्वाज, मण्डल अभिभाषक
संघ के अध्यक्ष श्री अशोक यादव, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री चन्द्रेश मण्डलोई एवं अन्य
न्यायाधीशगण, पेनल लॉयर्स एवं अतिथिगण के द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप
प्रज्ज्वलित कर नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया गया। समस्त पीठासीन अधिकारियों को नेशनल
लोक अदालत में रखे गए प्रकरणों का अधिक से अधिक संख्या में निराकरण करने संबंधी निर्देश एवं
शुभकामनाएँ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष द्वारा दी गई।
नेशनल लोक अदालत में सैकड़ों की संख्या में पक्षकारगण, आम नागरिक लाभांवित हुए। विशेषकर
पारिवारिक प्रकृति के विवादों के साथ-साथ क्लेम, विद्युत चोरी, चेक बाउंस, आपराधिक एवं दीवानी प्रकरणों
का बड़ी संख्या में निराकरण हुआ। पारिवारिक प्रकरणों में अनेक बिछड़े हुए परिवारों को मिलाया गया।
मोटर दुर्घटना क्लेम प्रकरणों में पीड़ित व्यक्तियों को लाखों रुपए की क्षतिपूर्ति राशि के अवॉर्ड भी पारित
हुए।

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