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महर्षि अरविंद ने वैदिक प्रतीकों की आध्यात्म परक व्याख्या की


संगोष्ठी में संस्कृत विवि के वेद विभागाध्यक्ष डॉ. मिश्र ने कहा उज्जैन | महर्षि अरविंद ने अग्नि तत्व को भगवान सूर्य का प्रतीक निरूपित किया है। वेद रहस्य के अंतर्गत प्रतीक रूप में अंतर्निहित गूढ़ रहस्यों का उद्घाटन किया। जो पूर्व व्याख्याकारों के मत अनुसरण में सराहनीय व विषयों को प्रेरित करता है। यह बात महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के वेद विभागाध्यक्ष डॉ. संकल्प मिश्र ने श्री अरविंद वेद प्राध्यापक पीठ, श्री अरविंद सोसायटी द्वारा आयोजित दो दिवसीय वैदिक संगोष्ठी के प्रथम दिवस बीज वक्तव्य में कही।

शासकीय संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य डॉ. सदानंद त्रिपाठी ने कहा विश्व के अध्यात्म, मत, पंथ और चिंतन कोई भी अंग वैदिक वाड्ंमय के अवलंबन के बिना नहीं हो सकता। वेदों में निहित ईश्‍वरीय ज्ञान निरंतर ज्ञेय और अनुसंधेय है। विश्‍व की सभी संस्‍क‍ृतियों का उत्‍स वेद में निहित है। महर्षि अरविंद ने त्रिविध प्रमेयों के द्वारा वैदिक देवताओं का प्रतीकात्‍मक अध्‍यात्‍ममयी व्‍याख्‍या अपने वेद रहस्‍य ग्रंथ में विस्‍तार के साथ प्रतिपादित किया है। पीठ निदेशक डॉ. आरपी शर्मा ने बताया कार्यक्रम के पूर्व समाधि स्‍थल पर वेदपाठी बटुकों एवं साधकों द्वारा ध्‍यान साधना की गई। इस अवसर पर विभाष उपाध्‍याय, आनंद मोहन पंड्या, मधुसूदन श्रीवास्‍तव, डॉ. उपेंद्र भार्गव, डॉ. पीयूष त्रिपाठी सहित गणमान्‍यजन तथा साधक उपस्थित थे। अतिथियों को पीठ की ओर से अरविंद साहित्य भेंट किया गया।

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