top header advertisement
Home - उज्जैन << श्रीराम मंदिर में चंदन व चरणामृत पर प्रतिबंध का अभा पुजारी महासंघ ने किया विरोध

श्रीराम मंदिर में चंदन व चरणामृत पर प्रतिबंध का अभा पुजारी महासंघ ने किया विरोध


उज्जैन | सनातन धर्म में चंदन और चरणामृत का विशेष महत्व है। जब तक मस्तक पर चंदन नहीं लगाया जाता या भगवान का तुलसी चरणामृत नहीं लिया जाता, तब तक मंदिरों में दर्शन, पूजन पूर्ण नहीं होते और इसका पुण्य भी नहीं मिलता है।

अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी एवं सचिव रूपेश मेहता ने बताया कि वैष्णव और रामानंदी परंपरा में चंदन और चरणामृत ही सर्वस्व हैं। यह परंपरा हजारों वर्षों से देश के मंदिरों का अखंड हिस्सा रही है और आज तक जारी है। हाल ही में ज्ञात हुआ कि अयोध्या में विराजित भगवान श्रीराम के मंदिर में भक्तों को चंदन लगाने और चरणामृत देने पर श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने प्रतिबंध लगाकर करोड़ों सनातनियों की श्रद्धा और विश्वास को ठेस पहुंचाई हैं। यह अनुचित है। पुजारी महासंघ इसका पुरजोर विरोध करता है।

प्रतिबंध का कारण दर्शनार्थियों को चंदन और चरणामृत देने से पुजारियों की अधिक आय होना व समय लगना बताया गया है। पुजारी महासंघ ने तो ट्रस्ट को सुझाव दिया है कि यदि चंदन और चरणामृत से भीड़ होती या दर्शन में समय लगता है तो मंदिर में रखी दान पेटियां भी हटा दी जाना चाहिए, क्योंकि दर्शनार्थियों को जेब से रुपए निकालने व दानपेटी में डालने में भी उतना ही समय लगता है। यदि ऐसा होता है तो इस निर्णय का स्वागत है।

Leave a reply