दस्तक अभियान की जिला स्तर पर जनजागृति रैली आयोजित
उज्जैन- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अशोक कुमार पटेल ने बताया कि
दस्तक अभियान 25 जून से 27 अगस्त तक चलाया जायेगा। इसके पूर्व 24 जून को जिला स्तर
जनजागृति रैली का आयोजन किया गया। जनजागृति रैली मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय
से प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गों से गुजरी। रैली को सीएमएचओ डॉ.पटेल एवं रोगी कल्याण समिति के पूर्व
सदस्य श्री अभय विश्वकर्मा द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। रैली में डॉ.आर.के.पाल जिला
टीकाकरण अधिकारी, डॉ.एस.के.सिंह जिला स्वास्थ्य अधिकारी-01, डॉ.के.सी.परमार जिला स्वास्थ्य अधिकारी-
02 सहित विभाग के विभिन्न अधिकारी, कर्मचारी एवं नर्सिंग की छात्राएं उपस्थित हुईं। रैली में नर्सिंग की
छात्राएं हाथो में तख्तियां लेकर चल रही थीं, जिनके द्वारा दस्तक अभियान के महत्व का प्रचार किया जा
रहा था।
उल्लेखनीय है कि बाल मृत्यु प्रकरणों में कमी लाने के उद्देश्य से विभाग द्वारा प्रतिवर्ष महिला एवं
बाल विकास विभाग के समन्वय से दस्तक अभियान संचालित किया जाता है। यह अभियान वर्ष में 2 बार
(अधिकतम 6 माह तथा न्यूनतम 4 माह के अंतराल में आयोजित किया जाता है अभियान के प्रथम चरण
में 5 वर्ष की चिकित्सीय जांच कर बीमारियों की पहचान एवं त्वरित उपचार/प्रबंधन पर बल दिया जाता है।
इसी तारतम्य में वर्ष 2024-25 में दस्तक अभियान के प्रथम चरण 25 जून से 27 अगस्त की अवधि में
आयोजित किया जाना है, जिस दौरान स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग के मैदानी कार्यकर्ताओं के
संयुक्त दल द्वारा 5 वर्ष तक के बच्चों के घर-घर जाकर उनकी चिकित्सकीय जांच एवं आवश्यक
उपचार/प्रबंधन सुनिश्चत करने हेतु गतिविधियां संचालित की जायेंगी -
ऽ समुदाय में बीमार नवजातो और बच्चों की पहचान प्रबंधन एवं रेफरल ।
ऽ 5 वर्ष से कम उम्र के गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान रेफरल एवं प्रबंधन
ऽ 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रोटोकाल आधारित
प्रबंधन।
ऽ 9 माह से 5 वर्ष तक के समस्त बच्चों को आयु अनुरूप विटामीन ए अनुपूरण।
ऽ 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बाल्यकालीन दस्त रोग की पहचान एवं नियंत्रण हेतु ओ. आर. एस.
एवं जिंक के उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरूकता में बढ़ावा एवं प्रत्येक घर में गृहभेंट के दौरान (सघन
दस्त रोग पखवाड़ा आई.डी.सी.एफ. गतिविधि आयोजन) ओ. आर. एस. पहुंचाना।
ऽ 5 वर्ष से कम उम्र के रेफरल बच्चों में शैशव एवं बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान प्रबंधन
एवं रेफरल ।
ऽ बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों (ठपतजी क्ममिबजे) एवं वृद्धि विलंब की पहचान
एवं उनका आरबीएसके कार्यक्रम से संबंधीकरण करना।
ऽ 5 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों में श्रवणबाधिता एवं दृष्टिदोष की पहचान/पुष्टि कर आर.बी.एस. के.
कार्यक्रम में पंजीयन कर उपचारित कराना।
ऽ समुदाय में समुचित शिशु एवं बाल आहारपूर्ति संबंधी समझाईश समुदाय को देना।
ऽ एस.एन.सी.यू. एवं एन.आर.सी से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग तथा फॉलोअप को
प्रोत्साहन।
ऽ गृह भेंट के दौरान आशिक रूप से टीकाकृत एवं छूटे हुए बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी
लेना।