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नदी के आसपास कलेक्टर अतिक्रमण न होने दें और गंदगी मिलने से रोकें


शिप्रा नदी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए एनजीटी ने एक आदेश पारित किया है। उन्होंने नदी के आसपास बढ़ते अतिक्रमण, पर्यावरण कानून-नियमों के उल्लंघन एवं विभिन्न योजना के क्रियान्वयन में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की। इसे मानव वध एवं हिंसक अपराध माना, क्योंकि इसके परिणाम आने वाली पीढ़ियां को भुगतना पड़ेंगे।

पर्यावरणविद् सचिन दवे ने मीडिया को बताया कि उन्होंने शिप्रा को प्रदूषण मुक्त एवं सतत जल प्रवाह के उद्देश्य से उद्गम से शिप्रा के संगम क्षीपावरा तक 280 किमी शिप्रा अध्ययन यात्रा की। तीन वर्ष तक अध्ययन एवं उसके बाद रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी में याचिका लगाई। इसमें 28 पक्षकार बनाए थे। मामले में लगातार चल रही सुनवाई में एनजीटी ने उज्जैन, इंदौर, देवास और रतलाम जिले के चारों कलेक्टर को नदी के 100 मीटर तक के दोनों किनारों के क्षेत्र में किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होने देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही शहर की गंदगी शिप्रा में न मिले, यह सुनिश्चित करने और नदी के उद्गम से अंत तक सीमांकन के निर्देश भी दिए हैं।

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