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देश के मंदिरों में पुजारियों को गर्भगृह में जाने की अनुमति शीघ्र दी जाए - अ भा. पुजारी महासंघ ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की मांग


उज्जैन- भारत में अनेक तीर्थ स्थल हैं और उन तीर्थों में में वंश परंपरा अनुसार पुजारी सेवा देते है। लेकिन पुजारियों का दुर्भाग्य हैं कि उन्हें देश के अन्य मंदिरों में  दर्शन सुविधाएं नहीं मिलती हैं एवं प्रशासनिक व्यवस्था प्रोटोकॉल में भी उन्हें दर्शन करने की सुविधाएं नहीं दी जाती हैं।
इस बात को लेकर अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय सचिव रूपेश मेहता ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर मांग की है कि मंदिरों में साधु, संतों को निःशुल्क प्रवेश दिया जाता हैं जबकि उनका मंदिरों से कोई संबंध नहीं होता हैं। यह लोग दबाव व प्रभाव से देश के प्रसिद्ध मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते हैं। ऐसा ही महाकालेश्वर मन्दिर में हो रहा हैं। महाकाल मंदिर के गर्भगृह में केवल महामंडलेश्वर को ही जाने का मंदिर समिति का निर्णय हैं। लेकिन दबाव व प्रभाव के कारण साधारण साधु को भी प्रवेश दिया जाता हैं। अगर इन साधारण साधु को प्रवेश दिया जा सकता हैं तो देश के मंदिरों के पुजारियों को जिनका अपना अलग महत्व और अस्तित्व हैं। उन्हें भी प्रवेश की अनुमति प्रशासन को देना चाहिए। तभी देश में समान व्यवस्था संतुलित रूप से चलेगी। साधु, संत अगर महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते हैं तो पुजारियों को भी महाकालेश्वर मंदिर सहित मठों और अखाड़ों के मंदिरों के गर्भगृह में प्रवेश दिया जाना चाहिए। क्योंकि अखाड़ों के मंदिरों में भी पुजारियों को प्रवेश नही दिया जाता हैं। वहां पुजारियों को अपमानित किया जाता हैं। यह अनुचित है। जितना सम्मान देश में साधु, संतों का हैं उससे कहीं ज्यादा पुजारियों का हैं क्योंकि पुजारियों के पूर्वजों ने सैकड़ों वर्षों से सनातन धर्म के विरोधियों, आक्रमणकारियों आक्रांताओं से भगवान के विग्रह मूर्ति और मंदिरों को अपने प्राण न्यौछावर करके सुरक्षित रखा है। इसलिए अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने प्रशासन से यह मांग की है कि पुजारी वर्ग को देश के मंदिरों, महाकाल मंदिर सहित मठों और अखाड़ों के मंदिरों के गर्भगृह में जाने की सुविधाजनक अनुमति प्रदान करे।

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