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श्रुत पंचमी के दिन जैन धर्म का प्रथम ग्रंथ प्रकाशित हुआ था- प्रज्ञा सागर महाराज


श्रुत पंचमी पर महावीर तपोभूमि पर आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज के सानिध्य में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जैन धर्म के प्रथम शास्त्र लिपिबद्ध प्रकाशित होने के इस महापर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया गया। मंडल की रचना के विधान एवं कार्यक्रम के साथ ही श्रुत पंचमी पर सुबह से श्रीजी के अभिषेक, शांतिधारा के पश्चात ग्रंथालय (लाइब्रेरी) में आचार्य श्रीसंघ के सानिध्य में ग्रंथ की पूजा एवं आरती हुई।

तत्पश्चात दोपहर में श्रुत पंचमी की कथा का वचन समाज के सैकड़ों भक्तों के बीच में आचार्यश्री ने किया। शाम को भगवान महावीर भगवान एवं कालीकुंड पार्श्वनाथ की काव्या पर दीप प्रज्ज्वलन किए गए। समाज जनों ने भगवान एवं आचार्यश्री को ग्रंथ समर्पित किया। कार्यक्रम में अरुण जैन ने भी ग्रंथ का वाचन किया।

मंडल विधान में पधारे लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया। गुरुकुल के छोटे-छोटे बच्चों द्वारा श्रुत पंचमी का पावन पर्व मनाया गया। कार्यक्रम में सारिका जैन, ज्योति जैन,अनिल बुखारिया,लविश जैन, सोनू शर्मा, आशा मैडम, आदि मौजूद थे। श्रुत पंचमी के दिन आचार्य पुष्पदंत एवं आचार्य भूतबलि ने षटखंडागम शास्त्र की रचना की थी। उसके बाद से ही भारत में श्रुत पंचमी को पर्व के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन भगवान महावीर के दर्शन को पहली बार लिखित ग्रंथ के रूप में प्रस्तुत किया गया था।

पहले भगवान महावीर केवल उपदेश देते थे और उनके प्रमुख शिष्य (गणधर) उसे सभी को समझाते थे, क्योंकि तब महावीर की वाणी को लिखने की परंपरा नहीं थी। उसे सुनकर ही स्मरण किया जाता था इसीलिए उसका नाम श्रुत था। कार्यक्रम में विशेष रूप से तपोभूमि ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष अशोक जैन चायवाला, अध्यक्ष दिनेश जैन, संजय बड़जात्या, देवेन्द्र सिघंई, इंदरमल जैन, गिरीश बिलाला, राजेन्द्र लुहाड़िया, निशि जैन, रश्मि सेठी आदि मौजूद थे। इंदौर रोड स्थित तपोभूमि में पूजन करते जैन समाज के महिला-पुरुष।

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