पहली बार सीएम शिप्रा तट से कराएंगे जल संरक्षण संकल्प
धर्मधानी नगरी उज्जैन से गंगा दशहरा पर्व पर संभवत: पहली बार पूरे प्रदेश के लिए प्रमुख नदी, तालाब, कुआं, जल संरचनाओं को संरक्षित करते हुए पुर्नजीवित करने का संकल्प मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा दिलाया जाएगा। इस आयोजन के दौरान प्रदेश के पंचायत से लेकर सभी जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन और आमजन जल संरक्षण का संकल्प लेंगे। इसके पहले मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के किनारे माँ शिप्रा का पूजन कर चुनरी अर्पित की जाएगी। दो दिवसीय शिप्रा तीर्थ परिक्रमा यात्रा के समापन अवसर पर सांस्कृतिक आयोजन भी होंगे।
करीब 20 वर्ष पहले जल संरक्षण के लिए जल स्त्रोत को सहजने, जल, पर्यावरण और जलीय जीव जंतुओं को बचाने की पहल के साथ शिप्रा तीर्थ परिक्रमा यात्रा का प्रारंभ गंगा दशहरा के एक दिन पहले दशमी तिथि से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया था। समय के साथ यह आयोजन जल संरक्षण की दृष्टि से आज पूरे देश और प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। इस बार शिप्रा तीर्थ परिक्रमा का आयोजन 15 व 16 जून को किया जाएगा। परिक्रमा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित होंगे। दो दिवसीय परिक्रमा के बाद शिप्रा नदी के तट पर शिप्रा माता का पूजन कर चुनरी अर्पण करने के बाद पूरे प्रदेश को जल संरक्षण का संकल्प मुख्यमंत्री द्वारा दिलाया जाएगा। पिछले वर्ष तक यह संकल्प उज्जैन के लोगों को ही दिलाया जाता रहा है। पहली बार पूरे प्रदेश को जोड़ा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुरूप 5 जून से 16 जून तक प्रदेश भर में जल संरक्षण के लिए जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है।
15 व 16 जून को होगें सांस्कृतिक आयोजन
महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि 15 एवं 16 जून की शाम को रामघाट, दत्त अखाड़ा क्षेत्र में विभिन्न लोकप्रिय कलाकारों द्वारा भजन संध्या एवं भक्तिगीतों की प्रस्तुति दी जाएगी। पाश्र्व गायिका ऋचा शर्मा द्वारा भक्ति संध्या की प्रस्तुति 16 जून को शाम 7 बजे से होगा। इसमें पाश्र्व गायिका ऋचा शर्मा एंव दल द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी। इस अवसर पर शिप्रा नदी के महत्व और उसके सांस्कृतिक वैभव की जानकारी देने वाली विशेष पुस्तिका का लोकार्पण भी होगा। सदानीरा केंद्रित ऑडियो वीडियो सीडी का लोकार्पण भी किया जाएगा। साथ ही मां शिप्रा सहित अन्य प्रमुख नदियों, जल संरचनाओं और जो पारंपरिक रहे है (वर्तमान में विलुप्त हो चले हैं) सभी की सैटेलाइट मैपिंग करवा कर प्राचीन वांग्मय, परंपरा, के संदर्भाे के साथ सर्वे आधारित डाक्यूमेंटेशन का प्रकाशन किया जाएगा।
शिप्रा तीर्थ परिक्रमा मार्ग
प्रथम दिवस 15 जून शनिवार-मां शिप्रा तीर्थ परिक्रमा प्रात: 8 बजे रामघाट से आरम्भ होगी जो रामघाट से नृसिंहघाट, आनंदेश्वर मंदिर, जगदीश मंदिर, गऊघाट, जंतर-मंतर (वेद्यशाला), वरूणेश्वर महोदव (शीतल गेस्ट हाऊस) से इन्दौर रोड, सीएचएल अस्पताल, प्रशांतिधाम सांई मंदिर, गुरूकुल (त्रिवेणी) दोप. 12 बजे गुरुकूल विद्यालय पर भोजन विश्राम प्रथम पड़ाव) यात्रा दोपहर 3 बजे गुरुकुल त्रिवेणी से प्रस्थान कर नवग्रह शनि मंदिर, गोठडा, सिकन्दरी, दाउदखेडी, चांदमुख, चिंतामण, मंगरोला फंटा, लालपुल होते हुए भूखीमाता मंदिर, गुरूद्वारा नानक देव (रात्रि भोजन), नानक घाट से दत्तअखाडा पर भजन संध्या व रात्रि विश्राम होगा।
परिक्रमा यात्रा दूसरा दिन 16 जून रविवार-
प्रात: 7.30 पर यात्रा शुरू होकर दत्तअखाडा से रणजीत हनुमान, कालभैरव, भैरवगढ़ सिद्धनाथ,अंगारेश्वर, कमेड, मंगलनाथ, सान्दीपनी आश्रम, राम मंदिर, गढ़कालिका पहुंचेगी। यात्रा दोपहर 3 बजे से भृतहरीगुफा, ऋणमुक्तेश्वर, वाल्मीकी धाम (भोजन विश्राम), दुर्गादास राठौर की छत्री, चक्रतीर्थ, दानीगेट, ढ़ाबारोड, गोपालमंदिर, पटनीबाजार, गुदरी चौराहा, महाकाल मंदिर, बडे गणेश मंदिर, हरसिद्धी मंदिर होते हुए रामघाट पहुंचेगी। सांयकाल शिप्रा-गंगा पूजन, चुनरी अर्पण के पश्चात भजन संध्या से कार्यक्रम का समापन होगा।