111 करोड़ के शिवांगी परिसर प्रोजेक्ट को बड़ा झटका हाउसिंग बोर्ड केस हारा, सामान समेटना किया शुरू
इंदौर रोड पर इंजीनियरिंग कॉलेज तिराहा के समीप गोयलाखुर्द में हाउसिंग बोर्ड के आवासीय प्रोजेक्ट शिवांगी परिसर को बड़ा झटका लगा है। इंदौर हाईकोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड के खिलाफ आदेश जारी किया है। इसमें अवार्ड को निरस्त किया गया है तथा निर्माण कार्य के ठेके को भी निरस्त कर दिया है। इसके बाद उन लोगों की चिंता भी बढ़ गई है, जिन्होंने अपने जीवनभर की कमाई से शिवांगी परिसर में मकानों की बुकिंग करवाई थी।
कोर्ट के आदेश के बाद ठेका कंपनी ने साइड पर से अपना सामान समेटना शुरू कर दिया है तो दूसरी तरफ किसान परिवार ने जमीन पर अपना बोर्ड लगा दिया है। इसी प्रोजेक्ट में इंदौर-उज्जैन फोरलेन के समीप प्रस्तावित आवासीय सह-व्यवसायिक मल्टी का निर्माण भी अटक गया है, जिसमें ग्राउंड फ्लोर पर दुकानों का निर्माण व उसके ऊपर फ्लैट का निर्माण किया जाना प्रस्तावित किया गया था।
वर्ष 2008-09 में हाउसिंग बोर्ड ने जिला प्रशासन की मदद से करीब 4.19 हेक्टेयर जमीन पर जमीन पर कब्जा लिया था। जिस पर करीब 111 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार कर टेंडर जारी किया था। भूमि पूजन होने के बाद कॉलोनी के डेवलपमेंट के साथ में यहां मकानों का निर्माण शुरू करवाया गया था।
कॉलोनी में करीब 116 मकानों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है, जिसमें एलआईजी, एमआईजी व ईडब्ल्यूएस श्रेणी सहित हर बजट के मकान बनाए जाने थे, जिसके लिए हाउसिंग बोर्ड ने टेंडर जारी कर ठेका दिया था और बोर्ड उक्त जमीन पर करीब ढाई से तीन करोड़ रुपए भी खर्च कर चुका है।
इस बीच भोपाल से एक ही डिस्पैच नंबर से दो आदेश जारी हो गए। किसान पक्ष की ओर से जमीन के दावे को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में केस लगाया गया। इसमें सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने उज्जैन हाउसिंग बोर्ड के खिलाफ फैसला सुनाया है। ऐसे में करोड़ों रुपए के आवासीय प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है।
चार माह से बंद पड़ा निर्माण जमीन विवाद में कोर्ट में केस चलने के चलते पिछले चार माह से साइड पर निर्माण कार्य रुका हुआ था, जो कि कोर्ट के आदेश के बाद पूरी तरह से बंद हो गया है और ठेका कंपनी से मशीनरी आदि यहां से हटाना भी शुरू कर दिया है।
50.23 लाख जमा कर लोग करवा चुके मकानों की बुकिंग हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनी में लोग मकानों की बुकिंग करवा चुके हैं। उनके द्वारा करीब 50 लाख 23 हजार रुपए हाउसिंग बोर्ड में जमा भी किए जा चुके हैं। हाईकोर्ट का फैसला हाउसिंग बोर्ड के खिलाफ आने के बाद 30 परिवारों की चिंता और बढ़ गई है।
जमीन का विधिवत अधिग्रहण कर सभी आवश्यक अनुमति लेने के बाद नक्शा पास करवाकर कॉलोनी डेवलेपमेंट का काम शुरू किया था। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
- एनके गुप्ता, ईई, हाउसिंग बोर्ड
हाउसिंग बोर्ड ने वृद्धाश्रम के नाम पर ली थी जमीन
हाउसिंग बोर्ड ने वृद्धाश्रम के नाम पर जमीन ली थी। बोर्ड ने डबल अवार्ड पारित करवाया था। करीब 25 साल की कानूनी लड़ाई के बाद हमारे परिवार को न्याय मिला है और हमें जमीन वापस मिली है।
-संजय पटेल, किसान