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पर्यावरण बचाने की दिशा में जनभागीदारी काम आ रही विश्वविद्यालय हरियाली से लेकर तालाब तक खुदवा रहा


विश्व पर्यावरण दिवस बुधवार को मनाया जाएगा। पर्यावरण को बचाने के लिए विक्रम विश्वविद्यालय काफी समय से प्रयास कर रहा है। पूरे विश्वविद्यालय में पेड़-पौधे लगाकर उसे हरा-भरा बनाने की दिशा में तो काम हो ही रहा है। साथ ही जलसंरक्षण को लेकर भी जनभागीदारी से दो तालाब विश्वविद्यालय ने खुदवाए थे, जिनमें आज भरपूर पानी है। विश्वविद्यालय में लोगों के सहयोग व जनभागीदारी के चलते लता वाटिका, कृष्णानंद वाटिका, सघन वन, मातृ-पितृ स्मृति खालसा वाटिका, आरोग्य वाटिका, परिजात वाटिका समेत कई तरह के औषधि व छायादार पौधे लगाकर उन्हें वाटिका के रूप में सहेजा गया है तथा प्रतिदिन जनभागीदारी से देखभाल की जा रही है।

कुलपति प्रो. अखिलेश पांडेय ने बताया कि विवि परिसर में सुबह-शाम सैर करने वालों से ऑक्सीजन टैक्स ले ही रहे हैं। इसके अलावा भूमिगत जलस्तर को सुधारने के लिए दो तालाब का निर्माण करीब साढ़े तीन लाख रुपए की लागत से रेवाखंड फाउंडेशन के मिलिंद पंडित व डॉ. स्वाति संवत्सर द्वारा कराया गया है। उक्त तालाब को कुसुम ताल व मंदाकिनी ताल नाम दिया है। ​विवि की भूमि पर वन विभाग की मदद से सांस्कृतिक वन का भी निर्माण कराया गया है, जिसमें कई तरह की प्रजाति के पौधे लगाए गए हैं। कुलपति ने कहा कि विक्रम यूजीसी के ग्रीन ग्रेजुएट प्रोग्राम को लागू करने वाला प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बना है।

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