‘जल गंगा संवर्धन’ अभियान में आमजन आगे बढ़कर करें सहभागिता मुख्यमंत्री डॉ. यादव विश्व पर्यावरण दिवस से गंगा दशमी तक चलेगा अभियान मां क्षिप्रा की परिक्रमा कर चुनरी-आभूषण अर्पित किये जायेंगे
उज्जैन- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को विश्व पर्यावरण दिवस से प्रारंभ हो रहे
'जल संरक्षण-संवर्धन' के विशेष अभियान "जल गंगा संवर्धन अभियान" में बढ़-चढ़कर सहभागिता करने का
आव्हान किया है। मुख्यमंत्री डॉ.यादव के निर्देश पर पारंपरिक देशज दृष्टि और संस्कार के अनुरूप जल तथा
प्रकृति के प्रति संवेदनशील रहते हुए वैज्ञानिक दृष्टि से जल के औषधतत्व, उसकी सार्वभौमिकता को
प्राथमिकता आधारित "जल गंगा संवर्धन अभियान" विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून 2024) से प्रारंभ हो रहा
है। यह गंगा दशमी (16 जून 2024) तक चलेगा। जल संवर्धन और संरक्षण के लिये आमजन को प्रेरित
करने के लिये विविध गतिविधियों का सफल क्रियान्वयन कर अभियान को भव्य बनाया जाएगा।
जल गंगा संवर्धन विशेष अभियान में जल संरचनाओं के उन्नयन कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता के
आधार पर कराये जाएंगे। जल संरचनाओं से मिलने वाले गंदे पानी के नाले अथवा नालियों को डायवर्सन के
उपरांत शोधित कर जल संरचना में छोड़ा जाएगा। जल संरचनाओं को व्यवसाय व रोजगार मूलक बनाने के
उद्देश्य से पर्यटन, मत्स्य पालन, सिंघाड़े का उत्पादन जैसी संभावनाओं का स्पष्टतः निर्धारण किया जाएगा।
चिन्हित जल संरचनाओं की मोबाइल ऐप से जियो टैगिंग भी की जाएगी। जल संग्रहण संरचना से निकाली
गई मिट्टी एवं खाद का उपयोग स्थानीय कृषकों के खेतों में किए जाने को प्राथमिकता दी जाएगी। जल
संरचनाओं के किनारे पर यथा संभव बफर जोन तैयार किए जाएंगे। इस जोन में अतिक्रमण से बचाने एवं
नदी तालाबों के कटावों को रोकने के लिए हरित क्षेत्र पार्क का विकास जैसे कार्य किए जाएंगे। नगरीय क्षेत्र
में जल संरचनाओं के जल की गुणवत्ता की जांच भी की जाएगी।