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बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के 12वे वार्षिक जीव जीवन रक्षक भंडारें


उज्जैन 3 मई बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के 12वे वार्षिक जीव जीवन रक्षक भंडारें में उपस्थित जन सैलाब को संदेश देते हुए वक्त के संत बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि गुरु महाराज की दया मेहर हुई और उज्जैन आश्रम पर सतसंग के माध्यम से आप सब साधकों प्रेमियों भक्तों सतसंगीयों का दर्शन मिला। गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी के इस पावन भंडारा और ऊपर आप लोग अपने-अपने भरोसे चलकर दया दुआ लेने के लिए आए हो। स्रोत के पास जाने पर वह चीज मिल जाती है। जैसे झरना नदी हुआ आदि पानी के स्रोत पर जाने पर पानी मिल जाता है। इसी प्रकार दया का स्रोत होता है तो दया के स्रोत पर बैठने के लिए आप आए हो गुरु की दया का स्रोत होता है- सुमिरन ध्यान भजन जो अभी हमने-आपने देर किया। ताकि गुरु की दया मिल जाए। कहा गया है कि गुरु के रूप में ही प्रभु होते हैं क्योंकि गुरु में प्रभु की ताकत होती है। कौन सी ताकत? धन-दौलत, रुपया-पैसा, शारीरिक बल, मान प्रतिष्ठा आदि यह ताकत नहीं बल्कि गुरु में होती है आध्यात्मिक ताकत। जिसके आ जाने के बाद, उसे दौलत को पा जाने के बाद यह दुनिया की सारी दौलत कदम चूमती है, जिस चीज की इच्छा करो, वह चीज मिलने लगती है, उनके पास वह बल होता है। उस बल की वजह से उनसे कोई जीत नहीं सकता है। गुरु ऐसी जगह पर होते हैं कि जब तक उनको हुक्म होता है, तब तक उनको वहां से कोई हटा नहीं सकता है। उस आध्यात्मिक ताकत को परा विद्या, आत्मिक बल कहा गया है। गृहस्थी से निकल करके आप लोग दया के स्रोत पर आए हो, आप यहां पर नाम दान लेने आए हो जो धन-दौलत, रुपया-पैसा से खरीदी नहीं जा सकती। तो आपको नाम दान देने में हम देर नहीं करना चाहते हैं जिससे आपके जीवन के बचे हुए समय का सदुपयोग होने लग जाए, आपकी जो बची हुई सांसों की पूंजी है, उसे आप अच्छे काम में लगा सको क्योंकि सांसों का कोई ठिकाना नहीं होता, कब खत्म हो जाए। तो बची हुई सांसों की पूंजी में आप अपना असला काम, जीवात्मा के कल्याण का काम कर लो।

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