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शिप्रा नदी में इन दिनों 100 से ज्यादा बच्चे पीठ पर डिब्बा बांधकर तैराकी सीख रहे हैं


शिप्रा नदी में इन दिनों 100 से ज्यादा बच्चे पीठ पर डिब्बा बांधकर तैराकी सीख रहे हैं, ताकि सिंहस्थ महाकुंभ 2028 में ये बच्चे अच्छे तैराक बनकर वालंटियर के रूप में घाटों पर जिंदगी बचाने में मदद कर सकें। इन्हें तैराकी सिखा रहे मास्टर ट्रेनर विनोद चौऋषिया का लक्ष्य हर साल 100 तैराक तैयार करना है, ताकि सिंहस्थ के दौरान अच्छे वालंटियर उपलब्ध हो सकें।

तैराकी प्रशिक्षण का आयोजन
प्रशिक्षण समय और स्थान:

प्रतिदिन सुबह 7 से 9 बजे के बीच।
शिप्रा नदी के दत्त अखाड़ा घाट पर।
प्रशिक्षण विधि:

बच्चों को पीठ पर डिब्बा बांधकर तैराकी सिखाई जाती है।
सबसे पहले उन्हें तैराकी का मूलभूत ज्ञान और डूबने से बचने की तकनीक सिखाई जाती है।
आयोजन और सहयोग
आयोजन:

खेल एवं युवा कल्याण विभाग।
अच्युतानंद व्यायाम शाला।
प्रशिक्षण शिविर:

यह शिविर हर साल आयोजित किया जाता है।
शिविर में चौऋषिया बच्चों को तैराकी की विशेष तकनीकें सिखाते हैं।
उद्देश्य और भविष्य की योजना
उद्देश्य:

सिंहस्थ महाकुंभ 2028 के लिए अच्छे तैराक और वालंटियर तैयार करना।
बच्चों को तैराकी का कौशल सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना।
फायदे:

सिंहस्थ के दौरान ये बच्चे लाइफ गार्ड बनकर घाटों पर सेवा देंगे।
संकट के समय में घाटों पर त्वरित बचाव कार्य कर सकेंगे।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को तैराकी के गुर सिखाए जा रहे हैं, ताकि वे सिंहस्थ महाकुंभ 2028 में जीवन रक्षक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। यह प्रयास समाज सेवा और सामुदायिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और बच्चों को एक नेक कार्य में शामिल कर उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा देता है।

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