सिटी 2.0' के तहत, मध्य प्रदेश से जबलपुर का चयन हुआ है, और उज्जैन को सिंहस्थ के कारण इस मिशन में शामिल किया गया है
केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि 'स्मार्ट सिटी मिशन' प्रोजेक्ट दिसंबर 2024 में समाप्त हो जाएगा और अब इसमें कोई नया फंड रिलीज नहीं होगा। इस मिशन के तहत, मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, सतना और सागर शहरों को अपना विकास जारी रखने के लिए खुद नए रास्ते खोजने होंगे, क्योंकि 'सिटी 2.0' के लिए सिर्फ जबलपुर और उज्जैन का चयन किया गया है।
स्मार्ट सिटी मिशन की उपलब्धियाँ
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सात शहरों में विभिन्न बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं में सुधार किया गया है:
पर्याप्त बिजली और पानी की आपूर्ति
ठोस कचरे का प्रबंधन और स्वच्छता
कुशल शहरी गतिशीलता और सार्वजनिक परिवहन
मजबूत आईटी कनेक्टिविटी और डिजिटलाइजेशन
सुशासन, विशेष रूप से ई-गवर्नेंस और नागरिक भागीदारी
टिकाऊ पर्यावरण
नागरिक सुरक्षा, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा
वित्तीय स्थिति और भविष्य की योजनाएँ
मध्य प्रदेश की सात स्मार्ट सिटी में सिर्फ भोपाल और इंदौर ही अपने पूरे बजट का उपयोग कर पाई हैं, जबकि अन्य पांच शहरों में 500 करोड़ रुपये से अधिक का बजट अभी भी बचा हुआ है। इन शहरों को भविष्य में अपना अस्तित्व बनाए रखने और विकास जारी रखने के लिए 'टाउन प्लानिंग स्कीम' जैसे नए कामों को अपनाना होगा। इस योजना के तहत निजी जमीन को 50-50 के अनुपात में डेवलप किया जाएगा।
नई पहल: नेशनल अर्बन डिजिटल मिशन (NUDM)
केंद्र सरकार जल्द ही 600 करोड़ रुपये के बजट के साथ नेशनल अर्बन डिजिटल मिशन (NUDM) लॉन्च कर रही है। राज्य सरकार की योजना है कि भोपाल और इंदौर समेत पांच स्मार्ट सिटी को इस मिशन का काम सौंपा जाए।
विशेष चयन: जबलपुर और उज्जैन
'सिटी 2.0' के तहत, मध्य प्रदेश से जबलपुर का चयन हुआ है, और उज्जैन को सिंहस्थ के कारण इस मिशन में शामिल किया गया है। अन्य राज्यों से केवल एक ही शहर का चयन हुआ है।
स्मार्ट सिटी मिशन ने अब तक 650 प्रोजेक्ट्स में से 85-90 काम पूरा कर लिया है, और नगरीय विकास विभाग का दावा है कि भविष्य में भी इन शहरों में विकास कार्य जारी रहेंगे।