उज्जैन में पांच एकड़ भूमि पर तैयार हो रहा ‘महाकाल सांस्कृतिक वन’, दिखेगी गौरवशाली अतीत की झलक
उज्जैन। उज्जैन में ‘महाकाल महालोक’ के बाद अब ‘महाकाल सांस्कृतिक वन’ आकार लेता दिखाई देने लगा है। विक्रम विश्वविद्यालय की लगभग पांच एकड़ जमीन पर तैयार वन क्षेत्र, सनातन धर्म-संस्कृति और गौरवशाली अतीत की झलक दिखलाता है। पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। बनाई जा रही श्रीकृष्ण वाटिका, श्रीराम वाटिका, अशोक वाटिका, कालिदास वाटिका, सप्त ऋषि वाटिका, नक्षत्र वन, हर्बल नर्सरी प्रकृति के प्रति प्रेम बढ़ाने के साथ आध्यात्मिक अहसास कराती है।
पथ पर राेपे जा रहे भगवान शिव, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और योगेश्वर श्रीकृष्ण को प्रिय पौधे और गौरवशाली अतीत के चित्र ध्यान आकर्षित कराते हैं। यहीं विक्रम संवत् प्रवर्तक सम्राट विक्रमादित्य का सिंहासन बनाया जा रहा है। भव्य प्रवेश द्वार बनकर तैयार है। द्वार के शिखर पर लगा त्रिशूल मन में आध्यात्मिक भाव जगाता है।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेशकुमार पांडेय से महाकाल सांस्कृतिक वन योजना को जाना। उन्होंने कहा कि महाकाल सांस्कृतिक वन भारतीय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण हेतु उपयोगी होने के साथ-साथ जैवविविधता संरक्षण में भी सहायक होगा।
आठ करोड़ की कार्य योजना
महाकाल सांस्कृतिक वन की कार्य योजना 8 करोड़ रुपये की है। इसे विभिन्न चरण में स्वीकृति किए जाने की बात सालभर पहले कही गई थी। शुरुआत में काम कराने को 50 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे। जमीनी तौर पर कार्य वन विभाग बिना किसी प्रचार-प्रसार के कर रहा था। एक रिपोर्ट के अनुसार सांस्कृतिक वन की योजना, गुजरात के सांस्कृतिक वन फार्मूले पर आधारित है। सांस्कृतिक वन प्रदेश में भोपाल, सतना, छतरपुर में भी आकार ले रहे हैं।
महाकाल सांस्कृतिक वन, विक्रम विश्वविद्यालय के खेल मैदान और विक्रम सरोवर से सटा है। इसका मुख्य प्रवेश द्वार सम्राट विक्रमादित्य संकुल भवन से देवास रोड पहुंच मार्ग के बीच बना है। इस मार्ग को नगर निगम द्वारा चौड़ा किया जाना है। इसका भूमि पूजन 16 मार्च को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव वर्चुअल कर चुके हैं। नगर निगम तीन करोड़ रुपये से विक्रम सरोवर काे संवारने की भी तैयारी कर रहा है। ठेकेदार चयन के लिए निविदा हो चुकी है।