20 मार्च को सूर्य के विषुवत् रेखा पर लम्बवत होने के चलते वर्ष में एक बार होने वाली खगोलीय घटना देखने को मिली
20 मार्च को सूर्य के विषुवत् रेखा पर लम्बवत होने के चलते वर्ष में एक बार होने वाली खगोलीय घटना देखने को मिली। बुधवार को इस घटना में दिन और रात 12-12 घंटे के बराबर होते है। इस घटना को समझने के लिए आज बड़ी संख्या में लोग बच्चे जीवाजी वेधशाला पहुंचे।
इस वर्ष सूर्य 20 मार्च को विषुवत् रेखा पर लम्बवत् है। इसे "वसन्त सम्पात" कहते हैं। सूर्य को विषुवत् रेखा पर लम्बवत् होने के कारण दिन और रात बराबर-बराबर 12-12 घण्टे का रहेगा। सायन गणना के अनुसार 20 मार्च को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन सूर्य की स्थिति मेष राशि में शून्य अंश, 8 कला, 25 विकला होगी। सूर्य के उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश के कारण अब उत्तरी गोलार्द्ध में दिन धीरे-धीरे बड़े होने लगेंगे तथा रात छोटी। यह क्रम 21 जून तक जारी रहेगा। सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश के कारण सूर्य की किरणों की तीव्रता उत्तरी गोलार्द्ध में धीरे-धीरे बढ़ने लगेगी।
वेधशाला के अधीक्षक राजेंद्र गुप्त ने बताया कि 20 मार्च को शंकु की छाया पूरे दिन सीधी रेखा (विषुवत रेखा) पर गमन करती हुई दिखाई देगी। पूर्व नाड़ीवलय यन्त्र के दक्षिणी गोल भाग (24 सितम्बर से 19 मार्च तक) पर धूप थी । 20 मार्च को नाड़ीवलय यंत्र के उत्तरी तथा दक्षिणी किसी गोल भाग पर धूप नहीं होगी तथा 21 मार्च से अगले छः माह (22 सितम्बर तक) नाड़ीवलय यंत्र के उत्तरी गोल पर धूप रहेगी। इस प्रकार सूर्य के गोलार्द्ध परिवर्तन को नाड़ीवलय यंत्र के माध्यम से देख सकते है।इसे समझने में लिए कई स्कूली बच्चे और खगोल प्रेमी भी जीवाजी वेधशाला पहुंचे थे।