उज्जैन में पशु विभाग द्वारा गायों के साथ बकरियों में भी कृत्रिम गर्भाधान करवाने की प्रक्रिया शुरू
उज्जैन में पशु विभाग द्वारा गायों के साथ बकरियों में भी कृत्रिम गर्भाधान करवाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। अब तक जिले की 1500 बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान का प्रयोग किया जा चुका है। इस प्रकिया की शुरूआत अभी प्रदेश के सिर्फ दो जिलों में की गई है। इसमें पहला उज्जैन और दूसरा सिवनी है। इसे एआई यानि आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन भी कहा जाता है।
एआई पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान की ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें मादा पशु को स्वाभाविक रूप से गर्भित करने के स्थान पर कृत्रिम विधि से गर्भित कराया जाता है। इस प्रयोग से पशुओं की नस्ल में सुधार आता है,क्योंकि कृत्रिम विधि में प्रयोग के लिए अच्छी नस्ल के नर पशु का ही उपयोग किया जाता है। ऐसे में जन्म लेने वाले बच्चे में नस्ल के कारण कोई परेशानी, कमजोरी या बीमारी नहीं आती। साथ ही दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी यह प्रकिया की जाती है।
पशु चिकित्सालय से ले सकते हैं मदद
जिले में अच्छी नस्ल के पशुओं की कमी को पूरा करने के लिए एआई की शुरुआत की गई है। हर साल उज्जैन जिले में 1 लाख से अधिक गायों में इस विधि का उपयोग किया जाता है। पहली बार बकरी के लिए किसी क्षेत्र में इसे शुरू किया है। इससे पशुपालकों को अच्छी नस्ल के सांड या नर पशुओं को पालने में खर्च नहीं करना पड़ेगा। पशुओं में एआई का उपयोग करवाने के लिए आसपास स्थित किसी भी पशु चिकित्सालय से मदद ली जा सकती है। एआई का उपयोग पशुओं के लिए पूरी तरह से सुरक्षित रहता है और इसके संक्रामक भी फैलता हैं।