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सप्त सागरों के लुप्त होते स्वरूप को बचाने आगे आए कलेक्टर !


  डॉ. चन्दर सोनाने

              उज्जैन के धार्मिक , पौराणिक , ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर सप्त सागरों के लुप्त हो रहे स्वरूप को बचाने के लिए कलेक्टर श्री आशीष सिंह आगे आए हैं । उन्होंने 122 साल पुराने नक्शों के आधार पर सप्त सागरों की सीमाओं की जाँच करने के आदेश हाल ही में जारी किए हैं । यही नहीं सभी सातों सागरों पर अतिक्रमण पाए जाने पर उन्हें हटाने के भी निर्देश उन्होंने दिए हैं । 
               उज्जैन में सैकड़ों सालों से धार्मिक विरासत के रूप में सप्त सागर मौजूद हैं । उनके नाम हैं रुद्र सागर , पुष्कर सागर , क्षीर सागर , गोवर्धन सागर , विष्णु सागर , पुरुषोत्तम सागर और रत्नाकर सागर । स्कन्द पुराण में इन सबका अपना - अपना विशेष महत्व बताया गया है । अधिक मास में इनमें स्नान , दान और पुण्य का बहुत महत्व बताया गया है ।  रुद्र सागर के देवता शिव - पार्वती है । इसके पूजन से पापों का नाश , कामना पूर्ति और पितरों की प्रसन्नता की प्राप्ति का महत्व बताया गया है । पुष्कर सागर के देवता ब्रम्हा - सावित्री है । इसके पूजन का महत्व सौभाग्य और संतान की प्राप्ति बताई गई है । क्षीर सागर के देवता लक्ष्मी - विष्णु बताए गए हैं । इसके पूजन से ऐश्वर्य एवं धन - धान्य की प्राप्ति बताई गई है । गोवर्धन सागर के देवता कृष्ण हैं । इसका महत्व समस्त जन मानस की रक्षा करना बताया गया है । विष्णु सागर के देवता विष्णु जी ही बताए गए हैं । इसके  पूजन के महत्व में परीक्षा में सफलता और बुद्धि - विवेक में वृद्धि बताई गई है । पुरुषोत्तम सागर के देवता कृष्ण और च्वयन ऋषि हैं । इसके पूजन से दीर्घायु और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होना बताया गया है । रत्नाकर सागर के देवता गणेश , कार्तिकेय और पार्वती है । इसके पूजन से यश , सुख और परिवार की रक्षा होना बताया गया है । हर साल अधिक मास में ग्रामीण अंचलों से सैकड़ों श्रद्धालु इन सप्त सागरों में स्नान , पूजन , दान - पुण्य के लिए आज भी आते हुए आसानी से देखे जा सकते हैं । 
               इन धार्मिक और पौराणिक महत्व के सप्त सागरों में दबंगों ने अतिक्रमण कर के उसके मूल स्वरूप को अत्यंत सीमित कर दिया है ! यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन ये अपना मूल स्वरूप ही खो देंगे ! इन पर कॉलोनियाँ और विशाल अट्टालिकाएँ तन जाएँगी ! आश्चर्य और बेहद दुखद तो यह है कि इन सप्त सागरों पर दबंगों ने तो अतिक्रमण किया ही , सरकारी संस्थाओं और विभागों ने भी अतिक्रमण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी ! सिंहस्थ 2004 के समय रुद्र सागर में अतिक्रमण करते हुए संस्कृति विभाग द्वारा विशाल त्रिवेणी संग्रहालय बना डाला ! यही नहीं 2016 के सिंहस्थ के समय और वर्तमान में भी नगर निगम और स्मार्ट सिटी ने तो रुद्र सागर में ही करीब 40 प्रतिशत अतिक्रमण कर लिया है । और वह भी महाकाल आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं के नाम पर ! अरे भाई , आपको ऐसा विकास और निर्माण कार्य करना ही तो रुद्र सागर की सीमा के बाहर करें ! सरकारी जमीन नहीं हो तो निजी भवन और भूमि को मुआवजा देकर उस पर निर्माण करें ना ! ऐसा करने से किसने रोका है ? कम से कम रुद्र सागर पर तो रहम करें ! उसके बचे खुचे स्वरूप को भी क्यों समाप्त करने पर तुले हैं ! पर दुर्भाग्य यह है कि कोई भी देखने और सुनने वाला नहीं है ! सारे जनप्रतिनिधि भी चुप हैं ! यह और भी दुखद एवं आश्चर्यजनक है ! 
               आज सप्त सागरों का जो भी स्वरूप बचा हुआ है और दिखाई  दे रहा है , उसका श्रेय यदि किसी एक व्यक्ति को दिया जाए तो वह , नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष श्री सोनू गेहलोत ही है ! कुछ साल  पहले सोनू गहलोत ने एकनिष्ठ और संकल्पित होकर जनप्रतिनिधियों , जन सहयोग , शासन और प्रशासन के सहयोग से सप्त सागरों की सफाई , गहरीकरण एवं लगभग अतिक्रमण मुक्त करा कर सप्त सागरों की बाउंड्रीवाल बनाने का सराहनीय सेवा कार्य कर सबकी प्रशंसा भी प्राप्त की थी । 
               आज एक बार फिर धार्मिक महत्व के इन सप्त सागरों को उनके मूल स्वरूप में लाने का बीड़ा उज्जैन कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने उठाया है ! उन्होंने उज्जैन कस्बा के सन 1899 के नक्शों और 1927 के अधिकार अभिलेखों के आधार पर सप्त सागरों पर उस समय से वर्तमान तक किये गए अतिक्रमणों की जाँच करने के निर्देश जारी किए हैं । इसके साथ ही शहर के अन्य प्राचीन सरोवरों दूधतलाई , सूरजकुण्ड , नीलगंगा आदि की भी जाँच करने के आदेश उज्जैन के एसडीएम और नगर निगम को दिए हैं । कलेक्टर ने पुराने दस्तावेजों के आधार पर अतिक्रमण पाए जाने पर उसे हटाने के भी निर्देश दिए हैं । कलेक्टर ने अतिक्रमण हटाने के बाद राजस्व और नगर निगम के पुराने दस्तावेजों में सुधार करने के लिए भी कहा है , ताकि सभी रिकार्ड अद्यतन किये जा सकें । कलेक्टर के सामने अब एक और चुनौती आने वाली है ! वह यह कि कलेक्टर दबंगता से कार्य करेंगे और राजनैतिक दबाओं से नहीं दबे तो वे दबंगों के अतिक्रमण तो हटा देंगे , किन्तु सरकारी संस्थाओं और विभागों द्वारा किये गए अतिक्रमणों को कैसे हटा पाएँगें ? और यदि ऐसा कलेक्टर कर पाएँ तो यह उनकी और से उज्जैनवासियों के लिए स्थायी सौगात होगी ! आगे जो भी हो , कलेक्टर द्वारा आरम्भ की गई इस मुहिम के लिए उन्हें सभी उज्जैनवासियों और धार्मिक श्रद्धालुओं की ओर से सलाम तो बनता ही है !
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