100 करोड़ टीके लगे , किन्तु अभी मंजिल है दूर !
डॉ. चन्दर सोनाने
इसी 21 अक्टूबर को हमारे देश में नागरिकों को 100 करोड़ टीके लगा दिए गए । पूरे संसार में चीन के बाद यह संख्या सबसे ज्यादा है । इस उपलब्धि पर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी , सभी डॉक्टर , नर्स , स्वास्थ्य कर्मी और टीके लगाने में लगे सभी विभागों के कर्मचारियों तथा अधिकारियों को बहुत - बहुत बधाई और उनका आभार । किन्तु अभी मंजिल दूर है ! देश की आबादी करीब 130 करोड़ के मान से हर एक को दो टीके लगाने के लिए कुल 260 करोड़ टीके लगाए जाने हैं । अभी भी 160 करोड़ टीके लगाना बाकी है । इस मान से अभी केवल 38.68 प्रतिशत टीके ही लगे हैं । अभी और 61.32 प्रतिशत टीके लगाना बाकी है !
आइए , हम देश में टीकाकरण की 21 अक्टूबर तक की स्थिति देखते हैं । देश की आबादी 130 करोड़ को टीके लगाने की शुरुआत हमारे देश में 16 जनवरी से की गई । कुल 9 माह और 5 दिन में देश में 100 करोड़ टीके लगाए गए हैं । देश के लोगों को प्रथम डोज के रूप में कुल 71.08 करोड़ टीके लगाए गए हैं । कुल आबादी के मान से अभी 54.67 प्रतिशत टीके लगे हैं । अभी भी 45.33 प्रतिशत टीके लगाना बाकी है । इसी प्रकार देश में दोनों डोज के टीके केवल 29.51 करोड़ ही लगे हैं ! यह कुल आबादी के मान से केवल 22.70 प्रतिशत ही है । अभी भी 77.30 प्रतिशत टीके लगाना बाकी है। इस स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि 100 करोड़ टीके लगने के बाद निश्चिंत होकर अभी बैठा नहीं जा सकता है ! अभी बहुत काम बाकी है । जब तक देश के शत प्रतिशत लोगों को दोनों टीके नहीं लग जाये तब तक इस पुनीत अभियान को धीमे नहीं पड़ने देना है !
हमारे देश में शुरू में अनेक अव्यवहारिक और अदूरदर्शितापूर्ण नीति एवं नियमों के कारण तथा विदेश में टीके निर्यात करने के कारण टीकाकरण की गति बहुत ही धीमी रही । हमारे देश में शुरुआती 20 करोड़ टीके 131 दिन में लग पाए ! मीडिया में घोर आलोचना होने के बाद कुछ हालात सुधरे । इस कारण अगले 20 करोड़ टीके 52 दिन में लगे । अगले 20 करोड़ टीके और जल्दी लगे । 60 करोड़ से 80 करोड़ टीके लगने में सबसे कम केवल 24 दिन ही लगे । किन्तु फिर गति धीमी पड़ गई और 80 करोड़ से 100 करोड़ टीके लगने में 31 दिन लग गए ! गत माह 24 सितंबर को रोज लगने वाले टीके का एक सप्ताह का औसत रोज 1 करोड़ से भी ज्यादा हो गया था , किन्तु अब रोज लगने वाले औसत टीके केवल 36 लाख ही रह गए हैं । किन्तु अब इस गति को कम करने की बजाय और बढ़ाने की है । रोज कम से कम एक करोड़ टीके तो लगना ही चाहिए । यह लक्ष्य तय करना ही होगा । प्रधानमंत्री जी के ही अनुसार देश में कुल 1 लाख 30 हजार टीकाकरण केंद्र स्थापित हो चुके हैं । इस मान से प्रत्येक केंद्र पर कम से कम 100 टीके भी लगे तो रोज 130 लाख टीके लग सकते हैं । यदि राज्यों को टीके की प्रदाय व्यवस्था ठीक रही तो यह भी हो सकता है ।
हाल ही में देश में 100 करोड़ टीके लगने के बाद मोदी सरकार द्वारा मीडिया में यह प्रचारित और प्रसारित किया गया कि 100 करोड़ टीके लगाने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है ! 100 करोड़ टीके लगाने का लक्ष्य किसने और कब तय किया था ? शुरू से ही लक्ष्य तो कुल आबादी 130 करोड़ लोगों को दोनों टीके लगाने के लिए कुल 260 करोड़ टीके लगाने का है ! तो फिर यह 100 करोड़ का लक्ष्य बीच में कहाँ से आ गया ? अभी तो लक्ष्य की केवल 38.68 प्रतिशत की ही प्राप्ति हुई है ! मोदी सरकार को इस तरह की झूठी वाह - वाह लेने की कतई जरूरत नहीं है ! इस तरह की जग हंसाई से उसे बचना चाहिए !और अब 100 करोड़ टीके लगाने के बाद मोदी सरकार को अपनी टीकाकरण नीति की भी पुनः समीक्षा करने की सख्त जरूरत है ! देश के कुछ राज्यों में आबादी के मान से अभी भी टीके लगाने की गति बहुत धीमी है । सबसे खराब हालत उत्तर प्रदेश की है । वहाँ के ज्यादातर जिलों में 15 प्रतिशत से अधिक आबादी को अभी तक दोनों डोज लग नहीं पाए हैं । देश में सबसे कम टीकाकरण वाले 100 जिलों में से 47 उत्तर प्रदेश और बिहार के ही हैं ! यह चिंताजनक बात है ! इसी प्रकार देश के कुछ राज्यों के जिन जिलों में जहाँ कहीं भी कम टीकाकरण हुआ हो , वहाँ इसके कारण खोजने और वहाँ की समस्या दूर करने की सख्त जरूरत है ! इसके साथ ही देश के पिछड़े और आदिवासी बहुल इलाकों में भी कम टीके लगने की समस्याओं को सुलझाने की सख्त आवश्यकता है । कम साक्षरता और अत्यंत ही गरीब लोगों वाले अंचलों से भी बहुत कम टीके लगाने की खबरों को भी गंभीरता से देखने की जरूरत है ! ऐसे सभी क्षेत्रों के लिए अलग से योजना बनाने और उसे सही तरीके से क्रियान्वयन करने की भी आज आवश्यकता है । देश में सभी जगह एक जैसी नीति की बजाय , जिन अंचलों में अभी तक बहुत ही कम टीकाकरण हुआ है , उसके लिए और समर्पित सेवा भाव से कार्य करने की जरूरत है । यदि यह सोच कर कि अभी बहुत अच्छा काम हुआ है , किंतु अभी किये गए टीकाकरण का डेढ़ गुना से भी भी अधिक काम बाकी है , कार्य की समीक्षा की जाएगी तो निश्चित रूप से अनेक उपाय दिखने लगेंगे , सामने आने लगेंगे ! बस उसे देखना है और कम टीके लगने वाले सभी अंचलों के लिए अलग योजना बनाने की भी जरूरत है ।
और अंत में हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से निवेदन है कि वे फिर से विदेशों को टीके निर्यात करने की अपनी योजना की पुनः समीक्षा करें ! टीकाकरण की शुरुआत में टीके निर्यात करने की भूल हो चुकी है ! इसकी बहुत बड़ी कीमत हमारे देशवासियों ने चुकाई भी है ! किंतु , अब फिर से टीके निर्यात करने की नीति शुरू कर दी गई है , उस पर तुरन्त रोक लगाने की जरूरत है ! अभी कोरोना की तीसरी लहर का खतरा टला नहीं है ! और अब तो टीकाकरण का महत्व और उसकी उपयोगिता से सभी अच्छी तरह वाकिफ भी हो चुके हैं । टीके के निर्यात की अपनी पहली गलती को मानने और उससे सीख लेने की आज जरूरत है , ना कि उसे फिर से दोहराने की ! ! !
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