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हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 101 पायदान पर है , क्यों ?


डॉ. चन्दर सोनाने

               हाल ही में ग्लोबल हंगर इंडेक्स - 2021 दुनिया के सामने आई है । इसमें 116 देशों को शामिल किया गया है । इसमें हमारा देश 101 वें पायदान पर है ! भारत इसमें उन 31 देशों में शामिल है , जहाँ भूखमरी की स्थिति गंभीर है । बीते साल जारी इंडेक्स में 107 देश शामिल थे । उस समय हमारे देश की रैकिंग 94 वीं रही थी ! अब देश में जब सेंसेक्स रोज नये रिकॉर्ड बनाते हुए ऐतिहासिक ऊँचाई 61,305 पर पहुँच गया है , ग्लोबल हंगर इंडेक्स की यह रिपोर्ट हमें और देश के कर्ता धर्ता को कुछ सोचने के लिए मजबूर नहीं कर रही है ?
               इस इंडेक्स रिपोर्ट में अफगानिस्तान को छोड़कर अन्य पड़ोसी देशों में पोषण की स्थिति हमसे बेहतर है ! पाकिस्तान 92 वें , नेपाल 76 वें , श्रीलंका 65 वें , और बांग्लादेश 76 वें स्थान पर है ! उनकी स्थिति कोई अच्छी नहीं है , किन्तु हमसे बेहतर जरूर है ! इस इंडेक्स का ताजा अनुमान यह दिखाता है कि दुनिया के 47 देश भूखमरी खत्म करने के वर्ष  2030 के लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहे हैं ! यह इंडेक्स राष्ट्रीय , क्षेत्रीय और वैश्विक स्तरों पर वर्ष 2030 तक भूखमरी खत्म करने की दिशा में प्रगति को मापने के प्रमुख संकेतकों को ट्रैक करता है । इंडेक्स मापने का पैमाना चार संकेतकों अल्प पोषण , कुपोषण , दीर्धकालीन अल्प पोषण और बाल मृत्यु के आधार पर होता है । सिर्फ 15 देश ही हमसे नीचे हैं , आइए उनके नाम भी देख लें ! क्रमशः पापुआ न्यू गिनी , अफगानिस्तान , नाईजीरिया , कांगो , मोजांबिक , सिएरा लियोन , तिमोर ईस्ट , हैती , लाइबेरिया , मेडगास्कर , डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन ऑफ कांगो , चाड , अफ्रीकी गणराज्य , यमन और सोमालिया ! है ना आश्चर्य ?
               यह तय है कि मोदी सरकार इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट को खारिज कर देगी ! किन्तु यदि कोई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट यह कहती है कि आगामी समय में भारत की विकास दर बहुत अच्छी होने जा रही है तो मोदी सरकार के सभी मंत्री अपने नेता के नेतृत्व को बधाई देते नहीं थकते ! पर इस ताजा रिपोर्ट को सिर्फ इसलिए नकारेंगे कि इसमें भारत की स्थिति भूखमरी के द्रष्टिकोण से अत्यंत गंभीर बताई गई है ! राजा महाराजाओं के समय एक अच्छा राजा अपने राज्य की सही स्थिति जानने के लिए भेष बदलकर निकलता था और अपनी प्रजा को जिस कारण से दुखी देखता था तो वह उसके कारणों में जाकर उस समस्या को ही दूर करने की कोशिश करता था । ज्यादा समय नहीं हुआ है जब अपने ही देश के नए बने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जी एक सामान्य आम आदमी बनकर दिल्ली के प्रसिद्ध एम्स अस्पताल पहुँच कर एक बेंच पर बैठे थे तो वहाँ के एक गार्ड ने उन्हें डंडा फटकार दिया था ! मंत्री जी ने उस गार्ड की कर्तव्य निष्ठा को देखकर उसके विरुद्ध कोई भी कार्रवाई तो नहीं कि थी , किन्तु व्यवस्था में क्या सुधार किया , यह सामने नहीं आया ! दिल्ली के मुख्यमंत्री तो अक्सर दिल्ली में किसी भी जगह आम आदमी बनकर पहुँच जाते हैं ! यह भी हमने पढ़ा है । अब देखना यह है कि इस हंगर रिपोर्ट को देखकर मोदी सरकार क्या करती है ? इस रिपोर्ट को वह किस रूप में लेती है ? वैसे गत वर्ष की हंगर इंडेक्स रिपोर्ट से कुछ सीख ली है , यह तो दिखी नहीं ! यदि कुछ करती तो इस वर्ष की रिपोर्ट क्या इतनी दयनीय स्थिति में होती ?
               यहाँ आपके सामने कुछ उदाहरणों को सामने रख रहा हूँ । मोदी सरकार ने देश के गरीबों के लिए एक बहुत ही अच्छी बीमा योजना देश को दी है। वह है आयुष्मान योजना । इस योजना में देश भर में गरीब परिवार को बीमार होने पर सरकारी और निजी अस्पतालों में 5 लाख रु तक का खर्चा फ्री है । इस योजना में केवल गरीब परिवार को अपना पंजीयन करवाना होता है और उसे आयुष्मान योजना का एक कार्ड मिल जाता है । इस कार्ड के आधार पर वह बीमार होने पर कहीं भी अपना और अपने परिवार का इलाज करवा सकता है । इस योजना में अभी तक 12 करोड़ गरीबों का पंजीयन हो चुका है । है ना बहुत ही अच्छी योजना ? किन्तु दिखने में यह योजना जितनी आसान और अच्छी दिखती है , उसके क्रियान्वयन में यह उतनी ही उलझन भरी है ! कुछ माह पहले ही देश कोरोना की महामारी से बुरी तरह ग्रसित था । उस स्थिति में तो इस आयुष्मान योजना को वरदान बनकर गरीबों की मदद करनी थी ! किन्तु हुआ क्या ? देश के कुछ ही राज्यों के आँकड़ें आपके सामने उदाहरण के लिए रख रहा हूँ ! पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के शोध के अनुसार तमिलनाडु राज्य में कोरोना के करीब 4 लाख मरीज भर्ती हुए । किन्तु आयुष्मान योजना का लाभ केवल 10,377 को ही मिला । इस योजना में केवल 0.3 प्रतिशत कार्ड धारकों को ही लाभ मिल पाया । आंध्र प्रदेश में जरूर 12 प्रतिशत कार्ड धारकों को लाभ मिला । किन्तु पूरे बिहार राज्य में जून माह तक केवल 17 लोगों , उत्तर प्रदेश में केवल 875 लोगों और कर्नाटक राज्य में 1.60 लाख लोगों को इसका लाभ मिल सका है !
               यहाँ आयुष्मान योजना की बुराई करना मेरा उद्देश्य बिल्कुल नहीं है । इसकी तारीफ ऊपर की ही जा चुकी है। मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूँ कि योजना कितनी भी अच्छी क्यों नहीं हो , उसका क्रियान्वयन भी उतना ही आसान होना चाहिए कि जिसके लिए योजना बनाई गई हो वह उसे बिना किसी परेशानी के प्राप्त कर सकें तभी  वह सफल कही और मानी जायेगी ! एक और योजना की हकीकत सुनिए ! प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अत्यंत ही गर्व और जोशीले अंदाज में विज्ञापन में यह कहते हुए सुने जा सकते है गरीबों के लिए हमने शुरू की है   ' एक देश - एक राशनकार्ड योजना ' यानी गरीब अपने राशनकार्ड से देश में कहीं से भी मुफ्त और सस्ता अनाज प्राप्त कर सकता है । इस योजना की हकीकत यह है कि एक परिवार मध्यप्रदेश के धार से रोजी रोटी के लिए इंदौर आ गया । इसी बीच कोरोना के कारण लॉक डाउन लग गया । बाप - बेटे को जो काम मिला था , वह भी छूट गया ! अपना धार का राशनकार्ड ले कर वह इंदौर में अनेक उचित मूल्य की दुकानों पर राशन लेने गया , किन्तु उसे दुत्कारते और यह कहते हुए भाग दिया गया कि इस योजना के बारे में सुना तो हमने भी है , किंतु हमें इस बारे में कोई निर्देश नहीं है !
              एक और उदाहरण बताना चाहूँगा । कोरोना का टीकाकरण हमारे देश में 16 जनवरी 2021 से शुरू हुआ । शुरूआत में ही टीका लगाना इतना क्लिष्ट कर दिया गया कि जिसे भी टीका लगाना हो वह ऑनलाइन आवेदन करें ! जिस देश की करीब 70 प्रतिशत आबादी अभी भी गाँवों में ही रहती है , उन्हें कहा गया कि टीका ऑफ लाइन नहीं लगेगा ! यह ग्रामीणों के साथ मजाक नहीं तो क्या था ? और शर्त यह कि टीका लगाने के लिए केवल आधार कार्ड ही चलेगा । जिस देश का मतदाता पिछले कई सालों से जिन 16 कागजातों में से किसी भी एक को मतदान केंद्र पर ले जाकर केंद्र और राज्यों में सरकार बना रहा है , उसे केवल जीवन रक्षक टीका लगाने के लिए आधार कार्ड को ही अनिवार्य बना दिया गया ! यही नहीं टीका लगाने के और भी प्रतिबंध लगा दिए गए जैसे पहला टीका लगाना हो तो पूरे शहर में 50 टीकाकरण केंद्र है , किन्तु यदि दूसरा टीका लगाना हो तो केवल 5 केंद्र बनाए गए ! ऐसे ही अनेक अव्यवहारिक और मूर्खतापूर्ण नियमों और शर्तों के कारण ही शुरू में बहुत ही धीमी गति से टीके लग पाए ! और दूसरा टीका लगाने में तो हम अभी भी बहुत ही पीछे हैं !
               इतने उदाहरण देने का उद्देश्य सिर्फ यह है कि अच्छी योजना ही काफी नहीं है , उसका क्रियान्वयन भी उतना ही आसान होना चाहिए ! उसकी समय - समय पर नियमित समीक्षा भी होनी चाहिए । विश्व की सबसे बड़ी मुफ्त भोजन और सस्ता अनाज योजना केंद्र सरकार काफी समय से देशभर में चला रही है ! वाकई यह योजना गरीबों के लिए बहुत ही अच्छी है । इसके बावजूद 116 देशों में हमारे देश को 101 वें पायदान पर होना सिर्फ शर्म की ही बात नहीं होना चाहिए , बल्कि देश के कर्णधारों के लिए यह गंभीर चिंतन और मनन के लिए भी होना चाहिए ! और भूखमरी से बचने की बनाई गई विभिन्न योजनाओं में समय के अनुरूप सुधार भी होते रहना ही चाहिए , ताकि अपने देश में कोई भी गरीब भूखा नहीं सोए !!!
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