टीके के 75 प्रतिशत डोज लगने हैं अभी बाकी !
डॉ. चन्दर सोनाने
हमारे देश में 16 जनवरी 2021 से लोगों को कोरोना के टीके लगने शुरू हुए थे । देश की कुल आबादी है 130 करोड़ । हर एक को दो टीके लगने हैं । टीके लगने की शुरुआत से 30 सितंबर 2021 तक यानी साढ़े आठ माह में देश भर में 89.02 करोड़ टीके के डोज लगे हैं । यह कुल आबादी के मान से केवल 24.72 प्रतिशत ही है। अर्थात अभी 75.28 प्रतिशत डोज लगने बाकी है । यानी अभी केवल एक चौथाई ही काम हुआ है । तीन तिहाई काम बाकी है ! ऐसी स्थिति में मोदी सरकार ने टीके का फिर से निर्यात करने का फैसला ले लिया है ! ये खतरे से खाली नहीं है ! कहीं यह निर्णय आत्मघाती सिद्ध नहीं हो जाए !
आइए , हम सिलसिलेवार यह सब देंखे । देश में 30 सितंबर 2021 तक कुल 65.02 करोड़ लोगों को टीके की पहली डोज लग गई है । आबादी के मान से 50.01 प्रतिशत लोगों को टीके लग गए हैं । यानी देश की आधी आबादी को टीके की पहली डोज लग गई है । यह स्थिति अत्यंत संतोषजनक है । किन्तु यह भी ध्यान देने की बात है कि यह उपलब्धि साड़े आठ माह में मिल पायी है । अभी भी आधी आबादी को टीके का पहला डोज लगना बाकी है ! सबसे खतरनोक बात यह है कि 30 सितंबर तक केवल 24 करोड़ लोगों को ही टीके के दोनों डोज लग पाए है ! आबादी के मान से यह केवल 18.46 प्रतिशत लोगों को ही टीके के दो डोज लग पाए है ! अभी भी देश के 106 करोड़ लोगों को टीके का दूसरा डोज लगना बाकी है ! यानी 81.54 प्रतिशत लोगों को अभी भी टीके का दूसरा डोज लगना बाकी है !
केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग के नए आंकड़ों के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर के पहले 42 दिनों में जहाँ बिना टीके वाले दस लाख बुजुर्गों में से 121 बुजुर्गों की हर सप्ताह मौतें हुई , वहीं एक टीका लगवाने वाले बुजुर्ग केवल 2.6 ही मरे । और दोनों टीके लगवाने वाले बुजुर्ग केवल 1.76 ही मृत्यु को प्राप्त हुए । चिंता की बात यह है कि अभी भी हर चौथा बुजुर्ग बगैर टीके के है ! अध्ययन में यह भी पाया गया है कि एक टीका भी मौतों को 96.6 प्रतिशत रोक सकता है। और दोनों टीके लगाने पर 97.5 प्रतिशत तक मौत का खतरा कम हो जाता है । अध्ययन यह भी बताता है कि 45 से 59 वर्ष की आयु वर्ग के बिना टीके वाले प्रति दस लाख लोगों में 5.6 मौतें हर सप्ताह हुई । जबकि एक टीका लगाने वाले पर यह घट कर 0.6 मौत और दोनों टीके लगवाने के बाद मात्र 0.1 प्रतिशत ही रह गई । ये सब आँकड़े एक बार फिर यह सिद्ध करते हैं कि टीके हमारे देश के लोगों के लिए कितने जरूरी है ! यानी टीका ही हमें मौत से बचा सकता है !
देशवासी कोरोना की दूसरी लहर की तबाही से हाल ही में उभरे हैं । इस दूसरी लहर की त्रासदी के कारण शायद ही कोई परिवार बच पाया है , जब उसके परिवार , रिश्तेदार , मित्र आदि कोरोना संक्रमण से रूबरू नहीं हुआ हो या उसने किसी अपने को खोया नहीं हो ! देश के लाखों लोगों ने अपनी नौकरी गँवा दी या उसका व्यवसाय बर्बाद हो गया ! लाखों परिवारों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई ! और सबसे बड़ी त्रासदी तो यह थी कि लाखों लागों ने अपनी जान गंवा दी ! अब यह सिद्ध हो चुका है कि टीका ही रामबाण औषधि है , तब सर्वोच्च प्राथमिकता लोगों को दोनों टीका लगाना है ना की टीके का निर्यात करना ! आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी , विश्व नेता बनने के और भी मौकें आएंगे ! कृपया अभी टीके के निर्यात पर पुनर्विचार करें !
हमारे देश में टीके लगने की शुरुआत से अब तक केवल सितंबर माह ही अत्यंत आशाजनक सिद्ध हुआ है । इसी एक माह में ही अधिकतम रिकार्ड 23.6 करोड़ लोगों को टीके लगे हैं ! यह राहत भरी खबर है । इसे न केवल बरकरार रखने की जरूरत है , बल्कि इस गति को और बढ़ाने की भी आवश्यता है । देश में अभी 60 हजार टीकाकरण केंद्र नियमित रूप से टीकाकरण के लिए कायम हो चुके हैं । यदि प्रतिदिन इन केंद्रों पर 200 टीके लगे तो 1.20 करोड़ न सही कम से कम एक करोड़ टीके तो रोज लग ही सकते हैं । आज इसकी सख्त जरूरत है । यदि इसी मान से चले तो एक माह में 30 करोड़ और और आगामी 6 माह में ही 180 करोड़ डोज तक लग सकते हैं ! अभी देश की आबादी 130 करोड़ के मान से 260 करोड़ डोज लगाने के लक्ष्य में से सितंबर माह के अंत तक 89 करोड़ डोज लग चुके हैं । अभी टीके के 171 करोड़ डोज लगना बाकी है । यानी अगले साल मार्च 2022 तक देश के सभी लोगों को टीके लगा पाना संभव हो सकता है ! यह संभव हो सकता है , जब टीके की आपूर्ति निर्बाध रूप से देश के सभी राज्यों को मिलती रहे ! बाबा महाकाल से प्रार्थना करते हैं कि ऐसा ही हो , ताकि सभी देशवासियों को टीके का कवच मिल सकें !!!
----------०००----------