निजता के अधिकार में सेंध : प्रजातंत्र से खिलवाड़ !
डॉ. चन्दर सोनाने
विश्व के 10 मीडिया संस्थानों के सैकड़ों पत्रकारों ने मिलकर इजरायली कंपनी एनएसओ के स्पाइवेयर 'पेगासस' के माध्यम से दुनियाभर की सरकारें द्वारा लोगों की अवैध रूप से की जा रही जासूसी के खुलासे ने तहलका मचा दिया है ! ये सरकारें अपने - अपने देश के पत्रकारों , नेताओं , जजों , वकीलों , कारोबारियों , सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि की पिछले अनेक वर्षों से जासूसी कर रही है । फ्रांस की संस्था 'फॉरबिडन स्टोरीज' और 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' ने मिलकर पता लगाया है कि इजरायली जासूसी नेटवर्क का उपयोग भारत में भी किया गया है ! यह सब एक तरह से निजता के अधिकार में सेंध लगाने के समान है ! और इसे प्रजातंत्र के साथ खिलवाड़ ही कहा जाएगा !
वॉशिंगटन पोस्ट और द गार्जियन के अनुसार भारत में अनेक पत्रकारों , प्रमुख विपक्षी नेताओं , अनेक वर्तमान और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों , जजों , उद्योगपतियों आदि के नामों का खुलासा किया गया है । पत्रकारों में अधिकांश उन पत्रकारों के नाम से आ रहे हैं , जो लगातार मोदी सरकार के खिलाफ लिखते आ रहे हैं ! जासूसी का काम करने वाला यह पेगासस सॉफ्टवेयर इजरायल की कंपनी एनएसओ ही बेचती है । इस कंपनी ने जासूसी के खुलासे के बाद स्पष्ट किया है कि वह केवल संप्रभु देशों के खुफिया प्रतिष्ठानों को ही पेगासस देती है ! यानी केवल देशों को ही देती है !
इस आधुनिकतम तरीके से की रही जासूसी से स्वाभाविक था कि भारत में भी बवाल मचे । और अपने देश में भी मचा ! संसद में रोज हंगामा हो रहा है । इस बीच फ्रांस सरकार ने इस जासूसी की जांच करने की घोषणा कर दी है । पेगासस बनाने वाली इजराइली कंपनी एनएसओ के को - फांउडर शालेव हूलिओ ने भी इस बात की जांच करने की बात कही है कि वह यह देखेगी की पेगासस का दुरुपयोग तो नहीं हुआ है । स्वाभाविक था कि भारत में भी हर स्तर पर इसकी जांच करने की मांग उठाई जा रही है । देश के आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव और भाजपा प्रवक्ता श्री रविशंकर प्रसाद ने पेगासस की खरीदी की बात न तो स्वीकार की है और न ही इसे खारिज ही किया है ! मोदी सरकार इस मामले को देश के खिलाफ विदेशी साजिश करार देकर रफा - दफा करने के लिए सारी ताकत लगा रही है !
इस बीच संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने विश्व के सभी देशों को अपने निगरानी उपकरणों का इस्तेमाल तुरंत बंद करने के लिए कहा है । निगरानी को उन्होंने खतरनाक बताया है । भारत में आईटी मामलों की स्थायी संसदीय समिति ने पेगासस मामले पर केंद्र सरकार से रिपोर्ट तलब की है । कांग्रेस सांसद श्री शशि थरूर की अध्यक्षता वाली यह समिति आईटी और गृह मंत्रालय के अफसरों से पेगासस के जरिए नेताओं , पत्रकारों तथा अन्य लोगों की जासूसी के संबंध में सवाल करेगी ।
अपने देश में जिन लोगों की जासूसी की गई है , उनमें अनेक पत्रकारों और उनके प्रतिष्ठानों के नाम भी सामने आ रहे हैं । हाल ही में देश के 12 राज्यों में 65 संस्करण प्रकाशित करने वाले दैनिक भास्कर समूह के मध्यप्रदेश , महाराष्ट्र , गुजरात , राजस्थान , छत्तीसगढ़ और नोएडा स्थित भास्कर के ऑफिस एवं अन्य परिसरों में आयकर विभाग द्वारा डाले गए छापे जासूसी के इसी क्रम में बताए जा रहे हैं ! पिछले दिनों आयकर विभाग के करीब सौ लोगों की टीम द्वारा भास्कर के भोपाल , इंदौर , जयपुर , अहमदाबाद और नोएडा स्थित ऑफिसों और कुछ आवासीय परिसरों में पहुँचकर जाँच की गई। उसी दिन आयकर विभाग द्वारा उत्तरप्रदेश में न्यूज़ चैनल भारत समाचार समूह के दफ्तर और संपादकीय प्रमुख के घर पर छापे डालकर जाँच की गई । इन छापों के बाद वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट का शीर्षक दिया ' आलोचनात्मक खबरों के कुछ ही महीने बाद शीर्ष भारतीय अखबार पर कर विभाग की कार्रवाई । ' अखबार ने लिखा है , '' दैनिक भास्कर हिंदीभाषी कुछेक अखबारों में से एक है , जिसने पेगासस जासूसी की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया । इसके कुछ ही समय बाद कार्रवाई की गई । " इसी प्रकार द गार्जियन ने लिखा " जब मार्च में कोरोना की दूसरी लहर ने भारत को जकड़ लिया था , तब दैनिक भास्कर ने राज्य और केंद्र सरकारों की इस संकट से निपटने में असफलता की विस्तृत खबरें छापीं । इसमें ऑक्सीजन की कमी , हॉस्पिटल में बेड की कमी , गंगा में पीड़ितों के तैरते शव , वैक्सीन की बर्बादी आदि से जुड़े कवरेज शामिल हैं । " अमेरिकी विदेश मंत्रालय में हिंदी के प्रवक्ता श्री जैद तरार ने कहा कि आजाद मीडिया हमारा बुनियादी सिद्धांत है । और हम समझते हैं कि एक मजबूत लोकतंत्र के लिए यह जरूरी है । हमारे देश में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने स्वतंत्र पत्रकारिता के खिलाफ सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल पर चिंता जताई है । गिल्ड ने जारी अपने बयान में कहा " हम देश के प्रमुख समाचार पत्र समूह भास्कर के कार्यालयों पर आयकर कार्रवाई से चिंतित हैं । " आगे बयान में कहा गया कि " हम इसलिए चिंतित हैं , क्योंकि सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल स्वतंत्र पत्रकारिता को ' दबाने के उपकरण ' के रूप में किया जा रहा है ।
पेगासस जासूसी मामले में हाल ही में ताजी खबर यह है कि बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी ने पेगासस जासूसी मामले की जाँच के लिए दो सदस्यीय आयोग का गठन कर दिया है । इसमें एक सदस्य सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर है । आयोग के दूसरे सदस्य कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य होंगे । पेगासस की टारगेट लिस्ट में बंगाल के लोगों के नाम भी हैं । आयोग इसके तमाम पहलुओं की पड़ताल कर छह माह में अपनी रिपोर्ट देगा । इस बारे में मुख्यमंत्री ने कहा " हमने सोचा था कि केंद्र सरकार खुद जाँच आयोग गठित करेगा या अदालत की निगरानी में जाँच के आदेश दिए जाएँगे । लेकिन ऐसा नहीं हुआ । इसलिए हमने जाँच आयोग गठित किया है । "
पेगासस जासूसी मामला अभी थमने वाला नहीं है । एक तरफ संसद में जहाँ सभी विपक्षी दल इस मामले की जाँच करने की मांग कर रहा है , वहीं समाज के करीब हर तबके के लोगों की , की जा रही जासूसी के इस मामले में सबको सकते में डाल दिया है । लोगों की जासूसी यानी उनके निजता के अधिकारों में सीधा अतिक्रमण है ! सेंध लगाने का प्रयास है ! किसी भी देश के प्रजातंत्र के लिए यह खतरनाक है ! खिलवाड़ है ! मोदी सरकार को यदि वास्तव में लोगों का गुस्सा शांत करना है तो उसे तुरंत इस पूरे मामले की जाँच करने के लिए न्यायिक जाँच आयोग का गठन करना चाहिए ! एक दूसरा विकल्प भी है । वह है , मोदी सरकार जेपीसी से इस मामले की जाँच करने की घोषणा करें ! तीसरा मार्ग भी है , जो वह अपनाए हुए हैं । यानी कुछ नहीं करना ! मोदी सरकार के अभी तक के अनुभव से यह कहा जा सकता है कि वह तीसरा मार्ग ही अपनाएगी ! यानी कुछ नहीं करेगी ! कुछ भी नहीं !!!
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