सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को फिर दिखाया आईना !
डॉ. चन्दर सोनाने
और एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को आईना दिखाया ! जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने 31 मई को सुनवाई वाले दिन केंद्र सरकार की टीकाकरण नीति पर सख्त टिप्पणी की थी । और फिर सुप्रीम कोर्ट ने 2 जून को लिखित में आदेश देकर केंद्र सरकार से टीकाकरण नीति , टीकों की खरीदी पर हुए फैसलों की पूरी जानकारी , उनसे जुड़ी फ़ाइल नोटिंग और दस्तावेज सौंपने के आदेश दिए ।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश में कोरोना महामारी के कारण अस्पतालों में जरूरी दवाइयों , बेड और ऑक्सीजन की कमी के कारण हो रही तबाही के मंजर को देखते हुए 22 अप्रैल को स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार से कहा था कि देश की इस गंभीर हालत में सुप्रीम कोर्ट मूकदर्शक नहीं रह सकता ! कोर्ट ने केंद्र सरकार को कोरोना महामारी से निपटने के लिए 30 अप्रैल तक राष्ट्रीय प्लान प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे । साथ ही कोर्ट ने राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में देश के सभी लोगों को फ्री में टीके लगाने की सलाह भी दी थी। किन्तु अगली सुनवाई में मोदी सरकार ने आधी अधूरी जानकारी दी और राष्ट्रीय टीकाकरण योजना प्रस्तुत ही नहीं की थी । इस पर फिर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लताड़ लगाते हुए टीकाकरण नीति की पूरी जानकारी देने के फिर निर्देश दिए थे ।
और सुप्रीम कोर्ट ने अपने स्वतः संज्ञान वाले मामले में हाल ही में 31 मई को हुई सुनवाई में कहा कि जब सरकारी नीतियों द्वारा नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंखन हो रहा हो तब अदालतें मूकदर्शक नहीं रह सकती । नीतियों की समीक्षा और संवैधानिक औचित्य देखना अदालतों की जिम्मेदारी है । केंद्र को इस मामले में दो सप्ताह में हलफनामा दायर करना होगा और अगली सुनवाई 30 जून को होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने 18 साल से 45 साल तक के लोगों को टीका लगाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पर भी सवाल उठाया । कोर्ट ने कहा देश की बड़ी आबादी के पास एंड्रॉयड फोन ही नहीं है तो वे अपना पंजीयन कैसे कर पाएंगे ? और टीका कैसे लगा पाएंगे ?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जो प्रमुख सवाल पूंछे हैं , उनमें से प्रमुख ये हैं - देश में उपलब्ध टीकों की खरीद के लिए कब - कब आर्डर दिए गए ? इन तारीखों पर वैक्सीन के कितने डोज का आर्डर दिया गया ? जो आर्डर दिए गए उनके टीके मिलने की अनुमानित तारीख क्या है ? पहले तीन चरण में पात्र कितने फीसदी लोगों को पहली और कितनों को दोनों डोज लग चुकी ? टीकाकरण की ग्रामीण और शहरी आबादी की अलग - अलग जानकारी आपके पास है क्या ? ब्लैग फंगस की दवाएँ मुहैय्या करने के लिए केंद्र सरकार ने अब तक क्या किया ? केंद्र इस साल दिसंबर के अंत तक सभी वयस्क गरीब 100 करोड़ लोगों के टीकाकरण का दावा कर रहा है , इसका रोडमैप क्या है ? इस वित्तीय वर्ष 2021 - 2022 के बजट में टीकाकरण के लिए आवंटित 35 हजार करोड़ रुपये का अब तक क्या इस्तेमाल हुआ ? इसका इस्तेमाल 18 से 44 वर्ष के लोगों के टीकाकरण के लिए क्यों नहीं हो सकता ?
उधर ओडिसा के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक ने देश के सभी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस बात पर एक मत होने के लिए सहमति बनाने के लिए कहा है कि केंद्र ही पहले की तरह टीके खरीदकर राज्यों को दें और राज्य टीके लगाए । केरल और बंगाल के मुख्यमंत्री ने भी यही बात कह कर नवीन पटनायक का समर्थन कर दिया है । भाजपा के मुख्यमंत्रियों ने इस बारे में मौन रहकर भी बहुत कुछ कह दिया है । विश्व के प्रमुख देशों ने अपने यहाँ की बड़ी आबादी को टीके लगाकर सुरक्षित कर लिया है । अमेरिका ने अपने देश की 50.9 प्रतिशत आबादी को पहला और 41.2 प्रतिशत आबादी को दोनों डोज लगा दिए हैं । यूरोपीय यूनियन ने 39.4 प्रतिशत आबादी को पहला और 19.3 प्रतिशत आबादी को दोनों डोज लगा दिए हैं । ब्राजील ने 22.2 प्रतिशत आबादी को पहला और 10.7 प्रतिशत आबादी को दोनों डोज लगा दिए हैं । यूके ने 59.5 प्रतिशत आबादी को पहला और 39.6 प्रतिशत आबादी को दोनों डोज लगा दिए हैं । जर्मनी ने 44.7 प्रतिशत आबादी को पहला और 19.6 प्रतिशत आबादी को दोनों डोज लगा दिए हैं । इन देशों की तुलना में अपने देश में हुए टीकाकरण की हालत बहुत खराब है ! भारत में 12.6 प्रतिशत आबादी को पहला और केवल 3.1प्रतिशत आबादी को ही दोनों डोज दिए गए हैं । ऐसी गंभीर स्थिति में सुप्रीम कोर्ट ने अपने देश के आम लोगों की आवाज बनकर केंद्र सरकार से जो सवाल किए हैं , लगता है कि मोदी सरकार को अब तो सारे सवालों का जवाब देना ही होगा ! कोर्ट ने केंद्र सरकार के सामने अब कोई रास्ता नहीं छोड़ा है ! आप और हम 30 जून का करते हैं इंतजार ! क्या इस बार भी मोदी सरकार पहले की ही तरह गोलमोल जवाब देकर बच कर निकलने की कोशिश करती है या कोर्ट के सभी सवालों का जवाब देकर देश के सामने टीकाकरण नीति और कार्ययोजना का खुलासा करती है ! तब तक हमेशा की तरह करते हैं इंतजार !
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