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कोरोना से देश में तबाही का मंजर : सुप्रीम कोर्ट ही है आशा की किरण !


डॉ. चन्दर सोनाने

          प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की लापरवाही , अकर्मण्यता , अदूरदर्शिता और उदासीनता के कारण देश में कोरोना के कारण तबाही का मंजर छाया हुआ है ! रोज बढ़ रहे मरीज और मौतें नए विश्व रिकार्ड बना रहे हैं ! वहीं देश में रोज टीकाकरण की संख्या बढ़ने की बजाय घट रही है ! यह अत्यंत ही दुखद और शर्मनाक स्थिति है । मोदी सरकार अभी तक अपनी कोई भी गलती मान ही नहीं रही है और न ही कोई कारगर योजना ही बना रही है । बेड , जीवन रक्षक दवाइयों और ऑक्सीजन की कमी के कारण रोज मरीज अपनी सांसें तोड़ने के लिए अभिशप्त हैं ! ऐसी स्थिति में आशा की केवल एकमात्र किरण सुप्रीम कोर्ट ही नजर आ रही है !
            आइए , सबसे पहले हम विश्व के प्रमुख देशों में कोरोना की स्थिति और अपने देश की तबाही का मंजर देखते हैं ! अमेरिका के राष्ट्रपति श्री जो बाइडेन ने 4 मई को घोषणा कर दी है कि दो माह बाद 4 जुलाई को अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस पर देश की 70 प्रतिशत वयस्क आबादी को वह कोरोना वैक्सीन का टीका लगा देगी और इस प्रकार कोरोना संक्रमण के चक्रव्यूह से बाहर आकर अपने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस का तोहफा देंगे । और ब्रिटेन ने कहा है कि इसी वर्ष में जुलाई माह के अंत तक सबको पहला टीका लगाकर अगस्त माह से देश से कोरोना को भगा देगा । इसी प्रकार स्पेन और इजराइल ने भी अपने - अपने देश में सघन और तेज गति से टीकाकरण करके कोरोना से ग्रसित लोगों की संख्या और उससे हो रही मौतों की संख्या में उल्लेखनीय कमी ला दी है । अर्थात अब यह सिद्ध हो चुका है कि वर्तमान में तेज गति से सबको टीके लगाकर ही हम इस तबाही के मंजर को रोक सकते हैं !
            अब हम बात करते हैं अपने देश की । देश में पहली लहर में सबसे ज्यादा 97,894 केस 17 सितंबर को आये थे ।देश में कोरोना की दूसरी लहर मार्च माह से शुरू हुई । इस माह में 1 तारीख को 12,270 नए केस आए और एक माह बाद ही 1अप्रैल को 75 हजार से ज्यादा केस आने लगे  थे । इसी माह में 22 अप्रैल को पहली बार 3 लाख से ज्यादा केस ने देश भर में तबाही मचाना शुरू कर दिया था। और 4 मई को देश भर में अब तक का सर्वाधिक 4,12,111 केस ने सबकी नींद उड़ा दी । यह संख्या देश में ही सर्वाधिक नहीं है , बल्कि यह विश्व रिकार्ड भी है। इससे पहले विश्व रिकार्ड अमेरिका के नाम था । वहाँ एक दिन 8 जनवरी को सर्वाधिक  3 लाख 7 हजार से अधिक केस आये थे । हमारा देश अमेरिका का यह रिकॉर्ड 22 अप्रैल को ही तोड़ चुके हैं । और तो और हमारे देश में 4 मई से लगातार चार दिन 7 मई तक 4 लाख से ज्यादा केस ने देश में ऐसा मंजर दिखा दिया जो पहले किसी ने नहीं देखा था ! यही नहीं 6 मई को देश में सबसे अधिक 4,191 मौतों ने सबको अंदर से हिला दिया । दूसरे दिन 7 मई को भी देश में 4,089 मौतें हुई है । देश में 7 मई तक कुल मरीजों की संख्या 2,22,84,371 हो गई है । राहत की बात यह भी है कि इस तारीख तक कुल 1,83,10,727 मरीज ठीक होकर अपने घर भी गए हैं । 7 मई तक देश में कुल मौतें 2,42,396 हो गई है । खतरे की घंटी यह है कि 7 मई को भी पॉजिटिविटी रेट 22.6 प्रतिशत है ! यानी औसत हर पाँच मरीज में से एक की मौत हो रही है ! यह अत्यंत ही चिंताजनक बात है । देश में कोरोना संकट कितना भयावह है , यह इससे सिद्ध होता है कि वर्तमान में हमारे देश के 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पूर्ण लॉक डाउन लगा हुआ है । बाकी सभी राज्यों में भी आंशिक लॉक डाउन लगा हुआ है ! देश में 24 राज्यों में 15 प्रतिशत से अधिक पॉजिटिविटी रेट है , 10 राज्यों में 5 से 15 प्रतिशत और केवल 3 राज्यों में ही 5 प्रतिशत से कम रेट है ! यह राज्यों की भयावह स्थिति को बयां कर रहे हैं !
           अब हम बात करते हैं अपने देश में हो रहे टीकाकरण के बारे में । विश्व के प्रमूख देशों ने अपने देश में कोरोना की पहली लहर के दुष्परिणाम को देखते हुए दूसरी , तीसरी और चौथी लहर का सामना करने के लिए जहाँ अपने देशों में स्वास्थ्य सुविधाओं को विस्तार और उन्हें आवश्यक सभी संसाधन उपलब्ध कराए , वहीं अपने देशवासियों के टीकाकरण पर सर्वाधिक ध्यान देकर उन्हें कोरोना संकट से लगभग उभार ही लिया है । और अपने देश के हालात देखिए ! जब देशवासियों को सबसे ज्यादा जरूरत अस्पतालों में बिस्तर , ऑक्सीजन , जीवन रक्षक दवाइयों और तेज गति से टीकाकरण की जरूरत थी , उस समय खुद प्रधानमंत्री और पूरी मोदी सरकार देश के पाँच राज्यों में अपनी पार्टी की ही सरकार बनें  इसके लिए अपनी पूरी शक्ति और सारे संसाधन वहीं झोंकने में प्राणप्रण से जुटी हुई थी ! यही नहीं पूरी मोदी सरकार और सभी राजनैतिक दलों ने लगतार हजारों लोगों की उपस्थिति में चुनावी रैलियों और रोड़ शो कर खुलेआम कोरोना नियमों की धज्जियाँ उड़ाई । और चुनाव आयोग आंखें बंद कर सोया रहा।इसका दुष्परिणाम भी सामने आ गया है । पाँच राज्यों में 2 मार्च को नोटिफिकेशन से लेकर 2 मई को चुनाव परिणाम आने तक 10 से 158 गुना नए केस बड़ा दिए । बंगाल में 102 गुना , असम में 158 गुना , तमिलनाडु में 123 गुना ,केरल में 10 गुना और पुड्डुचेरी में 46 गुना ज्यादा नए केस आये हैं । चुनाव ने कोरोना केस की संख्या में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी कर देश की समस्याओं  और बाद दिया , मोदी सरकार को देश में इलाज के अभाव में दम तोड़ते लोग दिख ही नहीं रहे थे ।
             आइये , हम अपनी बात टीकाकरण के आंकड़ों से स्पष्ट करते हैं । देश में 45 साल से अधिक उम्र के लोगों की कुल संख्या करीब 31 करोड़ हैं । देश भर में 1 से 6 अप्रैल तक कुल 6 दिन में 2.19 करोड़ लोगों को टीके लगाए गए । यानी रोज औसत 36.5 लाख लोगों को टीके लगे । इस संख्या ने कुछ उम्मीद भी जगाई थी , किन्तु फिर इसी समय मोदी सरकार राज्यों के चुनाव जीतने में लग गई थी । इसके बाद अप्रैल माह के अंत आते - आते रोज औसत टीकाकरण 20 लाख तक गिर गया । और 2 मई को तो एक दिन में केवल 12.10 लाख टीके ही लग पाए । यानी अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में जहाँ औसत 36 लाख से ज्यादा टीके लग रहे थे , वहीं मई माह के प्रथम सप्ताह की 2 तारीख को 12 लाख यानी एक तिहाई ही टीके लग पाए । देश में 8 अप्रैल तक कुल 16.94  करोड़ डोज ही लग पाए हैं । इनमें से 13.39 करोड़ लोगों को पहला और केवल 3.55 करोड़ लोगों को ही दोनों डोज लग पाई है । याद रखें 45 से अधिक उम्र के लोगों को टीके केंद्र सरकार राज्यों को निःशुल्क देती है और राज्य भी अपने टीकाकरण केंद्रों से लोगों को निःशुल्क टीके लगा रही है । जब केंद्र ने टीके दिए ही नहीं तो राज्य लगाए कैसे ? अब आप देखें वर्तमान हालात ! मोदी सरकार ने यह तो घोषणा कर दी कि 1 मई से देश में 18 से 45 वर्ष तक के लोगों को भी टीके लगाए जाएंगे , किन्तु अपनी जिम्मेदारी से हाथ खींच लिए । केंद्र सरकार ने स्पष्ट रूप से सभी राज्यों को कह दिया अब हमारे भरोसे नहीं रहना । केंद्र अब 18 से 45 साल तक के लोगों को टीके लगाने के लिए राज्यों को नहीं देगा । राज्य सीधे वैक्सीन निर्माता कंपनी से बात करें , खरीदें और अपने अपने राज्यों के नागरिकों को पैसे लेकर या निःशुल्क जैसे चाहें टीके लगाए । परिणाम क्या हुआ ? आप ही देखिए । देश के 15 राज्यों ने केंद्र को कह दिया कि वे 1 मई से इस तीसरे चरण के अभियान को शुरू नहीं कर पाएंगे क्यों कि टीके के ऑर्डर तो उन्होंने दे दिए हैं , किंतु कब तक आएंगे , कह नहीं सकते । केवल 9 राज्यों ने ही कुछ ही केंद्रों पर कुछ ही लोगों को टीके लगाने की औपचारिकता पूरी की । मध्यप्रदेश के उदाहरण से इसे अच्छी तरह समझा जा सकता है। इस राज्य ने 5 मई से अपने सभी जिलों के केवल जिला मुख्यालय पर केवल एक केंद्र पर मात्र 100 लोगों को टीके लगाकर अभियान का शुभारंभ किया और बताया कि जैसे जैसे टीके मिलते जाएंगे केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाएगी । कुछ - कुछ  ऐसा ही देश के अन्य राज्यों में भी हो रहा है । अब राष्ट्रीय स्तर पर इस तीसरे चरण की हालत देंखे । देश में 18 से 45 साल तक के करीब 45 करोड़ लोग हैं । इन्हें 1 से 6 मई तक कुल 6 दिन में केवल 11.81 लाख टीके ही लग पाए । यानी रोज औसत 1.97 लाख लोगों को ही टीके लग पाए । मोदी सरकार की अव्यवहारिक , तानाशाही , अवैधानिक , मनमानी और हास्यास्पद नई नीति का यह है दुष्परिणाम ! विश्व में किसी भी देश ने ऐसा चमत्कार नहीं किया , जैसा अपने देश में मोदी जी ने कर दिखाया है ! सभी देशों ने अपने देश के अभी उम्र के लोगों के साथ एक ही नीति अपनाई और सभी का निःशुल्क टीकाकरण कर रहे हैं । जब अपने देश में रोज नए मरीज की संख्या विश्व रिकॉर्ड बना रही है । रोज हर पाँचवाँ मरीज दम तोड़ रहा है , वहाँ और भी अधिक तेजी से टीकाकरण करने की जगह केवल एक तिहाई लोगों के टीकाकरण को ही आप क्या कहेंगे ? यही नहीं जब देश में ही टीके की कमी थी , उस स्थिति में भी मोदी जी ने अपने देश के लोगों की जान की कीमत पर 80 देशों को 6 करोड़ 50 लाख से ज्यादा वैक्सीन निर्यात कर बेशर्मी का उदाहरण देशवासियों के सामने प्रस्तुत किया है ! मोदी की के इस काम को देश कभी माफ नहीं करेगा !  और अब तो हालात और भी बिगड़ने वाली है । प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार श्री के विजय राघवन ने कोरोना की तीसरी लहर के आने की भविष्यवाणी कर दी है । उन्होंने देशवासियों को चेताया है कि हमें इसके लिए तैयार रहना होगा ! किन्तु केंद्र सरकार क्या करेगी ? यह बात उन्होंने नहीं बताई । मोदी सरकार कुछ करना ही नही चाहती तो बेचारे सलाहकार क्या कहते ? इसलिए वे बेचारे इस बारे में कुछ भी नहीं बता पाए ! अब तो यह सिद्ध हो चुका है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी देश में कोरोना के नियंत्रण में नाकारा साबित हो चुके हैं !
          अब आशा केवल देश के सर्वोच्च न्यायालय से ही है । सुप्रीम कोर्ट ने ही पहली बार मोदी सरकार को गहरी नींद से झकझोड़ा है । किन्तु अभी भी उसकी नींद पूरी तरह नहीं खुली है ! सुप्रीम कोर्ट ने  ही पहली बार यह स्वीकार भी किया है कि यह एक राष्ट्रीय आपदा है । राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति ही है । ऐसे मौके पर वह मूकदर्शक बनी नहीं रह सकती है । कोर्ट ने ही पहली बार केंद्र से उसका नेशनल प्लान पूछा है , जो उसने अभी तक नहीं दिया है । केंद्र सरकार से कोर्ट ने कोरोना की एक ही वैक्सीन की तीन रेट पर सवाल उठाकर सबके लिए एक समान रेट रखने के लिए गौर करने के लिए कहा है । उसने स्पष्ट रूप से यह भी कह दिया है कि पहली नजर में ही कोरोना वैक्सीन मूल्य नीति भेदभाव भरी है । यही नहीं , कोर्ट ने ही राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत देश के सभी लोगों को केंद्र की ओर से ही निःशुल्क टीकाकरण करने की भी सलाह दी है । जब दिल्ली सरकार ने अपने राज्य में ऑक्सीजन की कमी से मर रहे लोगों के लिए केंद्र से 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन देने के लिए निवेदन किया तो केंद्र ने मांग की आधी ही दी तो वह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया । कोर्ट ने ही दिल्ली की आवश्यता को देखते हुए केंद्र को 700 मीट्रिक टन आक्सीजन देने के लिए बाध्य किया ! मद्रास हाईकोर्ट , कर्नाटक हाई कोर्ट और मध्यप्रदेश के इंदौर हाई कोर्ट ने भी लोगों में उम्मीद जगाई है ! सुप्रीम कोर्ट ने ही एक बार फिर हाल ही में 6 मई को केंद्र सरकार से पूछा है कि वैज्ञानिकों ने देश में कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी दी है तो केन्द्र सरकार बताएँ कि यदि इस लहर ने बच्चों को संक्रमित किया तो उन्हें बचाने के लिए उसके पास क्या योजना है ? देश में अब तो केवल सुप्रीम कोर्ट ही है जो प्रधानमंत्री से इस बारे में सवाल पूछ सकता है । और जवाब नहीं मिलने पर चेता भी सकता है , क्यों कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी दूसरी बार केंद्र की सत्ता पाने के बाद अब और भी अभिमानी हो गए हैं तथा और कर रहे हैं मनमानी ? अब तो आशा की अंतिम किरण सुप्रीम कोर्ट ही है ! सुप्रीम कोर्ट ने अलग अलग पेशियों में केंद्र सरकार से जो अनेक सवाल पूंछे हैं उनका मोदी सरकार ने अभी तक तो कोई अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट को दिया नहीं है ! कोर्ट भी इंतजार कर रहा है , तब तक हम भी करते हैं इंतजार !!!

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