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कोरोना महामारी : मोदी सरकार के पास कोई ठोस योजना ही नहीं ?


  डॉ. चन्दर सोनाने

            देश के सुप्रीम कोर्ट ने  एक बार फिर अपना दायित्व निभाया । कोर्ट ने 22 अप्रैल को स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई और कहा कि देश की इस गंभीर हालत में सुप्रीम कोर्ट मूकदर्शक नहीं रह सकती । कोर्ट ने केंद्र सरकार से 30 अप्रैल तक कोरोना महामारी से निपटने के लिए राष्ट्रीय प्लान कोर्ट में प्रस्तुत करने के सख्त निर्देश दिए । केंद्र सरकार ने नियत तिथि 30 अप्रैल को कोई भी राष्ट्रीय प्लान प्रस्तुत ही नहीं किया और आधी अधूरी जानकारी देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली तो कोर्ट ने सवालों की झड़ी लगा दी । कोर्ट ने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत लोगों को टीके लगाने की सलाह भी केंद्र सरकार को दी !
            सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सर्वश्री डीवाई चंद्रचूड़ , एलएन राव और एसआर भट्ट की बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा कि केंद्र , राज्य और निजी अस्पतालों के लिए टीके की अलग अलग कीमत क्यों है ? केंद्र स्वयं 100 प्रतिशत टीके क्यों नहीं खरीद रही है ? एक हिस्सा खरीद कर बाकी बेचने के लिए वैक्सीन कंपनियों को स्वतंत्र क्यों कर दिया गया है ? जब देश में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम सफलतापूर्वक चल ही रहा है , उसी में सभी को टीका क्यों नहीं लगाया जा सकता ? उल्लेखनीय है कि देश में 1978 से अभी तक जन्म से 16 साल तक के बालक - बालिका को 12 टीके निःशुल्क लगाकर उन्हें 15 बीमारियों से बचाते हैं । यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से यह भी कहा कि '' सोशल मीडिया पर आक्सीजन , बिस्तरों की कमी , दवाइयों और टीके के नहीं मिलने आदि की शिकायत करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं करें । लोगों को अपनी शिकायत बताने से रोका नहीं जाए । इन शिकायतों को गलत सूचना कहना सही नहीं है। " कोर्ट ने चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि  "अगर नागरिकों की सोशल मीडिया पर शिकायतों को लेकर कोई कार्रवाई की गई तो इसे कोर्ट की अवमानना माना  जाएगा । " कोर्ट ने आम लोगों की समस्यों को देखते हुए वाकई शानदार काम किया है । इसकी जितनी भी सराहना की जाए , वह कम है ।
            सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केंद्र सरकार कोरोना की रोकथाम के लिए कोई भी राष्ट्रीय आपात योजना इसलिए पेश नहीं कर पायी , क्यों कि मोदी सरकार ने कोई ठोस योजना बनाई ही नहीं है ! यह बात मोदीजी के अंध भक्त और गोदी मीडिया नहीं मानेंगे और उन्हें यह बात पसंद भी नहीं आएगी । इसलिए आइये , आपको सिलसिलेवार टीकाकरण के तीनों चरण की असलियत बताते हैं ! सबसे पहले बात करते हैं पहले चरण की । देश भर में 16 जनवरी 2021 से पहला चरण शुरू किया गया । इसमें 2 करोड़ फ्रंट लाइन वर्कर्स , 1 करोड़ स्वास्थ वर्कर्स , 1 करोड़ गंभीर बीमारियों से ग्रसित 45 साल से ऊपर के लोग और 10 करोड़ 60 साल से ऊपर  के लोगों यानी कुल 14 करोड़ लोगों को टीके लगाने थे । किन्तु साढ़े तीन महीने बीत जाने के बाद भी केंद्र सरकार अपने पहले चरण के लक्ष्य को अभी तक प्राप्त ही नहीं कर पाई है । अभी तक देश का एक भी राज्य इस प्रथम चरण में शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाया है । इस पहले चरण में छूट गए लोगों को टीके लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कोई भी विशेष उल्लेखनीय प्रयास नहीं किये हैं । इसी कारण प्रथम चरण में जिन लोगों को टीके लगने थे , उन्हें टीके लग ही नहीं पाए हैं !
         अब हम बात करते हैं , टीकाकरण के दूसरे चरण की । इसी बीच देश में कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी थी ! उसने अपना तांडव दिखाना भी शुरू कर दिया था ! यह चरण देश भर में 1 अप्रैल से शुरू किया गया । इसमें 45 से 60 साल तक के करीब 35 करोड़ लोगों को टीके लगाने थे । मोदी सरकार ने बड़े - बड़े दावे किए कि देश भर में अभी रोज औसत करीब 21 लाख टीके लगाए जा रहे हैं , किंतु अब 50 हजार टीकाकरण केंद्र बना दिये गए हैं। प्रत्येक केंद्र पर 100 से 200 लोगों को टीके लगाने की व्यवस्था की गई है । इस कारण अब रोज 50 लाख टीके लगाए जाएँगे ! शुरुआत में तो कुछ ठीक रहा और रोज औसत 35 लाख टीके लगाने शुरू भी हो गए थे , किंतु फिर घटिया राजनीति शुरू कर दी गई! महाराष्ट्र , दिल्ली आदि राज्यों ने जब अपने राज्यों में टीके समाप्त होने की सूचना देते हुए और टीके की मांग की तो उन्हें टीके की जगह नसीहतें दी जाने लगी ! जिन राज्यों में सबसे ज्यादा केस आ रहे थे , वहाँ मांग की तुलना में बहुत कम टीके दिए गए । मोदी सरकार भाजपा शासित राज्यों और गैर भाजपा शासित राज्यों में भेदभाव कर टीके देने लगी । यहीं से हालात बिगड़ने लगी । इस कारण देश के अनेक राज्यों में टीके की कमी के कारण अनेक टीकाकरण केंद्रों को बंद करना पड़ा । लोग केंद्रों से निराश खाली हाथ लौटने लगे। देश में पहले जहाँ औसत 35 लाख टीके रोज लग रहे थे , वहीं यह संख्या गिरकर करीब आधी रख गई । इसी बीच इसी अप्रैल माह में देश के 5 राज्यों में विधानसभा के चुनावों में अपनी ही पार्टी की सरकार बनाने के लिए मोदी सरकार ने अपनी पूरी केंद्र सरकार , सारे संसाधन और सारी  ताकत लगा दी । मोदी सरकार यह भूल ही गई कि देश में कोरोना की दूसरी लहर के कारण हाहाकार मचा हुआ है । अस्पतालों में बेड  नहीं मिल रहे , ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही और जरूरी जीवन रक्षक दवाइयों भी नहीं मिल रही । टीके की कमी से लोगों को टीके नहीं लग पा रहे । देश में मरीजों और मौतों की संख्या रोज एक नया रिकॉर्ड बना रही थी ! मोदी सरकार को देश के आम लोगों की कोई चिंता ही नहीं थी ! उसे केवल पाँच राज्यों विशेषकर बंगाल में साम , दाम , दंड ,भेद से अपनी सरकार बनाने की ही चिंता थी ! पाँचों राज्यों में कोरोना नियंत्रण और नियमों की खुले आम धज्जियाँ उड़ाई जा रही थी  ! रोज हजारों लोगों की मौजूदगी में चुनावी रैलियों और रोड़ शो में मोदी सरकार और अन्य सभी पार्टियों के नेता जुटे हुए थे और कोरोना के संक्रमण को रोकने की बजाए पाँच गुना फैलाने में लगे थे । यही नहीं हरिद्वार के कुम्भ में 91 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाकर कोरोना के संक्रमण को अनेक गुना बड़ा दिया ! सो टीकाकरण के इस लक्ष्य को पाना अभी सपना ही है !
              अब हम बात करते हैं टीकाकरण के तीसरे चरण की । देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अप्रैल माह के मध्य में बिना राज्यों से कोई चर्चा किए अचानक बिना किसी तैयारी के 1 मई से देश के 18 साल से बड़े और 45 साल तक के सभी लोगों के टीकाकरण की घोषणा कर दी , किन्तु अपनी जिम्मेदारी से अपने हाथ ऊँचे कर दिए ! मोदी सरकार ने घोषणा की कि अब केंद्र टीकाकरण के तीसरे चरण के लिए किसी भी राज्यों को कोई टीका नहीं देगी ! सभी राज्य सीधे वैक्सीन निर्माता कंपनियों से मोल भाव कर टीका खरीदे और अपने राज्य के नागरिकों को निःशुल्क या पैसे लेकर जैसा चाहे टीके लगाए ! केंद्र ने राज्यों को टीके खरीदने की लिए कोई राशि भी नहीं दी । राज्यों को अपने हाल पर भगवान  भरोसे छोड़ दिया ! परिणाम यह हुआ कि देश के 15 राज्यों ने वैक्सीन नहीं मिलने के कारण 1 मई से अपने राज्य में इन लोगों को टीके लगाने में असमर्थता बता दी । कुछ राज्यों ने अपने राज्यों में तीसरे चरण की शुरुआत की भी तो वह भी प्रतीकात्मक रूप से कुछ ही केंद्रों पर टीके लगा कर औपचारिकता निभाई है । इस चरण में 18 से 45 साल तक ले करीब 45 करोड़ लोगों को टीका लगाया जाना है । अब आप सोचिए , टीकाकरण अभियान का तीसरा चरण शुरू होने के पहले ही दम तोड़ने लगा है ! अब हालात यह है कि किसी भी राज्य को यह स्पष्ट रूप से नहीं पता है कि उनके राज्य में कब तक टीके की कितनी खुराख मिल पाएगी और वह कब तक अपने राज्य में इन लोगों को टीके लगा पायेंगें ! और यह सब हुआ है , मोदी सरकार की अदूरदर्शिता , अव्यवहारिकता , अपरिपक्वता और नादानी के कारण ! इससे स्वतः सिद्ध हो जाता है कि मोदी सरकार के पास कोरोना की रोकथाम और सघन टीकाकरण की कोई भी ठोस राष्ट्रीय आपदा योजना है ही नहीं ! अपने देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का जब भी मन होता है  , बिना सोचे विचारे , बिना ठोस कार्य योजना बनाए , बिना तैयारी किए , बस घोषणा भर कर देते हैं ! परिणाम आम जन भुगते ! और वह यह सब भुगतने के लिए अभिशप्त हैं ! और अभी तो देश ने कोरोना की दूसरी लहर ही देखी है , जिसने देशभर में हाहाकार मचा दिया है ! जरा सोचें , देश में जब तीसरी लहर आएगी तो देश के लोगों के क्या हाल होंगे ? अमेरिका और ब्रिटेन में आई तीसरी लहर के दुष्परिणाम हम सबके सामने हैं ही !
                अमेरिका , ब्रिटेन , इज़राइल आदि देशों ने अपने - अपने देश की आबादी और कोरोना की पहली, दूसरी और तीसरी लहर का सामना करने के लिए सुनियोजित , समयबद्ध और ठोस कार्ययोजना बनाई तथा पूरी दृढ़ता से उसका पालन किया । इसका परिणाम भी हम सबके सामने हैं । इन देशों ने अपने - अपने देशों में सघन और तेजी से टीकाकरण करके काफी हद तक कोरोना पर नियंत्रण सा कर लिया है । इसी कारण इन देशों में लगातार मरीजों की संख्या और उनकी मौतों की तादात में बहुत कमी आ गई है । इन देशों ने विशेषज्ञों की यह बात मानी कि टीकाकरण से ही कोरोना पर नियंत्रण पाया जा सकता है और उन्होंने यह कर भी दिखाया है ! हमारा दुर्भाग्य है कि हमारे देश के सर्वेसर्वा को अभी तक अपनी भूल और गलती समझ में ही नहीं आई है ! आशा करते हैं कि 2 मई को देश के पाँच राज्यों के विधानसभा के चुनाव परिणाम इनकी आंखें खोलें ! इन 5 राज्यों में से सबसे छोटे दो राज्य असम और पुड्डुचेरी में ही भाजपा की सरकार बन सकी है ! और सबसे बड़े राज्य बंगाल में ममता बनर्जी दो तिहाई से भी अधिक बहुमत से वापस तीसरी बार अपने काम के बल पर सत्ता में लौटी है , जहाँ मोदी जी ने अपनी पूरी सरकार और सारे संसाधन झोंक दिए थे , फिर भी वे वहाँ अपनी पार्टी की सरकार नहीं बना सकें ! बंगाल में ममता की जीत नहीं , बल्कि मोदी जी की हार है ! मोदी जी , ये है अपने देश के प्रजातंत्र की असली ताकत ! आप आम लोगों की जान की परवाह नहीं करेंगे तो वह भी आपकी परवाह नहीं करेगी ! ये वही आम जनता है जो किसी को भी फर्श से अर्श तक और अर्श से फर्श तक ले पटकती है ! और अब हम बाबा महाकाल से प्रार्थना करते है कि वे मोदी जी को सद्बुद्धि दें कि वे अब तो समझें कि वे केवल एक पार्टी भाजपा के नेता नहीं है , बल्कि 130 करोड़ लोगों के देश के प्रधानमंत्री हैं ! अपने देश के लोगों की अब तो चिता करें और उनका जीवन बचाने में अपनी सारी शक्ति लगा दें ! हम आशा करते हैं कि अब तो ऐसा होगा ! ! !

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