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एक देश , दो वैक्सीन , छः रेट ? प्रधानमंत्री जी , रहम करें !


  हाल ही में मोदी सरकार ने जब ये घोषणा की , कि अब 1 मई से देश में 18 साल से अधिक और 45 साल से कम उम्र वालों को भी कोरोना वैक्सीन लगेगी , तो देश के लोगों ने राहत की सांस की थी । क्योंकि विश्व के अनेक देशों अमेरिका , ब्रिटेन , इजराइल आदि देशों ने बहुत पहले से ही 18 साल से ऊपर के सभी वयस्कों को वैक्सीन लगाना शुरू कर दिया था । किन्तु अगले दिन जब इस टीकाकरण के तीसरे चरण में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को टीके लगाने की योजना का खुलासा हुआ , तो देश सकते में आ गया ! मोदी सरकार ने अपनी जिम्मेदारी राज्यों पर थोप दी थी ! केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी से भागती हुई दिखी ! उसने बताया अब केंद्र केवल 45 साल से ऊपर  के लोगों के लिए जैसे पूर्व में राज्यों को निःशुल्क वैक्सीन दे रहा था , वैसा ही आगे भी देता रहेगा । किन्तु , अब केंद्र सरकार तीसरे चरण में 18 साल से ऊपर और 45 साल से कम उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए राज्यों को कोई भी वैक्सीन निःशुल्क नहीं देगा ! देश के राज्य अब खुद अपने स्तर पर यह देखें और वे अपने राज्य के लोगों के लिए देश की दो वैक्सीन निर्माता कंपनी में से किसी से भी मोल भाव कर वैक्सीन खरीदें और अपने राज्यों के लोगों को निःशुल्क या पैसे लेकर चाहे जैसे उन्हें टीका लगाए ! यह कह कर मोदी सरकार ने अपने दायित्वों से मुँह मोड़ लिया ! यह जानकर देश के लोगों  और राज्यों पर जैसे वज्रपात ही हो गया ! आपको यह जानकर कैसा लगा था ?

                मोदी सरकार की तीसरे चरण के टीकाकरण की घोषणा के बाद 24 अप्रैल को देश की दूसरी वैक्सीन निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने भी अपनी वैक्सीन कोवैक्सीन के दाम घोषित कर दिए हैं । यह कंपनी केंद्र को प्रति डोज 150 रु , राज्यों को 600 रु और निजी अस्पतालों को 1200 रु की दर पर देगी । इसके पूर्व देश की ही पहली वैक्सीन निर्माता कंपनी कोविशील्ड ने अपनी वैक्सीन के भाव घोषित कर दिए थे । यह कंपनी केंद्र को प्रति डोज 150 रु , राज्यों को 400 रु और निजी अस्पतालों को 600 रु के भाव से अपनी वैक्सीन देगा । है ना मजेदार ? एक देश , दो वैक्सीन और उसके छः भाव ? यह देश में हो क्या रहा है ? क्या कोई देखने सुनने वाला नहीं है ? कोई अपनी फरियाद किसे सुनाएँ ? अपना दुखड़ा किसे बताएँ ? 

               कोरोना महामारी ने अब अपने पैर शहरों से गाँवों और कस्बों में भी पसार लिए हैं ! बड़े शहरों से लगे छोटे जिलों में शहरों की तुलना में 24 से 186 गुना तेजी से मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है । 21 अप्रैल से आज तक देश भर में रोज 3 लाख से ऊपर कोरोना के मरीज आ रहे हैं । कोरोना से मरने वालों की संख्या रोज एक नए रिकॉर्ड को छू रही है ।  अस्पतालों में तड़पते मरीजों के लिए बेड नहीं मिल रहे हैं । ऑक्सीजन की कमी से रोज किसी न किसी शहर से 5 से 25 मरीज अपनी सांसें खो रहे हैं ! जीवन रक्षक दवाइयों की कमी से मरीज अपनी जान देने के लिए मजबूर हो रहे हैं ! टीके की कमी से पहले देशभर में जहाँ रोज औसत करीब 35 लाख टीके लग रहे थे , वहीं यह संख्या गिरकर 20 से 25 लाख पर आ गई ! शमशान और कब्रिस्तान में जगह कम पड़ गई । परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए 8 से 10 घंटे का इंतजार करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है ! केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने ही हाल ही में यह बताया है कि देश के 146 जिलों में पॉजिटिविटी रेट 15 प्रतिशत से अधिक है । देश की यह हालात देख सुप्रीम कोर्ट चुप नहीं रह सका । उसने स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर कहा देश अभी एक राष्ट्रीय आपातकाल जैसे हालात से गुजर रहा है । देश के 6 राज्यों के हार्ट कोर्ट में भी इसी की सुनवाई चल रही है । सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक हलफनामा दाखिल कर देश में आक्सीजन और आवश्यक दवाओं की आपूर्ति , वैक्सीनेशन का तरीका और लॉक डाउन लगाने का अधिकार आदि के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए । कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से उसकी स्पष्ट आपदा राष्ट्रीय योजना के बारे में भी पूछताछ की है !

              अब यहाँ सवाल यह उठता है कि देश में कोरोना की इस महामारी में देश के लोगों की जान बचाने के लिए क्या केंद्र सरकार ऐसा कर सकता है ? देश के लोगों की स्वास्थ्य रक्षा की जिम्मेदारी क्या केंद्र सरकार की नहीं है ? क्या केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी इस प्रकार राज्यों पर थोप सकती है ? जब बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा था कि देश के लोगों के टीकाकरण के लिए 35 हजार रु का प्रावधान कर रखा है । यह राशि अंतिम नहीं है । जरूरत पड़ने पर और भी राशि दी जाएगी । तो क्या केंद्रीय वित्त मंत्री की घोषणा केवल लोकलुभावन और मात्र दिखावा ही है ? उस राशि से ही 150 रु प्रति डोज के हिसाब से करीब 234 करोड़ वैक्सीन की डोज आ सकती है । इससे देश के लगभग 117 करोड़ लोगों को वैक्सीन के  दोनों डोज लग सकते हैं ! तो फिर मोदी सरकार उस राशि का उपयोग 18 से ऊपर और 45 साल से कम उम्र वालों को भी वैक्सीन लगाने के लिए क्यों नहीं कर रही है ? क्यों अपनी जिम्मेदारी राज्यों पर थोप रही है ?

                विश्व में अब यह बात सिद्ध हो चुकी है कि जिन देशों ने अपने देशों में तेज गति से अधिक से अधिक लोगों को टीकाकरण किया है , वहाँ मरीजों की संख्या और मौतों की संख्या में भी बहुत कमी आ गई है । ब्रिटेन में 19 अप्रैल तक 48.39 प्रतिशत लोगों को एक डोज और 14.63 प्रतिशत लोगों को दोनों डोज देने के बाद वहाँ 94 प्रतिशत केस कम आ रहे हैं ।    यही नहीं वहाँ टीके के कारण ही 80 प्रतिशत मौतें घट गई है । अमेरिका में 18 साल से ऊपर के 13 करोड़ लोगों को एक टीका लग चुका है। यह उस देश की आबादी का 50.4 प्रतिशत है । वहाँ 8.4 करोड़ लोगों को दोनों डोज लग गए हैं । अपने देश के आईसीएमआर के डायरेक्टर श्री बलराम भार्गव ने हाल ही में बताया है कि अपने देश में ही दोनों डोज लेने वाले 99 प्रतिशत लोग दोबारा संक्रमित नहीं हुए हैं । यह खुशी की बात है । हांला की अपने देश में 25 अप्रैल तक लोगों को 14.09 करोड़ डोज ही लगी है । इसमें से भी 11.86 करोड़ लोगों को पहला डोज और 2.23 करोड़ लोगों को ही दूसरा डोज लग पाया है । यानी आबादी के हिसाब से 9.12 प्रतिशत लोगों को पहला डोज और केवल 1.72 प्रतिशत लोगों को ही दोनों डोज लग पाई है । अभी हमें बहुत काम करना है। क्योंकि रोज मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है । विश्व के सबसे ज्यादा मरीजों वाले 5 देशों में भारत अकेला है , जहाँ साप्ताहिक बढ़ोतरी 52 प्रतिशत है । शेष 4 देशों में मरीज कम हो रहे हैं ।

                उल्लेखनीय है कि डेढ़ महीने पहले ही केंद्र सरकार ने संसदीय समिति के समक्ष यह वादा किया था कि देश में वैक्सीन की कीमत 250 रु से अधिक नहीं होगी । तो फिर देश की ही दो वैक्सीन निर्माता कंपनी को मोदी सरकार मनमाने दाम लेने के लिए क्यों छूट दे रही है ? क्या वैक्सीन के एक देश , एक भाव नहीं हो सकते ? केंद्र सरकार वैक्सीन के भाव पर नियंत्रण नहीं कर सकती है ? यहाँ एक उदाहरण आप देखे ! उज्जैन के कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने कोरोना की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिले भर में 30 अप्रैल तक जब लॉक डाउन लगा दिया तो एकाएक फलों के भाव बढ़ गए । इस बढ़ते भाव पर नियंत्रण के लिए कलेक्टर ने एक आदेश जारी कर सभी फलों के भाव तय कर दिए । और फलों के बढ़ते भावों पर नियंत्रण भी कर लिया ! यही नहीं पूर्व में इन्हीं कलेक्टर ने जब यह देखा कि अपने उज्जैन जिले में कोरोना के मरीजों को लगने वाला जीवन रक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर तय भाव से बहुत अधिक रेट में मुश्किल से मिल रहा है तो उन्होंने उसका एक रेट तय कर धड़पकड़ शुरू की तो उसकी कीमत नियंत्रित हो गई  और मरीजों को एक भाव में ही मिलने लगी । तो सहज रूप से यहाँ यह सवाल उठता है कि जब एक जिले का कलेक्टर फलों और जीवन रक्षक दवाइयों के भावों पर नियंत्रण कर सकता है , तो क्या देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी देश में वैक्सीन का एक भाव तय नहीं कर सकते ?

                 यहाँ केवल यही एक सवाल नहीं है ! इससे भी बढ़ कर सवाल यह है कि देश में कोरोना पर तेजी से नियंत्रण करने के लिए जहाँ तेजी से सरल तरीके से लोगों को टीका लगाने की नीति अपनाने की बजाय मोदी सरकार देश में जटिल दोहरी टीकाकरण की प्रक्रिया किस आधार पर अपना रही है ? यानी अब 1 मई से देश के 45 साल से ऊपर के लोगों को तो टीके केंद्र सरकार ही पहले की तरह राज्यों को निःशुल्क देगी , किन्तु अब 18 साल से ऊपर और 45 साल से कम उम्र के लोगों को राज्य सरकार टीका उत्पादन निर्माताओं से मोल भाव कर टीके खरीदकर लगाएगी ! केंद्र सरकार का इस उम्र के लोगों से क्या कोई लेना देना नहीं है ? क्या ये इस देश के नागरिक नहीं हैं ? यह भेदभाव कैसा ? किस आधार पर ? केंद्र सरकार पहले की ही तरह क्यों नहीं टीके खरीदकर राज्यों को जनहित में दे रही है ? उसके पास पहले से इसके लिए राशि है ही ! हाल ही में एक खबर यह आई है और उसमें बताया गया कि देश के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव रेणु स्वरूप ने कहा है कि देश में 4 और वैक्सीन के लिए 4 कंपनियों को केंद्र सरकार ने 400 करोड़ रु दिए हैं। इन कंपनियों के नाम हैं जायडस कैडिया , बायोलॉजिकल ई , जिनेवा और भारत बायोटेक । रूस से भी एक वैक्सीन आने की  खबर पुरानी है । अभी देश में केवल 2 ही कंपनियाँ है , जो देश के लोगों को वैक्सीन के टीके लगाने के लिए केंद्र सरकार को एक ही निर्धारित रेट 150 रु प्रति डोज दे रही है । आगे भविष्य में 5 और वैक्सीन कंपनियाँ देश में वैक्सीन देने वाली है ! यह खबर तो खुशी की है । किंतु जरा  सोचिए , अभी एक देश , दो वैक्सीन और छः दाम हैं । आगे क्या होगा ? जब एक देश , सात वैक्सीन और 21 भाव होंगे ? यह विचित्र किन्तु सत्य वाली बात नहीं होगी ? क्या राज्यों के बस की बात है यह सब ? देश में आवश्यक वस्तु अधिनियम किस समय काम आयेगा ? आज देशहित में वैक्सीन के एक देश , एक भाव निर्धारित क्यों नहीं किया जा सकता ?  देश में 25 अप्रैल तक कुल 1 करोड़ 73 लाख 4 हजार 308 लोग कोरोना के मरीज बन चुके हैं । इसमें से 1 करोड़ 42 लाख 92 हजार 791 लोग मौत से लड़ कर ठीक भी हो चुके हैं । देश में कुल 1 लाख 94 हजार 988 मौतें हो चुकी है ! अभी भी देश में सक्रीय मरीज 29 लाख से ज्यादा है ! बस , अब और नहीं ! देश के आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी , देश के लोगों पर रहम करिए ! रहम कीजिए ! ! !

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