कोरोना तांडव : प्रधानमंत्री जी , देश आपको कभी माफ नहीं करेगा !
डॉ. चन्दर सोनाने
देश भर में कोरोना मौत का तांडव कर रहा है । रोज मौत के नए रिकार्ड बन रहे हैं । देश भर में 15 अप्रैल से दो लाख से ऊपर , 17 अप्रैल से ढाई लाख से ज्यादा और 18 अप्रैल को पौने तीन लाख से अधिक कोरोना के मरीज आ रहे हैं । कोरोना से मौत के भी रोज नए रिकार्ड बन रहे हैं। एक दिन में 18 अप्रैल को देश में 1614 मौत हो गई । शमशान और कब्रिस्तान में जगह कम पड़ गई है । अनेक शहरों में अंतिम संस्कार के लिए 8 से 10 घंटे की वेटिंग चल रही है ।
ऐसी दर्दनाक परिस्थितियों में हरिद्वार में जहाँ हजारों लोगों की आस्था की डुबकी लग रही है , वहीं चुनावी रैलियों में राजनीति की डुबकी लग रही है ! हरिद्वार में अभी तक करीब 50 लाख श्रद्धालुओं के स्नान की डोंडी पीटी जा रही है । पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव में रोज सभी राजनैतिक दलों के नेता बढ़ चढ़ कर हजारों लोगों की चुनावी रैली और रोड़ शो कर रहे हैं। इन सभी के दुष्परिणाम भी सामने आने शुरू हो गए हैं । कोरोना मरीजों और मौत के रोज नए रिकार्ड यही बात कह रहे हैं । हम केवल एक राज्य बंगाल की ही बात करें तो वहाँ पिछले केवल 15 दिन में ही कोरोना के मेरीज पाँच गुना से ज्यादा बढ़ गए हैं । आँकड़ें देख लीजिए । बंगाल में 2 मार्च को जब चुनाव की अधिसूचना जारी की गई थी , उस दिन कोरोना के 171 मरीज आये थे । इसके बाद 1 अप्रैल को 1274 मरीज आये , 15 अप्रैल को 6769 मरीज और 18 अप्रैल को 8419 मरीज कोरोना से संक्रमित पाए गए । इसे आप क्या कहेंगे ? यदि यही चलता रहा तो आगे देखिएगा ये आँकड़ें कहाँ से कहाँ तक पहुँचते हैं ! आगामी समय में और ज्यादा भयावह स्थिति आने वाली है ! इस स्थिति पर अभी भी रोक लगाई जा सकती है । चुनावी रैलियों और रोड़ शो पर तुरंत ही रोक लगा देनी चाहिए । इसी के साथ हरिद्वार कुंभ मेले को भी तुरंत की समाप्त कर देना चाहिए ।
आम लोगों की नजर में पहली बार चुनाव आयोग इतना लुंज पूंज और नाकारा साबित हुआ है । पाँच राज्यों में सभी दल खुल कर आयोग के निर्देशों की रोज धज्जियाँ उड़ा रहे हैं । आयोग धृतराष्ट्र और गांधारी बना चुपचाप बस देख रहा है । कर कुछ भी नहीं रहा है । हाल ही में 15 अप्रैल को आयोग ने एक हास्यास्पद आदेश निकाला है कि कोई भी शाम 7 बजे के बाद रोड़ शो और चुनावी रैली नहीं निकलेगा । यानी दिन में वह सब कुछ कर सकता है । आयोग खुद कोरोना रोकथाम के नियम और निर्देशों की रोज खुलेआम धज्जियाँ उड़ा रहा है । कोरोना महामारी के इस काल में आयोग के इन कारनामों को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा । आयोग के नए मुख्य निर्वाचन आयुक्त से अपेक्षा है कि वह तुरंत ही चुनावी रैलियों और रोड़ शो पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दें । कोरोना महामारी में अभी दलों और उम्मीदवारों के अधिकतम पाँच लोगों को मतदाताओं से दो गज की दूरी और मास्क के साथ संपर्क करने की छूट दे सकता है। इस नियम को तोड़ने की किसी को भी , चाहे वह प्रधानमंत्री हो या केंद्रीय गृह मंत्री , तोड़ने की इजाजत किसी भी हालत में नहीं दें । जब सभी के लिए प्रचार के एक समान अवसर होंगे तो मतदाताओं पर ही सब कुछ छोड़ देना चाहिए । यहाँ पर प्रश्न किया जा सकता है कि क्या ऐसा हो सकता है ? इसका उत्तर है निश्चित रूप से हाँ ! यदि चुनाव आयोग इस बारे में दृढ़ संकल्प कर लें तो यह हो सकता है !
अब हम बातें करते हैं धर्म और आस्था के हरिद्वार कुंभ के बारे में । पहले हम वहाँ के कोरोना मरीजो के आँकड़ें देख लेते हैं । हरिद्वार में 1 से 13 फरवरी तक 586 मरीज , 14 से 28 फरवरी तक 172 मरीज , 1 से 15 मार्च तक 847 मरीज , 16 से 31 मार्च तक 2,480 मरीज और 1 से 15 अप्रैल तक 15,333 कोरोना के मरीज सामने आए । अब आप देंखे एक माह का रिकार्ड ! 14 फरवरी से 14 मार्च तक केवल एक माह में ही कोरोना मरीजों की संख्या में 8814 प्रतिशत वृद्धि देखी गई है ! उल्लेखनीय है कि इस बार कुम्भ मेले की अवधि 1 से 30 अप्रैल तक है । हरिद्वार के राज्य उत्तराखंड के प्रमुख नगरों में कोरोना के मरीजों की कुल संख्या को भी देख लीजिए । देहरादून में 37,743 मरीज , हरिद्वार में 19,575 मरीज , नैनीताल में 14,679 मरीज , उधमसिंह नगर में 12,873 मरीज और पौड़ी गढ़वाल में 5,769 मरीज ! ये सभी आँकड़े डरावने हैं , किंतु ये अभी और बढ़ने वाले हैं जब श्रद्धालु और साधु संत मेला समाप्ति के बाद यानी 30 अप्रैल के बाद अपने - अपने गाँव और शहर लौटेंगे ! क्योंकि अभी तक शाही स्नान और अन्य दिनों में करीब 50 लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई है । मीडिया में वहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ हर एक ने देखी है । वहाँ कोई मास्क नहीं था । कोई भी दो गज की दूरी नहीं थी । और न ही थे हाथ धोने के साधन ! कोरोना के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी तो होनी ही थी ! यदि ये संख्या नहीं बढ़ती तो आश्चर्य होता !
हरिद्वार में इसी बीच एक खबर आई । खबर ये थी कि निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कपिल देव का कोरोना से देहांत हो गया । एक और महामंडलेश्वर स्वामी श्याम देवाचार्य महाराज की भी कोरोना से ही मौत हो गई। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि जी भी कोरोना से ग्रसित हो गए । इसके साथ ही 50 से अधिक संतों के कोरोना से संक्रमण की खबर से मेले के साधु संतों में भी चिंता व्याप्त हो गई । मेले क्षेत्र में कोरोना के संक्रमण को देखते हुए दो अखाड़ों ने 15 अप्रैल को अपने - अपने अखाड़ों के कुम्भ मेले की समाप्ति की घोषणा कर दी । पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव महंत रवींद्रपुरी ने 17 अप्रैल को अपनी छावनियाँ खाली करने की घोषणा कर दी । इसी प्रकार आनंद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी ने भी अपने अखाड़े के कुम्भ की समाप्ति की घोषणा कर दी । अब यहाँ आश्चर्य देखिए ! दो अखाड़ों के अपने - अपने अखाड़े की कुम्भ मेले की समाप्ति की घोषणा पर यह चर्चा होने लगी थी कि इन अखाड़ों के प्रमुखों ने तो अपने मानव धर्म का निर्वाह करते हुए साधु संतों और श्रद्धालुओं की जीवन रक्षा के लिए मेले की समाप्ति की घोषणा कर दी है , इसलिए अब मेला समाप्त हो जाएगा । किन्तु उत्तराखंड सरकार ने यह घोषणा कर दी कि यह मेला अभी खत्म नहीं होगा । यह मेला , मेला समाप्ति 30 अप्रैल तक तक चलता रहेगा ! राज्य सरकार की इस बात ने सिद्ध कर दिया कि उसे साधु संतों और श्रद्धालुओं की जान से ज्यादा अपने वोट की चिंता है । है ना दुखद आश्चर्य !
इसी बीच एक अच्छी बात भी हुई । प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हाल ही में 17 अप्रैल को महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी से फोन पर चर्चा कर आव्हान किया कि दो शाही स्नान हो गए हैं और अब कोरोना के कारण कुम्भ को प्रतीकात्मक ही रखा जाए । इससे इस संकट से लड़ाई को एक ताकत मिलेगी। इसके बाद स्वामी जी ने ट्वीट किया कि जीवन की रक्षा महत पुण्य है । मेरी धर्मपरायण जनता से आग्रह है कि कोविद की परिस्थितियों को देखते हुए भारी संख्या में स्नान के लिए नहीं आए एवं नियमों का निर्वहन करें । इसके बाद स्वामी जी ने यह कहते हुए कि , धर्म महत्वपूर्ण है । आस्था भी महत्वपूर्ण है किंतु उससे भी ज्यादा मानव जाति की रक्षा महत्वपूर्ण है , अपने श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के भी 17 अप्रैल से मेले की समाप्ति की घोषणा कर दी ।
मेले के समाप्ति की घोषणा करने वाले तीनों अखाड़ों के प्रमुखों की देश भर में सराहना हो रही है । धर्म और आस्था से ज्यादा मानवता को प्रमुखता देने वाले की प्रशंसा करनी भी चाहिए। अन्य अखाड़ों के प्रमुखों को भी मानव हित में इस पर विचार कर और मेले के समाप्ति का निर्णय लेना ही चाहिए ! क्योंकि हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी तो यह घोषणा और पहल करेंगे नहीं ! कारण साफ है। यदि वे सही मायने में मेले की समाप्ति चाहते तो वे जनहित में स्वयं घोषणा कर सकते थे ! उन्हें कौन रोक सकता है ? उन्हें प्रधानमंत्री के नाते संविधान ने अधिकार दे रखे हैं । किंतु उन्होंने स्वामी जी से चर्चा कर कुम्भ को प्रतीकात्मक रखने की बात कही । कुम्भ मेले की समाप्ति की बात नहीं कही ! कोई भी उनका ट्वीट देख सकते हैं । यही नहीं उन्होंने 13 अखाड़ों के अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि जी से बात क्यों नहीं की ? वे सभी अखाड़ों के चुने हुए अध्यक्ष हैं । यदि प्रधानमंत्री जी उनसे चर्चा करते और मानव हित में मेले की समाप्ति का आग्रह करते तो 100 प्रतिशतआशा थी कि वे प्रधानमंत्री का आग्रह स्वीकार कर अखाड़ों के प्रमुखों से बात कर मेले की समाप्ति की उसी दिन घोषणा कर देते ! किन्तु प्रधानमंत्री जी यही तो नहीं चाहते थे ! वे तो बस देश के लोगों को यह दिखाना चाहते थे कि उन्हें उनकी चिंता है !
प्रधानमंत्री जी , देश की जनता अब आपको अच्छी तरह पहचान गई है ! वह जान चुकी है कि आपको देश के लोगों की जान से अधिक पाँच राज्यों में अपनी पार्टी की जीत की चिंता है। इसीलिए उन राज्यों में हजारों की संख्या में भीड़ एकत्र कर उन्हें अपनी ही पार्टी की जीत के लिए भाषण पिला रहे हैं । आपको अपने देश के लोगों की जान की चिता होती तो जब अमेरिका , ब्रिटेन और अन्य देशों में कोरोना की दूसरी लहर ने पहली लहर से ज्यादा तबाही मचा दी थी तो आप क्यों नहीं चेते ? आपने अपने देश के लोगों की कोरोना से जान बचाने के लिए अस्पतालों में बेड क्यों नहीं बढ़ाए ? पर्याप्त आक्सीजन की व्यवस्था क्यों नहीं की ? मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल शहडोल में 18 अप्रैल को ऑक्सीजन की कमी से 16 लोगों की मौत के कौन जिम्मेदार हैं ? देश भर में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के लिए कौन जिम्मेदार हैं ? जीवन रक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर की क्यों पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई ? लोगों की जान से ज्यादा अपने वोट की चिंता क्यों की ? तीन माह बाद भी क्यों देश के केवल 8.18 प्रतिशत आबादी को ही पहला टीका लग पाया है ? केवल 1.25 प्रतिशत आबादी को ही क्यों दोनों डोज मिल पाए हैं ? देश के सभी लोगों को कब तक दोनों डोज मिल पाएंगे ? जब अपने ही देश में वैक्सीन की कमी थी तो आपने 80 देशों में वैक्सीन निर्यात क्यों की ? देश के लोगों के लिए वैक्सीन निर्यात की बजाय आयात की क्यों नहीं सोची ? प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अब देश की जनता आपसे ये सवाल पूछ रही है । आपको जवाब देना होंगे ! प्रधानमंत्री जी , देश की आम जनता कोरोना से रोज हो रही मौतों के लिए आपको कभी माफ नहीं करेगी ! इतिहास कभी आपको माफ नहीं करेगा !!!
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