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कोरोना विस्फोट : वैक्सीन की कमी : निर्यात पर अड़ी सरकार !


  डॉ. चन्दर सोनाने

कोरोना ने अपनी दूसरी लहर में पूरे देश को फिर से अपने चंगुल में बुरी तरह जकड़ लिया है । ऐसी स्थिति में सबसे जरूरी है तेजी से अधिक से अधिक लोगों को टीके लगाए जाएँ । विश्व में आबादी के हिसाब से सबसे अधिक लोगों को टीके लगाने के काम में सबसे आगे इसराइल , संयुक्त अरब अमीरात और ब्रिटेन है । इसी कारण इन देशों में अब कोरोना के कम केसेज आ रहे हैं। 
           वैसे हमारे देश में भी जोरशोर से टीकाकरण की शुरुआत की गई थी । केंद्र सरकार ने शुरुआत में बहुत अच्छी योजना बनाई भी थी , किन्तु येन वक्त पर 16 जनवरी को टीकाकरण के शुरू करने के कुछ दिन पहले ही उस योजना को बदल कर देश भर में टीकाकरण केंद्रों की संख्या कम कर दी गई । लक्ष्य की पूर्ति नहीं होने और बहुत कम टीकाकरण होने के कारण केंद्र सरकार ने डेढ़ माह बाद समीक्षा कर फिर केंद्रों की संख्या बढ़ाई । इसी कारण देश में 16 जनवरी से 27 मार्च तक कुल 5 करोड़ 79 लाख लोगों का टीकाकरण हो पाया है।आबादी के हिसाब से अभी अपने देश में केवल 4.45 प्रतिशत आबादी को ही टीके लग पाये हैं । इसमें से भी 4 करोड़ 94 लाख लोगों को पहली डोज लगी है । केवल 86 लाख लोगों को ही दूसरी डोज लग पाई है । देखने की बात यह है कि ये आँकड़े करीब ढाई माह की प्रगति के हैं । यदि इसी गति से टीके लगते रहे तो आगे आने वाला समय अत्यंत ही भयावह होने वाला है ! 
            केंद्र सरकार द्वारा अचानक टीकाकरण केंद्रों की संख्या कम करने की भी मजेदार कहानी है । पहले , सबसे पहले अपने देश के लोगों को टीके लगाने की योजना बनाई भी गई थी , जो ठीक भी थी । किन्तु फिर देश के कर्ता धर्ता को विश्व नेता बनने की धुन सवार हुई ! फिर क्या था ? आनन फानन में कोरोना वैक्सीन के निर्यात की योजना बना ली गई। परिणाम यह हुआ की हमें मिलने वाली वैक्सीन में से आधी निर्यात की जाने लगी और आधी से ही अपने विशाल देश के निवासियों को वैक्सीन देने की योजना को मूर्त रूप दे दिया गया। आपको विश्वास नहीं हो रहा है ? तो चलिए आपको आँकड़ों से बताते हैं केंद्र सरकार की असलियत !
             भारत सरकार ने अपनी निर्यात नीति के तहत 15 मार्च तक विश्व के 71 देशों को 5 करोड़ 86 लाख 40 हजार वैक्सीन की डोज दी है । इसमें से 3 करोड़ 39 लाख डोज वाणिज्यिक तौर पर बेची गई । 32 देशों को 1 करोड़ 65 लाख डोज मैत्री के रूप में दी गई । केवल 81 लाख डोज गरीब पड़ोसी मित्र देशों को निःशुल्क दी गई । और अपने देश में अभी 27 मार्च तक 5 करोड़ 79 लाख डोज लोगों को लगाई गई । यानी अपने देश से भी ज्यादा वैक्सीन निर्यात की गई है । आसानी के लिए हम 50 प्रतिशत निर्यात और 50 प्रतिशत अपने देश के लिए मान लेते हैं। किंतु क्या केंद्र सरकार की इस निर्यात नीति को उचित कहा जा सकता है ? किसी भी स्थिति में नहीं ! देश की जरूरतों को नजरअंदाज कर वैक्सीन निर्यात करना कौन सा देश हित है ?
             हाल ही में एक खबर आई । वह खबर राहत भरी थी । खबर यह थी कि देश में कोरोना के अचानक बढ़ते प्रकोप के कारण केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सीन के निर्यात पर रोक लगा दी है । पहले अपने देश के लोगों को वैक्सीन देने के उद्देश्य से यह निर्णय लेना बताया गया । यह खबर सोशल मीडिया , प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सभी पर आ भी गई थी । इस खबर से लोगों ने राहत की सांस ली थी । सोचा था , अब और भी तेजी से अधिक से अधिक लोगों को टीके लग  सकेंगे I किन्तु एक दिन से ज्यादा यह खुशी रह नहीं पाई I अगले दिन ही केंद्र सरकार ने पलटी मार ली। बयान आया , केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सीन के निर्यात पर रोक नहीं लगाई है। पूर्व की तरह वैक्सीन के निर्यात को जारी रखा जाएगा ! अब इसे आप क्या कहेंगे ? विश्व नेता बनने की चाह ! 
            केंद्र सरकार की वैक्सीन के निर्यात की नीति के दुष्परिणाम अब आप देखिए ।  मध्यप्रदेश के उज्जैन संभाग के केवल दो जिलों की खबर उदाहरण के रूप में आपको बताते हैं । वैक्सीन की कमी के कारण उज्जैन जिले में सभी 107 टीकाकरण केंद्रों पर  25 और 26 मार्च को टीकाकरण  रोकना पड़ा । संभाग के ही एक अन्य जिले नीमच में वैक्सीन की कमी के कारण केंद्रों की कुल संख्या 83 को कम कर 20 कर दिया गया है । वहाँ चार दिन से यही हालत है । सभी केन्द्र पर टीके कब से लगने शुरू होंगे ? इस बारे में वहाँ कोई भी कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है । ये हाल है , संभाग के केवल दो जिलों के ! प्रदेश के अन्य संभागों के जिलों की क्या हालत होगी ? पता नहीं। इन्हीं दो जिलों के उदाहरण से पूरे प्रदेश और देश की स्थिति का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है !
          अब कोरोना का फिर से देश भर में विस्फोट हो गया है । देश के अनेक प्रदेशों और जिलों में फिर से लॉक डाउन लग गया है । अनेक जगहों पर रात का कर्फ्यू लगा दिया गया है । सरकारी और प्राइवेट सभी अस्पताल फिर से भर गए हैं ।  विशेषज्ञ बता रहे हैं आगे अप्रैल माह से और हालात बिगड़ने वाली है ! इस स्थिति से कैसे निपटा जाएगा ? क्या केंद्र सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार नहीं करना चाहिए ? फिर से नए सिरे से समीक्षा नहीं की जानी चाहिए ? देश में जिन प्रदेशों में सबसे ज्यादा कैसेस आ रहे हैं , उन राज्यों पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है ? राजनीति से परे हट कर महाराष्ट्र ,  दिल्ली आदि राज्यों पर विशेष ध्यान देकर उन राज्यों में और ज्यादा वैक्सीन  देने की जरूरत नहीं है क्या ? टीकाकरण केंद्रों की संख्या दोगुणी करने की आवश्यकता नहीं है क्या ? वैक्सीन के निर्यात पर पुनर्विचार नहीं किया जाना चाहिए ? अभी निर्यात तीन स्तरों पर किया जा रहा है । पहला वैक्सीन बेचना , दूसरा वैक्सीन को मैत्री के तौर पर देना और तीसरा गरीब मित्र देशों को निःशुल्क देना । इसमें से पहले और दूसरे स्तर पर तुरंत ही रोक लगा दी जानी चाहिए और केवल गरीब मित्र देशों को ही वैक्सीन देने का निर्णय लिया जा सकता है । इससे हमारे देश में वैक्सीन की कमी भी दूर हो सकेगी और अपने देश के लोगों को टीके लगाने के लिए और ज्यादा वैक्सीन मिल सकेगी । इससे और अधिक टीकाकरण केंद्र बना कर और तेजी के साथ लोगों को टीके लग सकेंगे । इसराइल जैसे देश से प्रेरणा ली जाकर अपने देश में भी अधिक से अधिक टीके लगने से कोरोना के प्रकोप पर नियंत्रण हो सकेगा। और अपने देश के लोग चैन से रह सकेंगे , जी सकेंगे और अपना व्यापार , व्यवसाय , नौकरी मजदूरी आदि पूर्ववत करते हुए  अपना जीवन यापन भी सहजता से कर सकेंगे । क्या प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी वैक्सीन के विदेश निर्यात का मोह त्याग कर अपने देश और अपने लोगों के हित के बारे में सोचेंगे ? सोचेंगे ?
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