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आखिर क्यों ' शिव - राज ' में ही हो रहा है पेंशनरों के साथ अन्याय ?


डॉ. चन्दर सोनाने

              हाल ही में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के साढ़े सात लाख कर्मचारियों , अधिकारियों और शिक्षकों को सातवें वेतनमान के एरियर की तीसरी क़िस्त की 75 प्रतिशत  शेष राशि उन्हें देने के आदेश जारी कर दिए गए हैं । किंतु हमेशा की तरह राज्य सरकार साढ़े चार लाख पेंशनरों के 7 वें वेतनमान के एरियर की राशि देने के मामले में मौन है ! उन्हें उनकी राशि कब मिलेगी , कुछ भी पता नहीं है !
          उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने छठे वेतनमान के एरियर देते समय भी यही किया था । प्रदेश के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को उस समय भी छठे वेतनमान का एरियर दे दिया था , किंतु पेंशनरों को एरियर की राशि नहीं दी गई थी । इस कारण मध्यप्रदेश के पेंशनरों के संगठन पेंशनर एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष श्री श्याम जोशी और महामंत्री श्री एच पी उर्मलिया द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर में एक याचिका लगाकर  1 जनवरी 2006 से 31 अगस्त 2008 तक के 32 माह की छठे वेतनमान की एरियर राशि देने की मांग की गई थी । उच्च न्यायालय द्वारा पेंशनरों के पक्ष में निर्णय देने के बाद भी राज्य सरकार ने पेंशनरों को एरियर राशि नहीं दी । इस कारण पेंशनर एसोसिएशन ने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका लगा दी । इसकी तारीख 17 मार्च 2021 तय की गई थी । उस दिन राज्य सरकार ने और समय मांग लेने पर फैसला हाल फिलहाल टल गया है।
            इसी पेंशनर एसोसिएशन ने पेंशनरों के हित में एक और सराहनीय काम किया है । उसने छठे वेतनमान की एरियर राशि देने के उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर पेंशनरों के 7 वें वेतनमान की जनवरी 2016 से मार्च 2018 तक कुल 27 माह की एरियर राशि भी पेंशनरों को नहीं देने पर उच्च न्यायालय में याचिका लगा दी है । उच्च न्यायालय ने 27 जनवरी 2021 को याचिका स्वीकार भी कर ली है । अब पेंशनरों के छठे और सातवें वेतनमान के एरियर की राशि देने का भाग्य उच्च न्यायालय के हाथ में है !
           इसी बीच 17 दिसंबर 2020 को पेंशनर दिवस पर उज्जैन में जिला पेंशनर्स एवं वरिष्ठ नागरिक संघ द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा गया । इसमें मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की गई कि 1 जुलाई 2019 से स्थगित महंगाई भत्ते की स्वीकृति दी जाए , जनवरी 2020 और जुलाई 2020 से देय महंगाई भत्ते की राशि की मंजूरी दी जाए , उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा जारी आदेश के अनुसार छठे वेतनमान की पेंशनरों की 32 माह की एरियर राशि दी जाए , इसी प्रकार सातवें वेतनमान की 27 माह की लंबित एरियर राशि दी जाए , मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 को विलोपित की जाए जिससे हमेशा डीए की स्वीकृति छत्तीसगढ़ से नहीं लेना पड़े  आदि ।  जैसे की अपेक्षा थी , अभी तक उस पर भी कुछ नहीं हुआ है !
             यहाँ यह उलेखनीय है कि मध्यप्रदेश में 2003 से एक वर्ष के अपवाद को छोड़कर लगातार 18 साल से भाजपा की ही सरकार है । और श्री शिवराज सिंह चौहान करीब 15 साल से एक वर्ष को छोड़कर मुख्यमंत्री के पद पर लगातार विराजमान है। यहाँ एक यक्ष प्रश्न सभी पेंशनरों के समक्ष खड़ा है कि उनके समय में ही क्यों पेंशनरों के साथ ये अन्याय हो रहा है ! क्यों हो रहा है ऐसा अनीतिपूर्ण अन्याय ? क्या कारण हैं ? जबकि वे एक संवेदनशील मुख्यमंत्री के रूप में देश भर में जाने पहचाने जाते हैं ! फिर वे पेंशनरों के साथ ही क्यों असंवेदनशील हो रहे हैं ? एक और खास बात यह है कि  मध्यप्रदेश में इसके पूर्व पहले से पांचवें वेतनमान के एरियर देते समय किसी भी सरकार ने , किसी भी मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों , अधिकारियों और पेंशनरों के बीच कभी भी ऐसा भेदभाव नहीं किया था ! सभी को एक साथ ही एरियर दिया था ।यह अत्यंत ही विचारणीय , सोचनीय और निंदनीय है ! मध्यप्रदेश के सभी पेंशनर एक बार फिर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से निवेदन करते हैं कि वे प्रदेश के पेंशनरों के साथ हो रहे इस भेदभाव को समाप्त करें , उनकी आर्थिक परेशानियों को समझे और उनकी छठे तथा सातवें वेतनमान के एरियर की राशि देने के आदेश देंवे , ताकि उनकी समस्याएँ दूर हो सकें ! क्या मुख्यमंत्री सुनेंगे उनका निवेदन ? आखिर मुख्यमंत्री  कब सुनेंगें पेंशनरों की गुहार ? कब ? कब ?
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