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कोरोना वैक्सीन : प्रधानमंत्री को देश से ज्यादा है विदेश की चिंता ?


 डॉ. चन्दर सोनाने

           आखिरकार लंबा इंतजार खत्म हुआ और हमारे देश में नए साल में 16 जनवरी 2021 से कोरोना के टीके लगाने का काम शुरू हो गया है । इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने देश भर में टीकाकरण के लिए विस्तृत कार्य योजना बनाई थी । इसके अनुसार जनवरी माह के अंत तक सभी 92.6 लाख हेल्थ वर्करों को ठीक लगाने का लक्ष्य तय किया गया था । किंतु जनवरी माह के अंत तक केवल 39.5 लाख हेल्थ वर्करों को ही टीके लग पाए हैं । यह लक्ष्य का केवल 42.7 प्रतिशत ही है । यह अत्यंत चिंताजनक है । इसके साथ ही फरवरी माह के अंत तक सभी 3 करोड़ हेल्थ फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीके लगाने का लक्ष्य तय किया गया है । इस लक्ष्य की समयसीमा में प्राप्ति भी अभी असंभव लग रही है । क्योंकि अभी तो 57.3 प्रतिशत हेल्थ वर्करों को भी टीके लगना शेष है।यह सचमुच चिंताजनक है ।
            ऐसा क्यों हुआ ? आप जानते हैं ? आइये , आपको बताते हैं । पहले केंद्र द्वारा वाकई बहुत अच्छी कार्य योजना बनाई गई थी। किन्तु येन वक्त पर उसे बदल दिया गया । पहले राज्यों को और राज्य द्वारा जिलों को प्रतिदिन एक निश्चित संख्या में हेल्थ वर्करों को टीके लगाने का लक्ष्य दे दिया गया था । राज्य ने और फिर जिलों ने उसी अनुपात में अपने - अपने जिलों में टीकाकरण के केंद्र तय भी कर दिए थे । किंतु 16 जनवरी के कुछ ही दिन पहले केंद्र ने राज्यों को और राज्य ने जिलों को प्रथम चरण में जितने हेल्थ वर्करों को टीके लगने वाले थे , उनकी संख्या को कहीं एक तिहाई तो कहीं करीब आधी संख्या कम कर दी गई । इस कारण सभी जिलों में टीकाकरण के केंद्र भी कहीं एक तिहाई तो कहीं करीब आधी संख्या कम कर दी गई । इसी कारण देश में जनवरी माह में लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो पाई । 
              किन्तु ऐसा हुआ क्यों ? इसकी पड़ताल जरूरी है ! अब आपको कुछ अन्य आँकड़ें और जानकारी बताते हैं । पिछले दो माह में 60 देश भारत सरकार से उनके देशों के लोगों के लिए टीके की मांग कर चुके हैं । अब अपने देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ठहरे विश्व स्तरीय प्रधानमंत्री ! तो अपने देश के लोगों को दिए जाने वाले टीके के वितरण के लिए नये सिरे से विभाग ने योजना बनाई और पुरानी कार्य योजना में फेरबदल कर राज्यों को प्रथम चरण में टीके लगाने के लिए हेल्थ वर्करों की पुरानी संख्या को कम कर दिया गया । इसके साथ ही टीकाकरण केन्द्रों की संख्या भी उसी अनुपात में कम कर दी गई । राज्य के जिलों में भी प्राप्त नए निर्देशों के अनुसार टीके लगाना शुरू कर दिया गया । स्वाभाविक ही था कि लक्ष्य की शत प्रतिशत उपलब्धि को प्राप्त नहीं किया जा सकता था ।
             अब आपको यह भी बता देते हैं कि 31 जनवरी की शाम तक भारत सरकार ने 17 देशों को 64 लाख टीके भेजें जा चुके थे । इनमें से सबसे ज्यादा बांग्लादेश को 20 लाख , म्यांमार को 15 लाख और नेपाल को 10 लाख टीके भेजें गए हैं । शेष अन्य देशों को टीके भेजें गए हैं । और हमारे देश भारत में जनवरी माह के अंत तक यानी 31 जनवरी तक केवल कुल 39.5 लाख लोगों को ही टीके लगे हैं । इन आँकड़ों से स्पष्ट रूप से यह नहीं लगता है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री जी को अपने देश से विदेश के लोगों की ज्यादा चिता है ? पड़ोसी और मित्र देशों की मदद करना भी चाहिए । किन्तु कितनी ? अपने देश की तुलना में 10 या 20 प्रतिशत मदद करना तो उचित लगता है , किन्तु अपने देश से ज्यादा दूसरे देशों की चिंता क्या दर्शाती है ?
               अब हमें फिर से अपनी योजना की समीक्षा नहीं करनी चाहिए ? कहीं कोई कमी रह गई है तो उसमें सुधार नहीं किया जाना चाहिए ? सभी राज्यों और जिलों में टीकाकरण केंद्रों की संख्या और नहीं बढ़ानी चाहिए ? जहाँ जरूरत हो , वहाँ केंद्रों की संख्या दो गुना नहीं कर देनी चाहिए ?  यदि ऐसा किया जाएगा , तभी पिछली कमी को पूरा किया जा सकता है और लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकेगी ।  भारत सरकार को तुरंत इस ओर ध्यान देने की जरूरत है । 
               और हाल ही में इसके  सकारात्मक संकेत भी मिलने लगे हैं । इसी शनिवार यानी 6 फरवरी को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सचिव श्री राजेश भूषण ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की है। इस बैठक में बताया गया है कि सिर्फ 12 राज्यों में ही लक्ष्य का 60 प्रतिशत या इससे अधिक टीकाकरण हो पाया है । अन्य सभी राज्यों में 60 प्रतिशत से कम टीकाकरण हुआ है । इस कारण बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि अब हर हाल में 20 फरवरी तक सभी हेल्थ वर्करों यानी स्वास्थ्य कर्मियों को टीके का पहला डोज दे दिया जाए । इसके साथ ही यह भी निर्देश दिए गए हैं कि 6 मार्च तक सभी फ्रंट लाइन वर्कर्स को भी वैक्सीन का पहला डोज दे दिया जाए । इसके बाद ही तीसरे चरण में करीब 27 करोड़ ऐसे लोगों को टीके लगाए की शुरुआत की जाएगी , जिनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक है । स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह भी कहा गया है कि 13 फरवरी से हेल्थ वर्करों को दूसरा डोज देना शरू होगा , इसलिए इसके पहले सभी हेल्थ वर्करों को पहला डोज लगा दिया जाए । हम आशा करते हैं कि अब इन नए निर्देशों में कोई नकारात्मक फेरबदल नहीं होगा और इस शुभ कार्य में सभी को टीके लग सकेंगे। शुभकामनाएँ ।
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