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नाकारा आईएएस का रोका जाए प्रमोशन !


डॉ. चन्दर सोनाने
                 यदि कोई कर्मचारी या अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारी के आदेश और निर्देशों का पालन नहीं करता है तो उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होती ही है तो फिर कोई आईएएस राज्य शासन के किसी विभाग का विभागाध्यक्ष और उस विभाग का प्रमुख बन जाता है और वह अपने वरिष्ठ अधिकारी के आदेश का पालन नहीं करता है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं होती है ? सिर्फ इसलिए की उसके पास आईएएस का तमगा होता है ! 
                 आइये , आपको पूरा मामला समझाते हैं । हमारे पूरे प्रदेश यानी मध्यप्रदेश में समस्त विभागों की कुल संख्या 108 है । इन सभी विभागों में चतुर्थ , तृतीय , द्वितीय और प्रथम श्रेणी के करीब साढ़े चार लाख कर्मचारी और अधिकारी हैं । इनकी नियमित पदोन्नति के लिए राज्य शासन ने प्रत्येक विभाग में विभागीय पदोन्नति समिति गठित की है । किंतु इन समितियों की वर्षों तक जब बैठकें ही नहीं होती तो प्रमोशन भी नहीं होता था । कर्मचारियों और अधिकारियों के असंतोष को देखते हुए राज्य सरकार ने अनेक बार अनेक आदेश निकाले , किन्तु आईएएस विभागाध्यक्षों और विभाग प्रमुखों जो सामान्यतः सचिव , प्रमुख सचिव या अतिरिक्त मुख्य सचिव ओहदे के होते हैं , उनके कानों में जूँ ही नहीं रेंगी !
              फिर हुआ यह कि कर्मचारियों और अधिकारियों के असंतोष को दबाने के लिए राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने शासकीय सेवकों की नियमित पदोन्नति के लिए समसंख्यक अधिसूचना क्रमांक सी. 3 - 18 / 2001 / 3 / 1 , दिनांक 12 .06. 2002 जारी की । इसके बाद भी अनेक आदेश जारी कर साल में कम से कम एक बार अनिवार्य रूप से विभागीय पदोन्नति समति की बैठक करने के आदेश दिए । यही नहीं सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अपने परिपत्र क्रमांक सी. 3  - 2 / 2013 / 3 / एक , दिनांक 24 अप्रेल 2013 द्वारा इन समितियों की बैठके वर्ष में दो बार अनिवार्य रूप से आयोजित करने के आदेश जारी किए गए हैं । ये आदेश जिनके लिए जारी किए गए हैं , उनके नाम इस तरह हैं -  अपर मुख्य सचिव / प्रमुख सचिव / सचिव , मध्यप्रदेश शासन , शासन के समस्त विभाग , अध्यक्ष राजस्व मंडल ग्वालियर , समस्त विभागाध्यक्ष , समस्त संभागीय आयुक्त , समस्त कलेक्टर , समस्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत , मध्यप्रदेश । 
              देखा आपने , उक्त समस्त पदों पर कौन पदस्थ है ? ठीक समझा आपने ! इन सभी पदों पर सामान्यतः आईएएस ही आसीन है । प्रदेश के किसी भी जिले , संभाग और प्रदेश स्तर पर किसी भी विभाग के अधिकारी ने वर्ष 2013 से लेकर आगे के किसी भी साल में नियमित रूप से साल में दो बार समिति की बैठक आयोजित नहीं की । इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि हजारों कर्मचारी और अधिकारी बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत हो गए । इनके दोषी कौन हैं ? उनके जवाब भी तैयार है । अरे भाई क्या करें  , सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पदोन्नति पर रोक है । पदोन्नति में आरक्षण के कारण ही तो कोर्ट ने आदेश देकर हमारे हाथ बांध दिये हैं । वे यह नहीं बताएंगे सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 को आदेश दिया है । तो वे यही बता दें कि वर्ष 2013 से 2017 तक इन 5 सालों में नियमानुसार 10 बार समिति की बैठक किसने आयोजित कर कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रमोशन किये हैं ! यही बात दें ! 
               यदि किसी भी जिले , संभाग और प्रदेश में किसी भी विभाग ने समिति की बैठक आयोजित कर अपने कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रोमोशन नहीं किये तो राज्य शासन के आदेशों का पालन नहीं करने पर इन सभी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाही नहीं होनी चाहिए ? जरूर होनी चाहिए । 
               राज्य शासन का मुखिया प्रदेश का मुख्यमंत्री ही होता है । और इस तरह उक्त समस्त आईएएस अधिकारियों ने अपने मुखिया के ही आदेशों का एक बार नहीं बल्कि बार बार उल्लंघन किया है । तो इन सभी को सजा मिलनी चाहिये कि नहीं  ? प्रदेश के साढ़े चार लाख कर्मचारियों और अधिकारियों की प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से अपील है कि वे इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी ध्यान दें ! और दें दोषियों को दंड ! और साथ में यह भी करें कि सुप्रीम कोर्ट से इस बारे में जल्दी निर्णय आ जाएं तथा आगे से कोई साल ऐसा नहीं जाए जब साल में दो बार समिति बैठक नहीं हो । ऐसा होगा तभी सभी कर्मचारी और अधिकारी उमंग और उत्साह से अपना कार्य कर पाएँगे । क्या ऐसा होगा ? हम सबको आशा तो यही करना चाहिए ।
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