मामाजी सुनिये,आपके सैकड़ों भांजें-भाजियाँ अंधेरे में पढ़ने को है मजबूर !
डॉ. चन्दर सोनाने
उज्जैन संभाग के रतलाम जिले से एक बुरी खबर आई है । खबर ये है कि जिले के सैलाना, बाजना, रावटी आदि क्षेत्रों के आदिवासी 83 छात्रावासों , स्कूलों और कार्यालयों की बिजली काट दी गई है । विद्युत वितरण कंपनी ने अपनी बिजली के 22 लाख रु नहीं मिलने पर यह बहादुराना कारनामा कर दिखाया है। और इसका परिणाम भुगत रहे हैं सैकड़ों आदिवासी छात्र-छात्राएँ ! वे अंधेरे में पढ़ने, खाने , रहने और सोने के लिए मजबूर हैं !
आइये , अब आपको एक अच्छी खबर भी सुनाते हैं । हाल ही में केंद्र की मोदी सरकार ने एक अच्छा फैसला लिया है। अब उपभोगताओं को 24 घंटे बिजली मिलेगी । कृषि जैसे कुछ क्षेत्रों को कम बिजली देने का अधिकार उन्होंने अपने पास रखा है । यही नहीं उसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि किसी की भी बिजली काटी गई तो विद्युत वितरण कंपनी को जुर्माना भी भरना पड़ेगा ।
अब मोदी सरकार का ताजा फैसला आ तो गया , किन्तु नीचे जहाँ पहुँचना चाहिए वहाँ इंटरनेट के जमाने में भी अभी तक नहीं पहुँचा है । न तो इस आदेश की जानकारी आदिम जाति विकास विभाग को है , न ही विद्युत वितरण कंपनी को और न ही कलेक्टर को । कंपनी के अधिकारी किसी उद्योग के बकाया होने पर उसकी बिजली काटने नहीं जाते हैं , क्योंकि उद्योगपति और उसकी राजनैतिक पहुँच तक तो वे बेचारे पहुँच नहीं पाते , इसलिए वे अपने अधिकारों का उपयोग करने आदिवासी छात्रावास और स्कूल पहुँच जाते हैं ! और यहाँ यही हुआ है ।
अब क्या किया जाए ! आदिवासी छात्र - छात्राएँ अपनी फरियाद किसे और कहाँ सुनाएँ ! प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान सभी बच्चों के मामा हैं । किंतु उन्हें , कौन है , जो ये बतायें कि उनके सैकड़ों भांजें और भांजियाँ अंधेरे में रहने , पढ़ने , खाने और सोने को मजबूर हैं ! आप उन तक इन बच्चों की फरियाद पहुँचा सकते हैं क्या ? ? ?
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