क्या शूद्रों के विरुद्ध अभियान पर निकली है सांसद प्रज्ञा ठाकुर ?
डॉ.चन्दर सोनाने
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से भाजपा की सांसद प्रज्ञा ठाकुर हाल ही में भोपाल के पास सीहोर में क्षत्रिय महासभा को सम्बोधित करते हुए ब्राह्मण, क्षत्रिय , वैश्य की तुलना शूद्रों से करते हुए शूद्रों को नासमझ बता कर प्राचीन चार वर्णों की पैरवी कर शूद्रों को अपमानित करने पर तुली हुई है । उनके कथनों के आधार पर उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए ।
आइये, आपको पूरा मामला बताते हैं । पिछले दिनों सीहोर में क्षत्रिय महासभा का सम्मेलन आयोजित किया गया था । वहाँ बोले गए उनके शब्द सुनिए - ''क्षत्रिय को क्षत्रिय कह दो , उन्हें बुरा नहीं लगता । ब्राह्मण को ब्राह्मण कह दो , बुरा नहीं लगता । वैश्य को वैश्य कह दो , बुरा नहीं लगता । किन्तु शूद्र को शूद्र कह दो , उन्हें बुरा लग जाता है । '' यही नहीं वे प्रश्न भी पूछती है ''कारण क्या है ''? और उत्तर भी खुद ही देती है ''क्योंकि वे नासमझ हैं । समझ नहीं पाते । '' भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर यहीं नहीं रुकती बल्कि संविधान की धज्जियाँ उड़ाते हुए कहती है आरक्षण का आधार आर्थिक पृष्ठभूमि है , ताकि गरीबों की मदद हो सके और वे अच्छा जीवन जी सके , न की जाति । वे दिल्ली बार्डर पर धरने पर बैठे किसानों को किसान मानने से ही इंकार करते हुए उन्हें देशद्रोही बता देती है ।
सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने भोपाल से चुनाव जीतने के बाद जो कहा था उससे देश भर में बवाल मच गया । पाठकों को याद होगा प्रज्ञा ठाकुर ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताते हुए उसे महिमा मंडित किया था । उनकी भाषा हमेशा से ही अमर्यादित, आक्रामक और अभद्र रही है । वे महिलाओं को भी नहीं छोड़ती । सोनिया गांधी को वे इटली वाली बाई तो ममता बैनर्जी को पागल कह चुकी है । उनकी हरिकथा अनंता है ।
और अब ऐसा लगता है प्रज्ञा ठाकुर ने शूद्रों के बहाने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को पकड़ा है । अब उन्हें टारगेट करने में लगी हुई है । उन्होंने जानबूझ कर आरक्षण का मुद्दा उठाया है । यह क्षत्रिय समाज का चिर परिचित मुद्दा है । और इसीलिए उन्होंने क्षत्रिय महासभा में यह मुद्दा उछाल कर आरक्षण पाने वाली जातियों को निशाने पर लेकर शांत समाज में जातिगत भेदभाव का जहर घोलने के प्रयास में लगी हुई है ।
उल्लेखनीय है कि कुछ महीने पहले ही भोपाल के पास ग्राम नायसमंद में ठाकुर समाज के लोगों ने अहिरवार समाज के लोगों के विरुद्ध अनेक फरमान जारी कर सवर्ण समाज के खेतों की मेड़ से निकलने पर रोक लगा दी थी । यही नहीं नजरें नीची कर के चलो , गाँव के कुंए से पानी भरने पर प्रतिबंध , औरतें सजधजकर नहीं निकले , होटलों में चाय नाश्ते पर प्रतिबंध , नाई की दुकानों पर दाड़ी , कटिंग पर पाबंदी लगाने जैसे भी आदेश दिए गए थे । कलेक्टर को शिकायत करने पर प्रशासन के लोगों ने बड़ी मुश्किल से मामले को ठंडा किया था ।
किंतु लगता है सांसद प्रज्ञा ठाकुर ठंडी पड़ चुकी आग को फिर हवा देकर छुआछूत का जहर फैलाने पर तुली हुई है । वे छुआछूत के दंश के परिणाम को शायद नहीं जानती है । भाजपा संगठन को चाहिए कि वे अपनी सांसद की जुबान को लगाम लगाए । इसी में सबकी भलाई है ! नही तो आग लगते देर नहीं लगेगी ।
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