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रुद्र सागर में हुए सरकारी अतिक्रमण को हटाएगा कौन ?


डॉ. चन्दर सोनाने

             पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देश दिए गए थे कि उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर के आसपास 500 मीटर क्षेत्र से समस्त अतिक्रमण हटाए जाएँ । इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा सर्वे कर यह पता लगा लिया है कि कहाँ कितने लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है । जिन्होंने अतिक्रमण नहीं किया है , किंतु उनके मकान 500 मीटर के क्षेत्र में आ रहे हैं उन्हें मुआवजा देकर हटाया जाएगा ।
            हाल ही में जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की सराहनीय कार्रवाई शुरू कर दी है । यहाँ एक बात स्पष्ट नहीं की गई है कि जिन सरकारी विभागों ने अतिक्रमण कर लिया है और जो विकास के नाम पर अतिक्रमण करने जा रहे हैं , उनका क्या होगा ? जैसे पौराणिक , ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के सप्त सागरों में से एक रुद्र सागर में 2004 के सिंहस्थ के दौरान प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा त्रिवेणी संग्रहालय बना लिया गया है । यही नहीं अब सरकारी एजेंसी स्मार्ट सिटी द्वारा महाकाल - रुद्र सागर प्रोजेक्ट के अंतर्गत प्रथम चरण में 98 करोड़ रुपये की लागत से रुद्र सागर में ही निर्माण कार्य शुरू कर दिए गए हैं । इसके साथ ही महाकाल - रुद्र सागर प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में 154 करोड़ रुपये की लागत से रुद्र सागर के दूसरे हिस्से में अनेक निर्माण कार्य करने की योजना भी बना कर उसे मंजूरी भी दे दी गई है । इन्हें कौन रोकेगा ? 
             देश के 12 ज्योतिर्लिगों में से एकमात्र दक्षिणमुखी महाकालेश्वर मंदिर में दिनों दिन बढ़ते जा रहे श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए उनके लिए सुविधाएँ जुटाना और अतिक्रमणों को हटाया भी जाना चाहिए । किन्तु एक तरफ आप अतिक्रमण हटा रहे हैं , 500 मीटर की सीमा में आ रहे मकानों और दुकानों को हटाने के लिए उन्हें मुआवजा दिया जा रहा है , वहीं यह प्रश्न भी उठता है कि जिन सरकारी विभागों ने नियम विरुद्ध रुद्र सागर में अतिक्रमण कर निर्माण कर लिए हैं उन्हें भी हटाया जाए । इसके साथ ही महाकाल - रुद्र सागर प्राजेक्ट के नाम पर उसके प्रथम चरण में हो रहे निर्माण कार्यों को तुरंत ही रोका जाए । और दूसरे चरण के काम भी नहीं हो । विकास कार्य जरूरी है तो उन्हें जरूर करें ,  किन्तु पौराणिक महत्व के रुद्र सागर में तो किसी भी कीमत पर कोई भी निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए ! जरूरी हो तो रुद्र सागर की सीमा के बाहर मकान , दुकान अधिग्रहित किए जाएँ । जैसा कि महाकाल मंदिर के सामने स्थित मकान और दुकानों को अधिग्रहित कर उन्हें मुआवजा दिया जा रहा है , उसी प्रकार रुद्र सागर की सीमा के बाहर की जमीन लेकर भी किया जा सकता है । किंतु किसी भी हालत में रुद्र सागर में विकास के नाम पर निर्माण कार्यों की अनुमति नहीं दी जा सकती ! 
             अब सवाल यह उठता है कि यह सब करेगा कौन ? उज्जैन , इंदौर तो है नहीं कि यहाँ के नागरिक इंदौर की तरह अपनी राजनैतिक निष्ठाओं को भूलकर शहर की विरासत को नष्ट होने से बचाने के लिए एकजुट होकर पौराणिक और धार्मिक महत्व के रुद्र सागर को बचाने आगे आए और अपनी विरासत को लेकर ही रुके ! तब क्या किया जाए ? उज्जैन के तो एक ही मालिक है और वह है बाबा महाकाल ! उन्हीं से प्रार्थना की जाए कि वह प्रदेश के मुखिया   मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को प्रेरणा दें , ताकि रुद्र सागर को बचाया जा सके !
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