विक्रम संवत हमारे देश में कब लागू होगा ?
डॉ. चन्दर सोनाने
उज्जैन के गौरवशाली आयोजन अखिल भारतीय कालिदास समारोह का देव प्रबोधनी एकादशी यानी 25 नवम्बर को उज्जैन में शुभारंभ हुआ । इस अवसर पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि अब समय आ गया है कि देश में शक संवत की जगह विक्रम संवत को लागू किया जाए । इस बात का समर्थन वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से किया ।
हमारे देश द्वारा 22 मार्च 1957 को भारत के राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में शक संवत को ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ स्वीकार किया गया । शकों को इतिहासकार विदेशी मानते हैं। फिर भी शक संवत को ही राष्ट्रीय कैलेंडर माना गया ! विक्रम संवत की उस समय भी उपेक्षा की गई और यही उपेक्षा आज तक जारी है !
सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी उज्जैन थी । उनका उज्जैन से गहरा नाता था । इतिहास में उनका नाम अत्यंत ही आदर और सम्मान से लिया जाता था । उनकी ही स्मृति में विक्रम संवत शुरू किया गया था । अभी विक्रम संवत 2077 चल रहा है । उल्लेखनीय है कि विक्रम संवत ग्रेगोरियन कैलेंडर से 57 वर्ष पुराना होकर उस समय वह आम लोगों में भी प्रचलन में था । इतना ही नहीं शक संवत से भी विक्रम संवत 135 वर्ष पुराना है । इस समय शक संवत 1942 और ग्रेगोरियन संवत 2020 चल रहा है । इसी से पता चलता है कि विक्रम संवत कितना पुराना होकर हमारे देश के गौरव , इतिहास और संस्कृति से जुड़ा हुआ है ।
प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव उज्जैन की माटी में ही पले बढ़े हैं । उन्होंने ही उज्जैन में उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के नाते सबसे पहले उज्जैन में विक्रमादित्य शोध संस्थान की स्थापना कर उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य के कार्यों और इतिहास में उनके महत्व को रेखांकित किया है । इसके साथ ही उन्होंने ही शिप्रा तट पर भव्य विक्रम महोत्सव का भी शुभारंभ किया है । यह महोत्सव अब प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा प्रतिवर्ष भव्य स्तर पर आयोजित किया जा रहा है ।
डॉ मोहन यादव ने एक बार फिर देश में शक संवत की जगह विक्रम संवत को अपनाने की आवाज बुलंद की है । किंतु उन्हें केवल कालिदास समारोह में ही इस बात को उठा कर चुप नहीं बैठ जाना है । यह इतना आसान नहीं है । इसके लिए उन्हें लंबी लड़ाई लड़नी होगी । उन्हें चाहिए कि वे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को विश्वास में लेकर कैबिनेट से एक प्रस्ताव पारित कराएँ , जिसमें देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया जाए कि अब समय आ गया है कि देश में शक संवत की जगह विक्रम संवत को राष्ट्रीय कैलेंडर स्वीकार किया जाए । यदि ऐसा होता है तो उज्जैन और प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का भी गौरव बढेगा । क्या ऐसा होगा ? हमें उस गौरवशाली क्षण का इंतजार रहेगा ! आशा है , हम होंगे कामयाब !
-----०००------